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April 20, 2024
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गाडरवारा,शिक्षक दिवस पर विशेष, क्या शिक्षक होना आसान है ? डा.सुशील शर्मा की कलम से

शिक्षण सबसे सम्मानजनक व्यवसायों में से एक है क्योंकि यह दूसरों के दिमाग को आकार देता है। इस प्रकार, दुनिया में एक महत्वपूर्ण अंतर बना रहा है।

गाडरवारा ।शिक्षक बनना कभी आसान नहीं रहा और न ही कभी आसान होगा। भारत में शिक्षक के लिए गुरू शब्द का प्रयोग प्राचीनकाल से होता आया है, गुरू का शाब्दिक अर्थ होता है संपूर्ण यानि जो हमें जीवन की संपूर्णता को हासिल करने की दिशा में बढ़ने के लिए हमारा पथ आलोकित करता है। 21वीं सदी में शिक्षा अनेकानेक बदलाव के दौर से गुजर रही है, पर मानवीय संपर्क और दो-तरफा संवाद की भूमिका समय के साथ और भी ज्यादा प्रासंगिक होकर हमारे सामने आ रही है।

एकालाप शिक्षण के दिन कम होते जा रहे हैं क्योंकि शिक्षार्थी सहयोगात्मक और आकर्षक परस्पर क्रिया के प्रति बेहतर प्रतिक्रिया देते हैं।

कहते हैं कि एक औसत शिक्षक समझाता है,एक अच्छा शिक्षक प्रयोग करके दिखाता है,लेकिन एक बेहतरीन शिक्षक वो हो जो,प्रेरित करता है ।”

अध्यापक शिक्षण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग है। अध्यापक के बिना शिक्षा की प्रक्रिया सफल रुप से नहीं चल सकती।अध्यापक न केवल छात्रों को शिक्षा प्रदान करके ही अपने दायित्वत से मुक्ति पा लेता है वरन उसका उत्तर दायित्व है तो इतना अधिक और महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक व्यक्ति उन्हें पूर्ण करने में समर्थ नहीं है। शिक्षक की क्रिया और व्यवहार का प्रभाव उसके विद्यार्थियों,विद्यालय और समाज पर पड़ता है।इस दृष्टि से कहा जाता है कि अध्यापक राष्ट्र का निर्माता होता है।अतः अध्यापक अपने कार्यों को सफलतापूर्वक एवं उचित प्रकार से करने के लिए आवश्यक है कि उसमें कुछ गुण अथवा विशेषताएं होनी चाहिए। सामान्यतः एक अच्छे अध्यापक में निम्नलिखित गुणों का होना अति आवश्यक है-

शिक्षक में मुख्य रुप से 4 गुण होने जरुरी है

1.शैक्षिक गुण/ योग्यताएं

2.व्यावसायिक गुण

3.व्यक्तित्व संबंधी गुण और

4. संबंध स्थापित करने का गुण।

शिक्षक के कर्तव्य और अपेक्षाएँ 

शिक्षक एक मुख्य व्यक्ति है जो किसी राष्ट्र की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने में, प्रगति करने में तथा प्रक्षेपण करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है शिक्षक के के द्वारा नई पीढ़ी सामाजिक वातावरण में एक अच्छा तथा सम्पन्न जीवन व्यतीत करने के लिए तैयार की जाती है।शिक्षकों से आशा की जाती है कि वह शिक्षण देंगे।किन्तु उनके सामने मुख्य प्रश्न यह नहीं होता है कि क्या पढ़ाया जाए वरन् यह कि किसलिए पढ़ाया जाए।

किसलिए का उत्तर दिया जाता है व्यक्ति की वृद्धि एवं विकास, सामाजिक प्रगति, राष्ट्रीय विकास एवं अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के सन्दर्भ में।

शिक्षकों की भूमिका किसी समाज या समुदाय में बहुत महत्त्वपूर्ण होती है। शिक्षकों की सामाजिक तथा •व्यक्तिगत प्रगति में महत्त्वपूर्ण भूमिका के कारण उन्हें वृत्तिक (Professional) कहा जाता है और शिक्षण को वृत्ति (Profession) ।वृत्ति की परिभाषा है- एक पेशा या व्यवसाय, जिसके लिए विशेषज्ञ ज्ञान या सीखना की अपेक्षा की जाती है। एक वृत्तिक वह है जो ज्ञान का भंडार अर्जित करता है, कुशलताओं की कड़ी में पारंगत होता है तथा उनका प्रयोग मानवता की सेवा के लिए करता है।

शिक्षक को वृत्तिक इसलिए कहते हैं क्योंकि उसे शिक्षण देने के लिए प्रशिक्षित किया गया है और उसने शिक्षण कुशलताएँ अर्जित कर ली हैं। वृत्तिक की भाँति शिक्षक से भी आशा की जाती है कि वह विशिष्ट आचरण के नियमों अथवा व्यवहार के प्रमाणों का पालन करेगा। इससे तात्पर्य है कि उसका व्यवहार नैतिक धारणाओं से नियंत्रित रहेगा।

