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April 17, 2024
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नरसिंहपुर,मंदिर में विराजे भगवान विष्णु के नरसिंह अवतार दिवस पर विशेष

भगवान नरसिंह भगवान विष्णु का एक मानव अवतार है, जिनका सिर शेर का है और धड मानव का है

भगवान नरसिंह मानव कल्याण के लिए इस पृथ्वी पर उत्पनन हुए थे। उनका रूप बहुत ही अदुभ्त था, जिसे देखकर सब हैरत में पड गए थे। नरसिंह मंदिर का निर्माण 18 वीं शताब्दी के दौरान हुआ था।

नरसिंहपुर का नरसिंह मंदिर एक धार्मिक स्थल है। नरसिंहपुर शहर का नाम नरसिंह मंदिरके नाम पर ही रखा गया है। यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है। इस मंदिर में नरसिंह भगवानकी सुंदर प्रतिमा देखने के लिए मिलती है। मंदिर अपनी एक और खासियत के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर में एक भूमिगत टनल है, जिसके कारण यह मंदिर प्रसिद्ध है। नरसिंह मंदिर के बाहर हनुमान जी का मंदिर भी देखने के लिए मिलता है। यह मंदिर शहर के बीचोंबीच स्थित है। यहां पर एक छोटा सा पार्क भी बना हुआ है, जहां पर जाकर घुमा जा सकता है।

नरसिंहपुर का प्राचीन नरसिंह मंदिर अपने अनूठेपन के लिए जाना जाता है। भगवान नरसिंह के इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां स्थापित मूर्ति गर्भगृह में निर्मित स्तंभ पर विराजित है, जो अपने आप में अनूठी मानी जाती है। मंदिर निर्माण वेदोक्त विधि से किया गया है। प्राचीन नरसिंह मंदिर शहर के किसानी वार्ड में है।

साल में एक बार खुलता है तलघर
मंदिर में नरसिंह प्रतिमा ऐसे चमत्कारित कोण पर रखी गई है कि मूर्ति को चाहे मंदिर के समीप से देखा जाए या सौ मीटर दूर सडक़ से, खड़े होकर देखा जाए या बैठकर, देखने वाले को सभी ओर से प्रतिमा के ही दर्शन होते हैं। मंदिर में एक सुरंग भी है और एक तलघर भी है जोकि केवल नरसिंह जयंती पर ही दर्शनार्थ खोला जाता है।

नरसिंह भगवान विष्णु भगवान जी के अवतार हैं। हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस था। जिसको वरदान मिला था, कि वह ना ही रात में मर सकता है, ना दिन में मर सकता है। ना इंसान से मर सकता है और ना ही जानवर से मर सकता है। ना ही किसी अस्त्र से मर सकता है, और ना ही शस्त्र से मर सकता है। ना उसे स्त्री मार सकती है और ना ही पुरुष मार सकता है। इस वरदान के कारण हिरण्यकश्यप अपने आप को अमर समझता था और उसने पूरे संसार में तबाही मचा कर रखी थी। तब भगवान नरसिंह का अवतरण हुआ और उन्होंने हिरण्यकश्यप को मार दिया। भगवान नरसिंह का अवतार बहुत ही भयानक था। कोई भी उन्हें देख नहीं पा रहा था, क्योंकि भगवान नरसिंह आधा इंसान और आधा जानवर थे और उन्होंने अपने नाखून से हिरण्यकश्यप का वध किया था। हिरण कश्यप का वध शाम के समय हुआ था। इस तरह हिरण्यकश्यप का अंत हुआ।

नरसिंह जयंती का धार्मिक महत्व

नरसिंह जयंती का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु के अवतार भगवान नरसिंह की पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि आज के दिन पूजा करने से व्यक्ति के समस्त दुखों का निवारण होता है और जीवन अच्छे से सुख-समृद्धि के साथ बीतता है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर साथ-सुतरा वस्त्र धारण कर लें।पूजन से पूर्व पूजास्थल को साफ करें और विधिवत मूर्तियों या तस्वीरों की स्थापना करें। जयंती के इस दिन नरसिंह जी के साथ साथ लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है।पूजा के समय और दिन के समय भी भगवान नरसिंह जी की आराधना करें।पूजा के बाद देवताओं को नारियल, मिठाई, केसर और फलों का भोग लगाएं। नरसिंह जयंती पर भगवान नरसिंह का व्रत सूर्योदय के समय आरंभ होकर सूर्योदय पर ही समाप्त हो जाता है। इस व्रत में अनाज का सेवन निषेध है। शाम की पूजा के उपरांत तिल, भोजन और वस्त्र का दान करें। इससे पुण्य प्राप्त होता है।

नरसिंह जयंती को नरसिंह प्राकट्य दिवस के रूप से भी जाना जाता है। यह जयंती बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानकर मनाई जाती है। इस दिन को नरसिंह जी के भक्त पूजा और व्रत करते हैं। मान्यता है यदि नरसिंह जयंती के दिन आराधना और पूजन करने से समृद्धि, साहस और सफलता की प्राप्ति होती है।

अदिति न्यूज की तरफ से आप सभी को भगवान नरसिंह जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

 

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