गाडरवारा। भगवत गीता में सनातन धर्म की नीतियों का स्पष्ट वर्णन है। गीता में अठारह अध्याय और सात सौ श्लोक हैं।महाभारत के युद्ध के समय कुरुक्षेत्र की रणभूमि में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया है उन्हीं उपदेशों का संकलन है श्रीमद भागवत गीता । असल में, यह उपदेशों का संकलन प्रश्न और उत्तर के रूप में है। अर्जुन कई प्रश्नवाचक चिन्हों के भंवर में फंसे हुए होते हैं और भगवान श्रीकृष्ण इन्हीं प्रश्नों का उत्तर देते हुए अर्जुन को इस चक्रव्यूह से बाहर निकालते है। उपरोक्त उदगार वृंदावन से पधारी साध्वी मुरलिका रामायणी ने ग्राम कोठिया नर्मदा तट पर जारी श्री राम मानस यज्ञ में प्रवचन कार्यक्रम में व्यक्त करते हुए आगे कहा की भगवत गीता ही है जो आधुनिक युग में समस्याओं से घिरे हुए मनुष्य को एक कर्मशील जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है । गीता ऐसे प्रेरणादायक संदेशों का महासागर है जो जीवन से निराश मनुष्य को आशाओं से भर देती है। ठीक उसी प्रकार, जिस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन की निराशाओं को दूर किया और उसे युद्ध लड़ने के लिए प्रेरित किया। आज की इस भागती दौड़ती ज़िन्दगी में मानव को, उसके मन को, उसकी आत्मा को अगर कोई शांत, स्थिर और प्रसन्नचित रख सकता है तो वह गीता है। उन्होने कहा की मनुष्य को परिणाम की चिंता किए बिना, लोभ- लालच बिना एवं निस्वार्थ और निष्पक्ष होकर अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है। मनुष्य को जीवन की चुनौतियों से भागना नहीं चाहिए और न ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे बहानों का प्रयोग करना चाहिए। उल्लेखनीय है की 27 फरवरी को भंडारे, प्रसादी के साथ श्री राम मानस यज्ञ का विधिवत समापन होगा । यज्ञ में प्रतिदिन बड़ी संख्या में क्षेत्रीय श्रद्धालु शामिल होकर धर्म लाभ ले रहे है।