फलों और सब्जियों की खेती किसानों के लिये लाभप्रद बनती जा रही है। किसानों की आमदनी में बढोतरी के लिये राज्य शासन के प्रयास फलिभूत होते दिखाई दे रहे हैं। किसानों को फलों और सब्जियों की खेती के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसका एक उदाहरण इंदौर संभाग के बड़वानी जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ग्राम लोनसरा में देखने को मिल रहा है। इस गांव के कृषक श्री गोविन्द पिता श्री मांगीलाल काग की आमदनी में पपीता की खेती से इजाफा हुआ है।
श्री गोविंद काग एक प्रगतिशील कृषक है, जो कि सामान्यतः पिछले 8 वर्षो से बड़वानी जिले में मुख्यतः सब्जियों जैसे टमाटर, करेला, खीरा की खेती कर रहे थें। लॉकडाउन के दौरान श्री गोविन्द कॉग ने कृषि विज्ञान केन्द्र से मार्गदर्शन प्राप्त कर फलों कें अंतर्गत पपीता की खेती करने का सोचा तथा केन्द्र से तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त कर पपीता की उन्नत किस्म ताईवान-786 का रोपण किया।
माह फरवरी में 2.40 मीटर की दूरी पर ड्रिप सिंचाई पद्धति से पौधों को लगाया। पौधो को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व दिए जिसमें 250 ग्राम नाइट्रोजन, 250 ग्राम फास्फोरस, 500 ग्राम पोटाश प्रति पौधा प्रयोग किया तथा इन पौधों से नवबंर माह में फल प्राप्त होने लगे तथा यह फल माह मई-जून तक निरंतर प्राप्त होगें। इस प्रकार 4 हजार पौधें, जिनको 4 एकड़ क्षेत्रफल में लगाये गये थे। उनके उचित प्रबंधन हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र बड़वानी के वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर तकनीकी सलाह दी गयी। फसल रोपण से 25 दिन से लेकर उत्पादन की अवस्था तक विभिन्न जलविलेय उर्वरकों का प्रयोग फर्टिगेशन सेड्यूल के अनुसार किया गया। पपीता की फसल 11 माह में तैयार हो जाती है तथा 16 वे माह तक 6-8 तुड़ाई पूर्ण कर ली जाती है। कृषक श्री काग ने 4 एकड़ कुल क्षेत्रफल में 4 हजार पौधे रोपित किये थे जिनसे कुल उत्पादन एक हजार 650 क्विंटल प्राप्त हुआ। इससे उन्हे कुल आय 10 लाख 73 हजार 500 रूपये प्राप्त हुई। इनके द्वारा प्रति पौधे लगभग 95 रूपये व्यय किया गया। इस प्रकार कुल व्यय राशि 4 लाख रूपये किया गया एवं अन्य सभी व्यय की गणना करने के पश्चात् पपीता की 4 एकड़ खेती से शुद्ध आय 6 लाख 30 हजार प्राप्त की गयी। किसान गोविंद काग बताते हैं कि कृषि विज्ञान केंद्र से मार्गदर्शन प्राप्त कर कोई भी किसान उन्नत खेती की तकनीक को अपना सकता है और अपनी आय को बढ़ा सकते है।