ये कहानी है अनूपपुर के जैतहरी विकासखण्ड के ग्राम चोरभठी निवासी वीरेन्द्र राठौर की, जो जनवरी 2020 से मुर्गीपालन व्यवसाय की शुरुआत कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। किन्तु मार्च 2020 में कोविड-19 की महामारी आ जाने से वीरेन्द्र का व्यवसाय काफी प्रभावित हो गया और उनकी आर्थिक स्थिति खराब होने लगी।
घर में रखी हुई बचत राशि व पूंजी भी धीरे-धीरे खत्म होने लगी और स्थिति दयनीय हो गई। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो गई। लेकिन समूह में उनकी माता सुनैना राठौर के जुड़े होने से परिवार को कुछ आर्थिक मदद मिलने से परिवार संभलने लगा।
सुनैना राठौर वर्ष 2014 से जानकी स्व सहायता समूह से जुड़ी हुई हैं। सुनैना राठौर ने समूह से सर्वप्रथम 10000 रू. का ऋण लेकर सब्जी उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया था। इसके बाद समूह से दोबारा ऋण लेकर तालाब में मछली पालन का कार्य प्रारंभ किया, जिससे उन्हें 50000 रू. की आमदनी हुई। इस प्रकार वह समूह से कुल 70000 रू का ऋण लेकर 28000 रू चुकता कर चुकी हैं।
चुनौती को अवसर में तब्दील किया
वीरेन्द्र ने मुर्गीपालन व्यवसाय के बंद होने के बाद हार नहीं मानी और अच्छे समय का इन्तजार करते रहे और उन्होनें चुनौती को अवसर में तब्दील कर अपना व अपने परिवार के भविष्य को बेहतर बनाने का दृढ़ निष्चय किया।
जुलाई 2020 में जैसे ही मुख्यमंत्री पथ विक्रेता योजना प्रारंभ हुई, तो उन्होंने तत्काल राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन,जिला पंचायत अनूपपुर के माध्यम से इस योजना में अपना पंजीयन करा लिया। माह दिसम्बर में वीरेन्द्र को स्टेट बैंक जैतहरी से 10000 रू. का ऋण मिल गया। जिससे वीरेन्द्र ने अपने व्यवसाय को पहले की तरह फिर से स्थापित कर लिया। आज सुनैना राठौर और उनका बेटा वीरेन्द्र राठौर स्वयं को आत्मनिर्भर बनाने में सफल रहे हैं।
आज वीरेन्द्र राठौर व उनके परिवार की मासिक आमदनी 10000 रू.से ज्यादा हो जाती है। वीरेन्द्र व उनकी माता के साथ उनका परिवार खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा है व अपनी आजीविका को और वृहद स्तर पर ले जाने हेतु निरंतर कार्यरत है।
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