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March 29, 2024
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धर्म

ज्ञानवापी मामले में जिला जज की अदालत में सुनवाई पूरी, फैसला कल के लिए सुरक्षित रखा

श्रृंगार गौरी की रोजाना पूजा की मांग,वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की पूजा की मांग,नंदी के उत्तर में मौजूद दीवार को तोड़कर मलबा हटाने की मांग,शिवलिंग की लंबाई, चौड़ाई जानने के लिए सर्वे की मांग वजूखाने का वैकल्पिक इंतजाम करने की मांग।

वजूखाने को सील करने का विरोध,1991 एक्ट के तहत ज्ञानवापी सर्वे और केस पर सवाल

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी मामले में वाराणसी जिला जज की अदालत में आज सुनवाई पूरी हो गई। मामले में कल (मंगलवार) अदालत का फैसला आ सकता है। दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस की अदालत ने फैसला कल तक के लिए सुरक्षित रखा है। कल न्यायालय की तरफ से बताया जाएगा कि यह मामले आगे सुनवाई योग्य है या नहीं। अब सबकी निगाहें जिला जज की अदालत पर टिकी हैं। इस मामले में अदालत को आठ सप्ताह में सुनवाई करने का निर्देश दिया गया है। ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी की दैनिक पूजा-अर्चना की इजाजत देने और अन्य देवी-देवताओं को संरक्षित करने को लेकर दायर वाद की सुनवाई आज हुई। इस दौरान कचहरी परिसर और आसपास सुरक्षा की कड़ी व्यवस्था रही।

करीब 45 मिनट तक अदालत की कार्यवाही चली। दरअसल, वादी पक्ष की तरफ से जिला जज की कोर्ट से यह मांग की गई कि विपक्षी कमीशन कार्यवाही पर आपत्ति दाखिल करे। वहीं प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की दलील थी कि पहले विशेष उपासना स्थल अधिनियम लगेगा या नहीं इस पर सुनवाई हो। अदालत इस पर कल आदेश करेगी। जिस पर अदालत ने 24 मई (मंगलवार) की तारीख सुनवाई के लिए तय कर दी। ऐसे में अब कल का दिन बेहद अहम होने वाला है।

हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता विष्णु जैन ने कहा कि सुनवाई पूरी हो चुकी है और फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। सुनवाई की अगली तारीख दी जाएगी।  हम लोगों ने कमीशन द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट की सीडी और तस्वीरें उपलब्ध कराने के लिए एक आवेदन दिया था। वहीं अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि हिंदू पक्ष का दावा मजबूत है। फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और बाकी सबूतों का अध्ययन करने के बाद कोर्ट कोई फैसला देगा। कल न्यायालय की तरफ से बताया जाएगा कि यह मामले आगे सुनवाई योग्य है या नहीं।
सुनवाई के दौरान जिला जज की अदालत में कुल 23 लोग मौजूद रहे। पुलिस के मुताबिक दोनों पक्षों के 19 वकीलों और चार याचिकाकर्ता कोर्ट रूम में मौजूद रहे। अंदर जाने की अनुमति उन्हें मिली जिनका नाम सूची में दर्ज था।

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