मृदुता का भाव ही मार्दव धर्म है,मुनि श्री निरंजन सागर जी
कुंडलपुर। सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में दशलक्षण पर्व पर विविध धार्मिक आयोजनों में श्रद्धालु भक्त उत्साह पूर्वक भाग ले रहे हैं ।पर्व के दूसरे दिन उत्तम मार्दव धर्म के दिवस पर प्रातः भक्तांमर महामंडल विधान श्रावकों द्वारा बड़े बाबा मंदिर परिसर में किया गया। विधान कर्ता नीरज जैन देवेंद्र जैन लखनादौन परिवार सम्मिलित हुआ ।पूज्य बड़े बाबा का अभिषेक शांतिधारा एवं पूजन विधान संपन्न हुआ ।शांति धारा एवं मंगल कलश करने का सौभाग्य अंकित रूपल राजेश संजय शशांक राजेंद्र परिवार परासिया ,अनिल दिनकर राव सुधाकरराव नागपुर ,कृतज्ञ अखिलेश कामना जैन परिवार दमोह को प्राप्त हुआ ।भगवान पारसनाथ की शांति धारा का सौभाग्य अर्णव अखिलेश रविंद्र जैन विदिशा, चक्रेश अच्छेलाल जैन कुम्हारी को प्राप्त हुआ छत्र एवं चंवर स्थापित करने का सौभाग्य अमित राकेश जैन गैरतगंज ,दीपक जैन गैरतगंज को प्राप्त हुआ ।दोपहर में विद्या भवन में कुंडलपुर क्षेत्र पर उपस्थित भक्तगण एवं स्थानीय श्रावकों द्वारा अत्यंत भक्ति भाव से संगीतमय शांति विधान किया गया। इस अवसर पर पूज्य मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज ने मार्दव धर्म पर प्रवचन देते हुए बताया कि व्यक्ति मान के कारण एक-दूसरे को नीचा दिखाता है ।मान का सम्मान का अभिमान का गलन करना ही मार्दव धर्म है । मृदुता का भाव ही मार्दव है। जितना आप सहज ,सरल हैं वह मार्दवता का प्रतीक है ।अहंकारी कभी किसी का आदर नहीं कर पाता। आतम के अहित विषय कषाय इनमें मेरी परिणति ना जाए, विषय कषाय को त्यागते जाएं। संसार को नष्ट करने वाली भावना को भायें। गुणी जनों को देख ह्रदय में मेरे प्रेम उमड़ आवे ।होता यह की गुणी जनों को देख लोग ईष्या करने लगते हैं ।हम अहम से अर्हम की ओर जाने की प्रक्रिया मार्दव धर्म से प्राप्त कर सकते हैं। सायंकाल पूज्य बड़े बाबा की संगीतमय भक्ति भाव के साथ महा आरती एवं भक्तांबर पाठ का आयोजन हुआ।