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April 20, 2024
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क्राइम

भोपाल, ATS ने 4 आतंकियों को पकड़ा , बड़ी मात्रा में विस्फोटक बरामद,मस्जिद के बगल में रह रहे थे,कम्प्यूटर बनाने वाले सलमान ने दिलाया था ठिकाना

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से ATS ने 4 आतंकियों को पकड़ा है। प्रारंभिक पूछताछ में इनका बांग्लादेशी होना पाया गया है। जो कि प्रतिबंधित आतंकी संगठन जमात-ए-मुजाहिद्दीन (बांग्लादेश) के सदस्य हैं। वे यहां रहकर आतंकी गतिविधियों के लिए स्लीपर सेल तैयार कर रहे थे। ताकि भविष्य में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जा सके। इनमें से दो आतंकी ऐशबाग इलाके की फातिमा मस्जिद के पास किराए से रह रहे थे। इनकी निशानदेही पर करोंद इलाके की खातिजा मस्जिद के करीब एक घर में रह रहे 2 और आतंकियों को पकड़ा गया। हिरासत में लिए गए आतंकियों से भारी मात्रा में जेहादी साहित्य, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं।

इससे पहले मध्य प्रदेश ATS को सूचना मिली थी कि भोपाल में कुछ आतंकी छिपे हुए हैं। पड़ताल के बाद शनिवार देर रात 3:30 बजे पुलिस ऐशबाग पहुंची और एक बिल्डिंग में छापा मारा। यहां पुलिस के आने की भनक लगने पर आतंकियों ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था। जिसके बाद पुलिस दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुई और वहां से दो लोगों को पकड़ा गया। प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी आतंकियों के JMB से जुड़े होने की पुष्टि की है।

गिरफ्तार आतंकियों के नाम

  • फजहर अली (32) उर्फ मेहमूद पिता अशरफ इस्लाम
  • मोहम्मद अकील (24) उर्फ अहमद पिता नूर अहमद शेख
  • जहूरउद्दीन (28) उर्फ इब्राहिम उर्फ मिलोन पठान उर्फ जौहर अली पिता शाहिद पठान
  • फजहर जैनुल आबदीन उर्फ अकरम अल हसन उर्फ हुसैन पिता अब्दुल रहमान

कई विस्फोटों में शामिल रहा जमात-ए-मुजाहिद्दीन बांग्लादेश (JMB)

  • साल 2005 में बांग्लादेश के 50 शहरों व कस्बों में 300 स्थानों पर करीब 500 बम विस्फोट हुए थे। ये धमाके JMB ने ही कराए थे। – साल 2014 में पश्चिम बंगाल के बर्धमान में बम ब्लास्ट हुआ था, जिसमें दो लोग मारे गए थे। – साल 2018 में बोधगया में बम ब्लास्ट हुआ था, वो भी इसी संगठन ने किया था। – साल 2019 में भारत सरकार ने इसे 5 साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया।

रात 3:30 बजे इलाके में लग गई भीड़
मकान मालकिन नायाब जहां ने बताया कि रात करीब 3.30 बजे होंगे। हम लोग ऊपर कमरे में सो रहे थे। तभी अचानक चलो-चलो की आवाजें आने लगीं। किराएदारों के कमरों में हंगामा तो बाहर निकलकर देखा। घर के सामने भीड़ लगी थी। मुझे देखते ही पुलिस ने कहा- आप अंदर जाओ। मैंने पूछा- बताओ, हुआ क्या है? पुलिस ने कहा- अंदर जाइए। पानी पीजिए। कुछ नहीं हुआ।


कम्प्यूटर मैकेनिक ने दिलवाया था मकान
मकान मालिक नायाब जहां ने बताया कि इलाके में रहने वाला सलमान कम्प्यूटर मैकेनिक है। करीब तीन महीने पहले उसने अपने परिचित अहमद के लिए मकान किराए पर मांगा। सलमान ने बताया कि अहमद आलिम (धार्मिक शिक्षा) की पढ़ाई कर रहा है। मकान खाली था, इसलिए उसके कहने पर साढ़े तीन हजार रुपए महीने पर मकान दे दिया। अहमद ने किराया हमेशा कैश ही दिया।

पड़ोसी बोले- डेढ़ साल से रह रहे थे युवक
पड़ोस में रहने वाली शाहिदा ने बताया कि दोनों संदिग्ध आतंकी करीब डेढ़ साल से नायाब जहां के मकान में रह रहे थे। उन्होंने बताया कि इसी मकान के नजदीक ही एक लड़की भी किराए से रहती थी। संदिग्ध आतंकी इस लड़की को सूखा राशन देते थे। वह इन्हें खाना पका कर देती थी। हालांकि वह 11 महीने पहले मकान खाली करके जा चुकी है।

पुलिस के पहुंचने पर लोगों की भीड़ जमा हो गई, उस समय तक किसी को इलाके में आतंकियों की मौजूदगी का अंदेशा नहीं था। –
पुलिस के पहुंचने पर लोगों की भीड़ जमा हो गई, उस समय तक किसी को इलाके में आतंकियों की मौजूदगी का अंदेशा नहीं था।
आधार कार्ड मांगा तो बहाने बनाने लगा
मकान मालकिन नायाब जहां के मुताबिक, अहमद ने मकान अकेले रहने के लिए किराए पर लिया था। करीब दो सप्ताह बाद अहमद के साथ एक और लड़का रहने लगा। वह मुफ्ती साहब के नाम से मशहूर है। सभी उसे मुफ्ती साहब ही कहते थे।

मकान देने के करीब दो सप्ताह बाद अहमद से उसका आधार कार्ड मांगा था। इस पर अहमद ने दो सप्ताह बाद मकान खाली करने की बात कही। दो हफ्ते बाद मकान खाली नहीं होने पर दोबारा आधार मांगा, तब भी उसने आनाकानी कर दी।

शांत इलाकों को बनाते हैं ठिकाना
ये बात पहले भी सामने आ चुकी है कि आतंकी ऐसे इलाकों को ठिकाना बनाते हैं, जहां का इलाका शांत होता है। इसके पहले इंदौर, उज्जैन के पास महिदपुर और उन्हैल इलाके से भी सिमी आतंकियों के तार जुड़े थे। इंदौर के करीब जंगल में सिमी आतंकी हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेते थे।

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