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March 19, 2024
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धर्म

दमोह (हटा) मर्यादित भोजन ही दिनचर्या को प्रभावित करती है-आर्यिका रत्‍न गुणमती जी

दमोह (हटा)। जैन साधु 46 गुणों को देख परख कर ही आहार ग्रहण करते है, पहले आहार बनाते समय महिलाएं मंगलगान करती थी जिससे रसोई में पवित्रता बनी रहे । आहार बनाते व कराते समय क्रोध का भाव नहीं आना चाहिए यह बात आर्यिकारत्‍न गुणमति माता जी ने श्री १००८ पारसनाथ त्रिमूर्ति मंदिर में चल रहे सिद्धचक्र महामंडल विधान में अपने मंगल प्रवचन में कही, उन्‍होने कहा कि भोजन सदैव सात्विक होना चाहिए । जब आप सात्विक भोजन करके अपनी दिनचर्या प्रारंभ करते है तो आपका दिन सदैव सदविचारों के साथ प्रसन्‍नता पूर्वक व्‍यतीत होता है, वही जब आप तामसिक भोजन करते अपने दिन का क्रोध व गंदे विचार दिमाग में आयेगें।
हटा में २१ नवंबर से २७ नवंबर तक श्री सिद्ध चक्र महा मंडल विधान का आयोजन आर्यिका रत्न श्री १०५ गुण मती माता जी ससंघ के सानिध्य में एंव प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी श्री अशोक भैया जी गुना , बाल ब्रह्मचारी आदित्य भैया जी हटा के मार्गदर्शन में किया जा रहा है इस विधान में सौधरम इंद्र _सची बनने का सौ भाग्य हेम कुमार सिंघई श्री मति शीला सिंघई एव श्रीपाल मैना सुन्दरी बनने का सौ भाग्य नरेन्द्र सिंघई श्री मति पुष्पा सिंघई बाकल वालो को प्राप्त हुआ प्रतिदिन सुबह से ही मंदिर जी में अभिषेक शांतिधारा एव विधान के साथ ही भक्तो को आर्यिका रत्न श्री गुण मती माता जी के प्रवचनों का लाभ मिल रहा है।

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