गाडरवारा। मध्यप्रदेश के शासकीय विद्यालयों में मण्डल परीक्षा का परिणाम 40 प्रतिशत से कम रहने पर सबंधित शालाओं के विषय शिक्षकों तथा अन्य कैचमेंट वाले शिक्षकों की दक्षता जांचने एक परीक्षा का आयोजन 3 तथा 4 जनवरी को हुआ था। नरसिंगपुर जिले सहित पूरे प्रदेश से इस परीक्षा में 9620 शिक्षक सम्मिलित हुए । लोकशिक्षण द्वारा विगत सत्र में भी मण्डल परीक्षाओं का परिणाम 30 प्रतिशत से कम आने पर इस तरह की परीक्षा ली गई थी जिसमें असफल रहने वाले 16 शिक्षकों को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। किंतु इस बार शिक्षकों ने अध्ययन अध्यापन में कोई कोताही नहीं बरती और लगभग 91 प्रतिशत शिक्षकों ने दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण करते हुए साबित कर दिया कि मण्डल परीक्षा का परिणाम शिक्षकों के अल्प ज्ञान अथवा दक्षता की कमी से कम नहीं हुआ है। इसके लिए अन्य कारक जिम्मेदार हैं जिनकी समीक्षा की जाना आवश्यक है।
इस सम्बन्ध में शिक्षकों से चर्चा की गई तो शिक्षक मधुसूदन पटेल ने बताया कि मण्डल परीक्षा का परिणाम कम आने की मुख्य वजह शिक्षकों में योग्यता की कमी होना नहीं है अपितु बेस्ट ऑफ फाइव पध्दति के अलावा विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की भारी कमी तथा संस्थाओं के संचालन के लिए प्राचार्य तक न होना है। अनेक शिक्षक प्राचार्य के प्रभार के साथ साथ शिक्षक तथा क्लर्क और भृत्य तक का दायित्व निभाते हैं और विद्यालय का परिणाम अच्छा बनाने में मेहनत भी करते हैं। शिक्षक मनीष शंकर तिवारी ने कहा कि अब जब 91 प्रतिशत शिक्षकों ने अपनी दक्षता साबित कर दी है तो इससे साफ होता है कि परीक्षा परिणाम शिक्षकों की वजह से कम नहीं हुआ है अतः विभाग को अब उन कारणों की भी समीक्षा करना चाहिए जो वास्तविक रूप से परीक्षा परिणाम को प्रभावित करते हैं।ज्ञात हो कि पूरे मध्यप्रदेश में इस परीक्षा को निरस्त करने के लिए शिक्षकों द्वारा मांग की गई थी किन्तु शासन और विभाग द्वारा अनसुना कर दिया गया था। इस तरह की परीक्षा आयोजन से अब विद्यार्थियों को कितना लाभ मिलेगा यह तो आने वाला समय ही बताएगा किन्तु इस परीक्षा से अनेक पालकों द्वारा यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि यदि हर वर्ष इस तरह की परीक्षा होती है तो इससे उनके बच्चों का अध्ययन प्रभावित हो सकता है क्योंकि बच्चों के असफल होने पर शिक्षक तो परीक्षा की तैयारी कर पास हो जाएगा पर बच्चों का क्या होगा। नरसिंहपुर में भी इस परीक्षा का आयोजन किया गया था जिसमें लगभग 90 प्रतिशत शिक्षकों ने अपनी योग्यता को साबित किया है।
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