टीकमगढ़। आत्मा योजना द्वारा निरन्तर नई-नई पद्धति अपनाकर कृषकों को लाभान्वित किया जा रहा है। इसी क्रम में कृषि विभाग से मार्गदर्षन प्राप्त कर कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए श्री पद्धति से गेहूं की खेती श्री द्वारिका प्रसाद नायक ग्राम मानिकपुरा विकासखंड टीकमगढ़ द्वारा की गई। उन्होंने 10 किलो बीज एक एकड़ में लगाया है जहां एक दाने से 30-40 कल्ले निकले हैं और यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कम से कम एक एकड़ में 25 से 28 क्विंटल उत्पादन प्राप्त होगा।
श्री द्वारिका प्रसाद नायक ने आत्मा परियोजना के तकनीक प्रबंधक श्री बुंदेला के मार्गदर्शन में यह तकनीक सीखी तथा बताया कि आमतौर पर एक एकड़ में गेहूं लगाने के लिए 40 से 50 किलो बीज लगता था और उत्पादन 15 से 16 क्विंटल होता था। इस विधि में बीज भी अधिक लगता था तथा उत्पादन भी कम होता था। लेकिन श्री पद्धति के द्वारा मात्र 10 किलो बीज एक एकड़ के लिए पर्याप्त होता है।
लगाने की विधि
श्री द्वारिका प्रसाद नायक ने बताया कि हमने 10 किलो बीज को 20 लीटर पानी में डाल दिया, पानी के ऊपर तेर रहे बीजों को छानकर हटा दिया और इस पानी में बची हुई सभी सामग्री डाल दी और 8 घंटे के लिए छोड़ दिया 8 घंटे बाद इस मिश्रण घोल से बचे हुए पानी को फेंक दें शेष में फफूंद नाशक 20 ग्राम दवा मिलाकर 12 घंटे के लिए अंकुरित होने के लिए गीले बोरे में बांधकर छोड़ दें इसी अंकुरित बीज को बोने के लिए इस्तेमाल किया जाता है उन्होंने बताया कि हमने गेहूं के अंकुरित 2-2 दानों को 25 से 25 इंच पर बोया है जिस से मात्र 10 किलो बीज 1 एकड़ के लिए पर्याप्त हुआ है इस विधि में बीज की मात्रा भी कम लगी है और फसल भी बहुत अच्छी दिखाई दे रही है।
आत्मा परियोजना संचालक श्री एसके श्रीवास्तव द्वारा बताया गया कि जहां किसान एक एकड़ में छिड़ककर 40 से 50 किलो बीज लगाता है, जिससे बीच की मात्रा अधिक लगती है और लागत भी अधिक आती है। परंतु श्री पद्धति में मात्र 10 किलो बीज एक एकड़ के लिए पर्याप्त होता है, जिससे लागत भी कम आती है और इस प्रकार की खेती हमारे कृषक के द्वारा आत्मा परियोजना के माध्यम से कराई जा रही है जो जिले के लिए एक अनुपम उदाहरण है इस प्रकार कृषि को लाभ का धंधा बनाया जा सकता है। श्री नायक द्वारा की जा रही इस गतिविधि का प्रमुख वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र डॉ किरार सहायक संचालक कृषि श्री दिनेश जाटव द्वारा भ्रमण किया गया।