गाडरवारा । जंहा एक तरफ केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार के द्वारा सोसाइटी के हितग्राहियों के लिए महीनों का अनाज फ्री में देने की बात की जा रही है, लेकिन वहीं दूसरी ओर गरीबों के गेहूं पर डाका डालने का खेल क्षेत्र के वेयरहाउस और सोसायटी में चल रहा है। इसकी हकीकत कल रात्रि 12:00 बजे के आसपास देखने को मिली जहां शहर के बाईपास मार्ग पर एक खेत में पाये गये ट्रैक्टर ट्राली जिसमें सरकारी अनाज पाए जाने की सूचना मीडिया को लगी तो मामले की पड़ताल की गई।प्रथम दृष्टया इस मामले में अगर गौर किया जाए तो ताज्जुब की बात है कि रात के अंधेरे में आखिर उस खेत में सरकारी गेहूं से ट्रैक्टर कैसे पहुंचा….? चलो पहुंच भी गया तो प्रशासनिक कार्रवाई क्या हुई…? जबकि मौके पर पुलिस बल और नायब तहसीलदार मौजूद थे। इस खबर के मुताबिक पत्रकारों ने प्रशासनिक अधिकारियों से इस मामले की पुष्टि करना चाही तो, कुछ मीडिया कर्मी को गुमराह करते हुए बहुत अच्छा जवाब आया। जवाब है हमें फला फला अधिकारी ने इस मामले की सूचना दी और हमने पंचनामा कार्रवाई कर इस मामले से जुड़े सभी अधिकारी मौके पर पहुंच गए थे। अब बड़ा सवाल तो यह उठता है कि क्या सरकारी वेयरहाउस से रात में अनाज भरा जा रहा है…? क्या फिर अनाज सोसायटियों में पहुंच ही नहीं पा रहा है….? और अगर रात में वेयरहाउस से अनाज यहाँ से वहाँ किया जा रहा है तो आखिर किन अधिकारियों की मिलीभगत है, हालांकि इस मामले में जुड़े कई पहलू सवालों को जन्म दे रहे हैं… शहर के कठल पेट्रोल पंप के सामने बने वेयर हाउस सें गेहूं से भरा ट्रैक्टर ट्रॉली जमाडा सोसायटी पहुँचना था,…! लेकिन ऐसा नहीं हुआ उक्त ट्रेक्टर शहर के बाईपास से लगे एक खेत में कैसे पहुंच गया…? कौन उसका ड्राइवर है…? कौन ट्रैक्टर मालिक है.. और किस अधिकारी के संरक्षण में वेयरहाउस से ट्रैक्टर की निकासी हुई…? उक्त ट्रैक्टर में कितना कुंटल माल सरकारी गेहूं भरा हुआ था….?
रात भर में बदल गए ट्रैक्टर के कलर और कंपनी…
इस घटनाक्रम की सच्चाई और सवाल कई हैं,लेकिन इसकी हकीकत हम आप तक पहुंचा रहे हैं… इस घटनाक्रम में साफ तौर से दिख रहा ट्रैक्टर सरकारी अनाज से भरा है… आनन-फानन में ट्रैक्टर का कलर और कंपनी भी बदल गई…? सुबह जब कुछ मीडिया साथी इस मामले सच्चाई जाननी चाही तो थाने के सामने खड़े ट्रैक्टर की कंपनी और ट्राली बदली देखी गई। हालांकि इस मामले से जुड़े अधिकारी गोलमोल जवाब देते आ रहे हैं और अपनी अपनी साख पर आरोप ना लगे इसके लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाने में लग गए हैं। लेकिन इस मामले से जुड़े अधिकारियों का सच आज नहीं तो कल उजागर हो जाएगा। क्योंकि साहब…. ऊंट की चोरी नोहरे,नोहरे नही होती है।
