नरसिंहपुर। कलेक्टर रोहित सिंह ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर सघन वन के बीच ऊंचे पहाड़ पर बने चौगान के किले का शुक्रवार को भ्रमण किया। सिंह ने तालाब, मंदिर, महल, किला आदि के विभिन्न हिस्सों का अवलोकन किया। उन्होंने यहां पर्यटन की संभावनाओं पर विचार किया और विकास कार्य कराने में एनटीपीसी का सहयोग लेने की बात कही।
भ्रमण के दौरान सीईओ जिला पंचायत डॉ. सौरभ संजय सोनवणे, डीएफओ पीडी गेब्रियल, एसडीएम सुश्री सृष्टि जयंत देशमुख, अन्य अधिकारी और मैदानी अमला मौजूद था।
यहां कलेक्टर ने ग्रामीणों से चर्चा कर उनकी समस्यायें जानी। उन्होंने लघु वनोपज आचार की गुठली/ चिरोंजी आदि के विक्रय के संबंध में बात की। ग्रामीणों ने चौगान किला पर गौड़ी रीतिरिवाज से भजन- पूजन करने के लिए भवन बनवाने, प्रकाश व्यवस्था कराने, बर्तन आदि दिलाने, प्रेमपुर के ग्रामवासियों को पेयजल की उपलब्धता के लिए पाइप लाइन लगवाने आदि के लिए कलेक्टर को आवेदन दिये। इस संबंध में कलेक्टर ने आवश्यक कार्रवाई के लिए निर्देशित किया।
उल्लेखनीय है कि कभी राजगौड़ वंश की समृद्धि और वैभव का प्रतीक रहे इस चौरागढ़/ चौगान के किले के अब भग्नावशेष दिखते हैं। इतिहास के मुताबिक चौदहवीं शताब्दी के अंतिम वर्षो में गढ़ा कटंगा में राजगौड़ वंश की नींव डाली गई। इसी राजवंश के प्रसिद्ध शासक संग्राम शाह 1400- 1541 ईस्वी ने 52 गढ़ स्थापित कर अपने साम्राज्य को सुदृढ़ बनाया था। नरसिंहपुर जिले में चौरागढ़ या चौगान किला का निर्माण भी उन्होंने ही कराया था, जो रानी दुर्गावती के पुत्र वीरनारायण की वीरता का मूक साक्षी है। कहा जाता है कि यह किला राजगौड़ों के 52 गढ़ों का कोषालय था। जिसकी वजह से दुश्मन राजाओं की नजर इस पर रहती थी।

