जीवन तुम पर वारा, रचनाकार पं. सुशील शर्मा
सोलह शृंगार किया साजन
जीवन तुम पर वारा।
माथे बिंदी कंगन चूड़ी
हाथ रचाए सजना।
आँखों में बस प्यार बसाए
बस तेरे सुर बजना।
चाँद हमारे तुम हो प्रीतम
उमर हमारी लागे।
कितना प्यारा पिया हमारा
बँधे प्रेम के धागे।
तुम बिन जीवन मरुथल जैसा
तुम हो गगन हमारा।
जीवन पथ पर साथ चलूँ मैं
बन कर के अनुगामी।
मार्गप्रदर्शक तुम हो मेरे
मेरे अन्तर्यामी।
सप्तपदी से बँधा हुआ है
रिश्ता कितना प्यारा।
विश्वासों की डोर सम्हाले
बीते जीवन सारा।
जीवन की आपाधापी में
तुम हो एक सहारा।
पहना है सुहाग का जोड़ा
तेरी पिया निशानी।
सदा सुहागन मुझको रखना
करवाचौथ भवानी।
जल्दी निकलो आज चाँद तुम
पति दर्शन अभिलाषा।
उमर पिया को लम्बी देना
मुझे प्रेम परिभाषा।
उनकी बाँहों में दम निकले
उन पर सब कुछ हारा।