वैराग्य पर जाते बालक विद्याधर को देख नहीं थमे आंखो में आंसू
संत शिरोमणी आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज के जन्मदिवस शरद पूर्णिमा के अवसर पर नगर के जैन युवा कलाकारो द्वारा विद्याधर से विद्यासागर नाटक का मंचन किया गया। आर्यिका रत्न गुणमति माता जी के द्वारा निर्देशित इस नाटय मंच में सभी ने अपनी अद्भुत प्रस्तुती दी। नाटक में आचार्य श्री के जन्म से लेकर उनकी दीक्षा तक के हर पहलु को बहुत ही बारीकी से दिखाया गया। जब आचार्य श्री दीक्षा के लिए अपने परिवार से अनुमति मांगते है तो उस समय मां की वेदना के दृश्य को जब सजीव किया गया तो सारे श्रावकों के आंखों में आंसू आ गये। वही जब दीक्षा के उपरांत उपदेश दिये तो श्रावको की खुशी का ठिकाना न रहा । मंगलाचरण की संगीतमय प्रस्तुती अंशु, दीप्ती, खुशी, निधी ने दी, नाटक का शुभारंभ एडवोकेट वीरेन्द्र जैन, हेम कुमार, हेमन्त सिंघई, गौरीशंकर जैन, जयकुमार घडी के द्वारा दी गई। आचार्य श्री के चित्र का अनवारण एवं दीप प्रज्जवलन साथ हुआ । महिला मंडल एवं विधायक प्रतिनिधि रामकली तंतुवाय के द्वारा मंगल आरती की गई । कार्यक्रम का संचालन संस्कार शाह ने किया । अभिनय में चक्रेश सातपुर, शालिनी जैन, नितांशी, सुविधा, सिदांत, आर्जव, अनुपम, संस्कार, मयूर, अंश, द्रव्य, रिधान, सरांश, सपन, प्रशाशु, सूरज, नमन, डा. मानसी किमी, आदित्य भैया, संजय दिवाकर, विनीता जैन, विपुल, नरेन्द्र बाकल, अभिषेक, कमलेश, निहाल, आदित्य, आस्था, खुशी, अंशिका, मुस्कान, सिमी, रेखा, भावना, डिंकी, प्रिया, प्रशंसा, नीलम, निधी, राखी, अनुभा, अवनि, रोशनी, आदित्य, सोनू पंडित, अंचल आदि की प्रस्तुती सराहनीय रही। पुत्री शाला स्कूल परिसर में चले डेढ घंटा चले इस नाटक ने सभी दर्शको को अपनी कला के माध्यम से बांधे रखा, ब्रम्हचारी संजय भैया सहित सकल जैन समाज की उपस्थिति सराहनीय रही, सभी का आभार सेठ दीपक के द्वारा व्यक्त किया गया ।