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March 29, 2024
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सामाजिक

स्व प्रतिभा श्रीवास्तव स्मृति साहित्य सम्मान एवं विमोचन कार्यक्रम सम्मपन्न

स्व प्रतिभा श्रीवास्तव स्मृति साहित्य सम्मान एवं विमोचन कार्यक्रम सम्मपन्न

गाडरवारा । साहित्यक संस्था ‘चेतना’’ के तत्वाधान में स्व. प्रतिभा श्रीवास्तव स्मृति साहित्य सम्मान एवं विमोचन कार्यक्रम का आयोजन स्थानीय पीजी कालेज स्थित आडीटोरियम में पूर्व विधायक श्रीमती साधना स्थापक के मुख्यआतिथ्य में एवं डाॅ विजय तिवारी किसलय जबलपुर, अनूप जैन, कालेज प्राचार्य एक. के जैन के सारस्वत आतिथ्य में तथा साहित्यकार कुशलेन्द्र श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आयोजित किया गया । कार्यक्रम का शुभारंभ माॅ सरस्वती जी की प्रतिमा पर माल्यापर्ण एवं दीपप्रज्जवलन के साथ हुआ । सरस्वती वंदना करेली से आए मुकेश ठाकुर द्वारा प्रस्तुत की गई । तदोपरांत मंचासीन अतिथियों का स्वागत संस्था के सदस्यों के द्वारा किया गया । चेतना परिवार द्वारा प्रकाशित साझा संग्रह ‘‘एहसासों के दस्तावेज’’ का विमोचन मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया । इसं संग्रह में देश के 71 रचनाकारों की रचनाओं को संग्रहित किया गया है। विमोचन उपरांत कार्यक्रम में उपस्थित रचनाकारों का सम्मान अतिथियों द्वारा किया गया । करतल ध्वनि के बीच कवयित्री विनीता धाकड़ के मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के सहयोग से प्रकाशित काव्य संग्रह ‘‘अधूरी ख्वाहिशंे’’ का विमोचन किया गया । चेतना संस्था सहित अनेक संस्थाओं ने उनका सम्मान किया । स्व श्रीमती प्रतिभा श्रीवास्तव की स्मृति में प्रारंभ किया गया प्रथम वर्ष का सम्मान ख्यातिलब्ध साहित्यकार श्रीमती प्रतिमा अखिलेश को प्रदान किया गया । उन्हें सम्मानपत्र, स्मृतिचिन्ह, शालश्रीफल के साथ ही साथ क्षेत्र के रचनाकारों की कृतियां भी भेंट की गई । इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथि साधना स्थापक ने अपने उद्बोधन में क्षेत्र की साहित्यक चेतना की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि प्रतिभाओं का निखारना और उन्हें साहित्य परंपराओं से जोड़ना श्रमसाध्य कार्य है जिसे चेतना संस्था निरंतर कर रही है । साहित्य तो वाकई एक दस्तावेज ही होता है जो सदैव जीवित रहता है । जब जब समाज को जिस विषय की जरूरत होती साहित्यकार वैसा ही साहित्य सृजन कर उन्हें मार्गदर्शन देता है । उन्हेाने कहा कि शब्द हदय की गहराई से निकलता है और हमेशा जीवंत बना रहता है । जबलपुर से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार विजय तिवारी किसलय ने कहा कि इस क्षेत्र में साहित्य सृजन निरंतर हो रहा है जो प्रशंसनीय है । साहित्य विषाद और निराशा के वातावरण से मुक्त कराता है । युवाओं का साहित्य के प्रति जुड़ाव सृजनशीलता की विश्वसनीयता का द्योतक है । अनूप जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य समाज को दिशा देता है । अच्छा साहित्य मार्गदर्शक का काम करता है । जल की एक बूंद सामान्य रहती है पर जब वह सीप के अंदर चली जाती है तो वह मोती बन जाती है । अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार कुशलेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि साहित्य फैशन के रूप में सृजित नहीं होना चाहिए । साहित्य तो अपने अंतरमन में उमड़ रहे विचारों की अभिव्यक्ति है । हमारे क्षेत्र की साहित्य परंपरा दशकों पुरानी है अनेक बड़े साहित्यकारों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी और इस क्षेत्र की उपस्थिति दर्ज कराई है । सुखद है कि यह परंपरा अभी भी जारी है । प्राचार्य ए. के. जैन ने भी अपने उद्बोधन मंे साहित्यक चेतना की भूरी-भूरी प्रशंसा की । कार्यक्रम में स्वागत भाषण वेणीशंकर पटैल ने दिया । श्रीमती प्रतिमा अखिलेश और विनीता धाकड़ ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए । कार्यक्रम में क्षेत्र की विभिन्न सेवा कार्य में संलग्न संस्थाओं का सम्मान, सम्मानपत्र एवं साहित्य भेंट कर किया गया । रोटरी क्लब, कदम संस्था, मानवसेवा संघ, सांई श्रद्धा सेवा समिति, जिला शिक्षा चेतना समूह, कल्पतरू संस्था सांईखेड़ा, वृक्षमित्र संस्था सालीचैका, बागेश्वरी साहित्य परिषद सलीचैका, काव्य मंजरी साहित्य परिषद चीचली, सृज्यामह्म सांईखेड़ा, रामरोटी समिति, जिला टेनिस बाॅलीबाल संघ, एवं सनराइज क्लब को सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया । काव्य अमृत साझा संग्रह के प्रतिभागी साहित्यकारों को भी प्रश्तिपत्र भेंट किए गए । कार्यक्रम का संचालन विजय ‘बेशर्म’ ने किया एवं आभार प्रदर्शन नगेन्द्र त्रिपाठी द्वारा किया गया । कार्यक्रम मे जबलपुर, नरसिंहपुर, करेली, सांईखेड़ा, सालीचैका, चीचली सहित बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित रहे ।

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