१- भारतीय सन्दर्भ में शिक्षण सम्बन्ध वृत्तिक नैतिकता स्वयं ईश्वर से प्राप्त समझी जाती है। इसका उल्लेख उपनिषद् में गीता में तथा अन्य पुरातन भारतीय ग्रन्थों में मिलता है। शिक्षण की वृत्ति शिक्षक से आशा करती है कि वह अपने विचारों में आदर्शवादी होगा।उसमें वृत्तिक नैतिकता होगी और उसके व्यवहार का ऊँचा स्तर होगा।

2 – शिक्षक को अपना समस्त ज्ञान विद्यार्थियों को संचारित कर देना चाहिए।

3 – उसे लालची या बहुत महत्त्वाकांक्षी नहीं होना चाहिए। वृत्तिक नैतिकता उससे यह माँग करती है कि वह अपने ज्ञान के अनुपात में अपना वेतन या अनुदान नहीं माँगें कोई भी उसकी विद्वता के बराबर उसे धन नहीं दे सकता है, शिक्षक का सुसंस्कृत वृत्तिक व्यक्तित्व होना चाहिए।

4- उसके जीवन का ढंग उसके उत्तरदायित्व और प्रतिष्ठा के अनुरूप होना चाहिए ताकि वह विद्यार्थियों को प्रेरणा दे सके कि वह अपने जीवन में मानव मूल्यों को अपना लें।

5 -शिक्षक को अकादमी स्वतंत्रता (Academic freedom) होनी चाहिए।-उसको संस्कृति के भावार्थ को स्पष्ट करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। ज्ञान की खोज में उस पर किसी शक्ति या सत्ता का अंकुश नहीं होना चाहिए। उसे अपने मत को बिना भय या रंजिश के प्रकट करना चाहिए। उसे विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना चाहिए कि वह सत्य की खोज में बिना किसी रोक-टोक के लगे रहें।

6 – शिक्षक को विनम्र होना चाहिए।

7 -एक ज्ञानी शिक्षक जानता है कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। जो कुछ उसने सीखा है उससे कहीं अधिक ज्ञान बाकी है जिसके बारे में वह कुछ नहीं जानता।अतएव उसे आत्मपरीक्षण और आत्म-निर्धारण करना चाहिए।

8 -यह सत्य है कि यह शिक्षक जिसमें दूरदृष्टि है, वह किसी भी विशिष्ट कौशल या व्यवयाय को एक उदार रूप दे सकता है। शिक्षक ऐसी शिक्षा देते हैं जो कि स्वतंत्र मानव के लिए उपयुक्त है और स्वतंत्र मानव वह है जो अपने जीवन को अच्छी प्रकार से चिन्तन किये हुए जीवन दर्शन के अनुरूप बनाने के लिए स्वतंत्र है।

एक शिक्षक के रूप में चुनौतियाँ 

1 शिक्षक जैसे महान पेशे के लिए क्षेत्र में प्रभावी ढंग से जीवित रहने के लिए जबरदस्त मात्रा में धैर्य की आवश्यकता होती है।

2 -शिक्षण सीधे किसी के निजी जीवन को भी प्रभावित करता है। इससे गृहस्थ जीवन की दिनचर्या प्रभावित होती है। साथ ही, काम के घंटों के बाद स्कूल के काम में व्यस्त होने में भी समय लगता है।

३- यह पेशा बहुत मांग वाला हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आप कुछ नया शामिल करना चाहते हैं, तो हो सकता है कि आपको इसके लिए आवश्यक प्रोत्साहन या प्रशंसा न मिले। इसका असर शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।

4 – एक शिक्षक को हमेशा दुनिया भर में हो रही घटनाओं से अपडेट रहने की जरूरत होती है, खासकर उसके शिक्षण के क्षेत्र में। जब एक शिक्षक के पास पर्याप्त ज्ञान नहीं होगा, तो वह छात्रों को कैसे पढ़ाएगा? इस प्रकार, एक शिक्षक जीवन भर सीखने वाला रहता है!

5 – इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई कितना इनकार करता है, पेशे को उतना महत्व नहीं दिया जाता जितना कि उसके समकक्षों को। आज भी, इस नौकरी में वेतन दूसरों की तुलना में कम है, जिसके लिए उतनी ही मेहनत और प्रयास की आवश्यकता होती है।

६- छात्रों को प्रबंधित करना बिल्कुल भी आसान नहीं है! ऐसे लोग हो सकते हैं जो बिल्कुल भी मेहनत नहीं करना चाहते हैं और हमेशा सफलता के लिए एक छोटा रास्ता खोजने की कोशिश करते हैं।

७- किसी भी समय, ऐसे छात्र हो सकते हैं जो बहुत कुख्यात हों। या, कुछ स्वास्थ्य या अवसाद के मुद्दों का सामना कर रहे होंगे, और एक शिक्षक को अपने आसपास एक दोस्ताना माहौल और शांत वातावरण बनाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना होगा!

