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March 28, 2025
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सामाजिक

नए वर्ष में पर एक कविता,सुशील शर्मा, की कलम से

नए वर्ष में पर एक कविता,सुशील शर्मा, की कलम से 

इस नए वर्ष में

मिट जाएं चिंता की सारी लकीरें

उतर जाएं हृदय के सारे बोझ

नए वर्ष का सूरज

तुम्हारे आंगन में उतारे

आशाओं की रश्मियां।

न पा सके बीते वर्ष में तुम

जो आकांक्षाएं रह गईं अधूरी

नए वर्ष का सूरज दे

तुम्हें वह पुरुषार्थ,वे सत्कर्म

कि पा सको तुम सब कुछ।

नए वर्ष में लगाना एक पौधा

नए रिश्तों का

जिसको

विश्वास की मिट्टी में रोपना

अपनापन का खाद देकर

नेह के नीर का करना सिंचन।

नए वर्ष में देना विचारों को

नए आयाम

जीवन की आधार भूमि पर

कर्तव्यों का सृजन हो

सत्य के आकाश पर

अंतस की शुद्ध अभिव्यक्ति हो।

नए वर्ष में जीवन

की परिलब्धियों

के लेखें से निकाल देना

अपने ऊंचे होने का अहंकार

और शामिल कर लेना

उन सबकी कृतज्ञता

जिनके संबल से तुम ऊपर पहुंचे हो।

मत भरना नए साल में

मन में पुराना कबाड़

उतार देना खूंटी से

फटे कपड़े

फेंक देना अंगूठे पर से

फटे मौजे

अपने कदमों को पहना देना

नई उमंगों की चप्पलें

जो ले जा सकें

आशाओं की पगडंडियों पर निर्बाध।

नए वर्ष पर निकाल लेना

बचपन की धूल भरी संदूक से

उन श्वेत श्याम तस्वीरों को

जिनमें गांव के आंगन में

चूल्हे पर रोटी बनाती मां और

सजीले मूंछों वाले बाबूजी

रौबदार दादाजी

गायों को चारा डालती दादी

स्नेहिल कक्का काकी

मित्रों के साथ धूल में खेलता बचपन।

नए वर्ष में टांग लेना इन तस्वीरों को

अपने निस्तब्ध कमरे में।

नए वर्ष की स्निग्ध रश्मियों में

भूल जाओ पिछले वर्ष के

सभी गिले शिकवे

जो गल रहें हैं

तुम्हारे व्यथित हृदय में।

कर सको क्षमा उन सारी

अभिव्यक्तियों को

जो तुम्हारे विरुद्ध थीं।

नए वर्ष में काट कर

बाहर आ जाना मोबाइल के

अंतर्जाल को

जिसमें गूंगी अभिव्यक्ति में

सर्द हो गई है रिश्तों की गर्माहट

जुड़ जाना किताबों की दुनिया से

जहां पर ज्ञान का कोश

मुखर होता है मेधामय अभिव्यक्ति से।

इस नए वर्ष में उन आत्माओं को

देना श्रद्धांजलि

जो पा न सके विदेश में बसे

अपने पुत्र से

कपाल क्रिया।

नए वर्ष में पढ़ा देना

टाट पट्टी पर बैठे उस विद्यार्थी को

जिसके सपनों में

अपने मजदूर बाप से थोड़ा

अच्छा बनने के सपने हैं

छोड़ देना

वो सभी आदतें जो

तुम्हें इंसान बनने से रोकती हों

छोड़ देना वो पथ

जिस पर दूसरों के सपने

कुचल कर महान बनने की लिप्सा हो।

नए वर्ष में विगत वर्ष के प्रति

कृतज्ञ होना मत भूलना

क्योंकि इसने तुमको दिए हैं

वो अनुभव

जिनकी पीठ पर चढ़ कर

तुम देख पाए हो स्वयं को

दुनिया के आईने में।

नए वर्ष में तुम चढ़ना

सफलता के घोड़ों पर

निर्बाध

सिद्धि प्रसिद्धि समृद्धि

के अविरल पथ पर

अपने को तलाश कर

गगन को छूना है

नए वर्ष में।

✒️सुशील शर्मा

नूतन आंग्ल वर्ष की मंगल कामनाओं सहित

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