केंद्र सरकार के लाए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन फिलहाल जारी है। रविवार को प्रदर्शनकारी किसान संघों के नेताओं ने बताया कि वे सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल करेंगे। साथ ही नए कृषि कानूनों की मांग को लेकर दबाव बनाने के लिये सभी जिला मुख्यालयों में प्रदर्शन किया जाएगा। वहीं, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी आज उपवास रखेंगे। उन्होंने मोदी सरकार से ‘‘अहंकार’’ छोड़ने और आंदोलनकारी किसानों की मांग के मुताबिक तीन कृषि कानूनों को रद्द करने की अपील की।
दरअसल, सिंघू और टीकरी बॉर्डर पर पिछले 19 दिन से चल रहे प्रदर्शनों में पंजाब और अन्य राज्यों से और किसानों का आना जारी है। इस बीच केन्द्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि सरकार जल्द ही बैठक की नयी तिथि तय करेगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि बार मुद्दे का हल निकल जाएगा। सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि नेता अपने-अपने स्थानों पर सुबह आठ बजे से शाम पांच बजे तक भूख हड़ताल करेंगे। उन्होंने पत्रकारों से कहा, ”देशभर के सभी जिला मुख्यालयों में धरने दिये जाएंगे। प्रदर्शन इसी प्रकार चलता रहेगा।”
उधर, आंदोलनरत किसानों के एक समूह ने देर रात केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह और नरेन्द्र तोमर के साथ बैठक के बाद चिल्ला की ओर जाने वाला नोएडा-दिल्ली लिंक रोड खाली कर दिया, लेकिन चढूनी ने आरोप लगाया कि उनकी सरकार के साथ साठ-गांठ थी। चढूनी ने कहा, ”कुछ समूह प्रदर्शन खत्म कर रहे हैं और कह रहे हैं कि वे सरकार द्वारा पारित कानूनों के पक्ष में हैं। हम स्पष्ट करते हैं कि वे हमसे नहीं जुड़े हैं। उनकी सरकार के साथ साठगांठ है। उन्होंने हमारे आंदोलन को कमजोर करने का षड़यंत्र रचा। सरकार किसानों के प्रदर्शन को खत्म करने के लिये साजिश रच रही है।”
एक ओर जहां किसान आने वाले दिनों में आंदोलन को तेज करने की चेतावनी दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कई केन्द्रीय मंत्री बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि माओवादियों, वामपंथियों और राष्ट्र-विरोधी तत्वों ने किसानों के आंदोलन पर कब्जा कर लिया है। प्रदर्शनकारी किसान संघों के नेताओं इस आरोप को खारिज कर दिया है। आंदोलन का समर्थन कर रहे विपक्षी दलों के नेताओं के बयानों से भी सियासी पारा चढ़ गया है। राकांपा ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री को केन्द्रीय मंत्रियों के दावों पर स्पष्टीकरण देना चाहिये।