ऑडिटोरियम हॉल में एकात्म पर्व” आदि शंकराचार्य जीवन दर्शनपर आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम
गाडरवारा । “आचार्य शंकर जीवन दर्शन “विषय पर मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद के तत्वाधान में मंगलवार को चीचली एवं साईंखेड़ा विकाशखण्ड जन अभियान परिषद के द्वारा पीजी कॉलेज ऑडिटोरियम हॉल गाडरवारा में आदि शंकराचार्य जी की जयंती”एकात्म पर्व” पर व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे सारस्वत उद्बोधन दण्डी स्वामी नृरसिंह विजयेंद्र सरस्वती जी महाराज”श्री विट्ठल आश्रम उत्तरतट बरमानकला,नरसिंहपुर तथा मुख्यवक्ता आदरणीय श्री वसंत बृजमोहन जोशी जी,वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता विभाग बौद्धिक शिक्षण प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जबलपुर विभाग रहे ।व्याख्यान कार्यक्रम में सारस्वत उद्बोधन देते हुए दण्डी स्वामी विजयेंद्र सरस्वती जी ने बताया कि सम्पूर्ण संसार मे एक ही चेतना आनुस्यूत है जो सभी को गति प्रदान करती है। अद्वैत दर्शन का अर्थात दो नहीं एक कि संकल्पना है जो मनुष्य ही नहीं जड़ चेतन में भी भगवान का अंश मानती है।स्वामी जी ने बताया कि आदि गुरु ने उस कालखंड में अवतरण लिया जब भारत मे भगवान के अस्तित्व पर ही लोगों ने प्रश्नचिन्ह खड़े कर रखे थे।भगवान आदि शंकराचार्य जी के अद्वैत दर्शन के मध्यम से लोगों को एकता के सूत्र में बांधा है,उन्होंने भारत की अखण्डता एवं सामाजिक विषमता को समाप्त किया है।
स्वामी जी ने मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद के माध्यम से सम्पूर्ण संभाग,जिला एवं विकासखंडों में”आचार्य शंकर जीवन दर्शन”विषय पर केंद्रित व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन कर आदि गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि दी है जो कि प्रशंसनीय है।
कार्यक्रम के मुख्यवक्ता आदरणीय श्री वसंत जी जोशी ने बताया कि भारतीय संस्कृति का दर्शन कराने वाला दर्शन है”अद्वैत दर्शन” जिसके कारण ही भारत को मातृ भूमि के रूप में मानते हैं।आदि शंकराचार्य जी मात्र 32 वर्ष के अल्पायु में भारत मे अद्वैत दर्शन के प्रखरप्रवक्ता,सनातन संस्कृति के पुनरुद्धारक एवं सांस्कृतिक एकता के देवदूत के रूप में भारत की अखंडता एवं सामाजिक विषमता को दूर कर सनातन वैदिक धर्म की पुनर्स्थापना की है।आदिगुरु ने काशी में “अन्नपूर्णा माँ”के दर्शन कर निःस्वार्थ बुद्धि का वर मांगा था। “सर्वेभवन्तु सुखिनः,सर्वे संतु निरामया”की भावना सम्पूर्ण विश्व मे सिर्फ भारतवर्ष में ही विद्यमान है। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि समय आगया है जब भारतवर्ष पुनः विश्व गुरु के रूपमे सम्पूर्ण जगत को शांति और वैभव का संदेश प्रदान करेगा। आदि शंकराचार्य जी ने 08 वर्ष में उपनयन विद्याद्यायन किया और 16 वर्ष के आयु के भाष्य लिखा है।व्याख्यान कार्यक्रम में अतिथियों सहित उपस्थित सुधी स्रोताओं गणमान्यजनों,मातृशक्ति एवं सामाजिक,धार्मिक एवं स्वेच्छिक संगठनों के प्रतिनिधियों सहित जनअभियान परिषद की ग्रामविकास प्रस्फुटन समितियों,नवांकुर संस्थाओं तथा सीएमसीएलडीपी के परामर्शदाता छात्र -छात्राओं के प्रति स्वागत भाषण देते हुए अतिथियों का परिचय जयनारायण शर्मा जिला समन्वयक मध्यप्रदेश जनअभियान परिषद नरसिंहपुर ने कराया।कार्यक्रम में आभार श्री राममोहन जी रघुवंशी जी विकासखंड समन्वयक साईंखेड़ा ने किया।कार्यक्रम का संचालन श्री राकेश खेमारिया जी जिला अध्यक्ष भारतीय किसान संघ जिला नरसिंहपुर ने किया।मंचासीन अतिथियों का साल श्रीफल से स्वागत सुश्री स्मिता दांडे जी विकासखण्ड समन्वयक चीचली द्वारा किया गया।