८- एक अन्य कारक जो यहाँ सूचक के रूप में आता है वह यह है कि एक शिक्षक को हमेशा अपने जीवन की योजना स्कूल के आसपास ही बनाने की आवश्यकता होती है। यानी गेट-टुगेदर, मीटिंग या फैमिली वेकेशन प्लान करने के लिए स्कूल के हिसाब से समय तय करना होगा। केवल स्कूल की छुट्टियों के दौरान ही व्यक्ति अपने लिए कुछ योजना बनाने के लिए स्वतंत्र हो जाता है।

९-शिक्षक की भूमिका एक ऐसे कोच की भांति है जो ओलंपिक जैसे किसी कड़ी प्रतिस्पर्धा वाले खेल के लिए अपने बच्चों को तैयार करता है। मगर यह भी जानता है कि इस खेल में हर किसी को एक ही मंज़िल पर नहीं जाना है। इनमें से बहुत से हैं जो अच्छे दर्शक बनेंगे। इनमें वे भी हैं जो लेखक बनेंगे। इनमें वे बच्चे भी हैं जो संगीत की दुनिया में अपना नाम रौशन करेंगे। इनमें वे बच्चे भी हैं जो शिक्षक बनकर बाकी बच्चों के सपनों को साकार करने की भूमिका स्वीकार करेंगे। यानि एक शिक्षक संभावनाओं के द्वार के पार जाने वाले इंसानों को निर्माण की भूमिका में सदैव समर्पण के साथ लगा रहता है, वह मात्र वेतनभोगी नहीं होता।

थोड़ा सा तकनीकी ज्ञान छात्रों के साथ गहरे संबंध स्थापित करने में काफी मददगार हो सकता है। एक ऐसे युग में जब पूरा कैंपस डिजिटल हो रहा है, एक शिक्षक जो तकनीक से दूर है, वह छात्रों को अलग-थलग करने में ही सफल होगा। 21वीं सदी के शिक्षकों को भी बुरी लत और अच्छी लत के बीच अंतर करने में सक्षम होना चाहिए। स्क्रीन-एडिक्शन एक ऐसी चीज है जो आज हर माता-पिता को परेशान करती है। 21वीं सदी के शिक्षक के रूप में, उस स्क्रीन-लत को सीखने की लत में बदलने की शक्ति है। तकनीकी दुनिया के चमत्कारों का लाभ उठाने के लिए एक बच्चे की जिज्ञासा को कक्षा से ऊपर और उससे आगे जाने के लिए प्रोत्साहित करना है, जहां एक 21 वीं सदी के शिक्षक को उत्कृष्टता प्राप्त करनी चाहिए।

इस बात से कोई इंकार नहीं है कि आज के छात्र पाठ्यपुस्तकों से ज्यादा इंटरनेट से सीखते हैं। ऐसे में 21वीं सदी के एक शिक्षक को अपने सरल प्रश्नों से स्तब्ध रह जाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। आप देखिए, आज बच्चों के पास अधिक जानकारी तक पहुंच है, जितना कि एक शिक्षक अपने सिर के चारों ओर लपेट सकता है। इस प्रकार, 21वीं सदी के शिक्षक को एक ऐसा शिक्षार्थी होना चाहिए, जो छात्रों के साथ-साथ सीखता हो। और न केवल साथ में, बल्कि छात्रों से भी। शिक्षक को एक शिक्षार्थी की भूमिका निभाने का समय आ गया है।

एक बेहतरीन शिक्षक वो है जो ना केवल बच्चे के अन्दर छिपी प्रतिभा को पहचानता है , बल्कि पहचानने के साथ- साथ उसे पुष्पित- पल्लवित करता है, और उसे इतना अधिक प्रेरित कर देता है कि संघर्षों की आँधियाँ भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाती । सुसंस्कारों की मजबूत बुनियाद पर टिके ज्ञान से भरे ऊर्जावान व अपने आचरण से प्रेरणा भर देने वाले शिक्षक ही किसी देश की अमूल्य थाती होते हैं, और अब इस देश को ऐसे ही शिक्षकों की आवश्यकता है।

अंत में, 21वीं सदी का शिक्षक एक जागरूक वैश्विक संरक्षक है, जो युवा दिमागों को प्रश्न पूछने के लिए एक सुरक्षित और उत्साहजनक स्थान प्रदान करता है और उन्हें उत्तर खोजने के लिए सही चैनलों का उपयोग करने में मदद करता है। अब समय आ गया है कि हम सभी इस तथ्य से परिचित हों कि एक बटन के क्लिक पर जानकारी उपलब्ध होने के कारण, शिक्षक का काम अब जानकारी देने का नहीं रह गया है। 21वीं सदी का शिक्षक छात्रों को आसानी से उपलब्ध जानकारी को प्रभावी ढंग से उपभोग करने और व्याख्या करने के लिए तैयार करने के बारे में है, जो पीढ़ी के सामूहिक हित के लिए सबसे उपयुक्त है।

एक शिक्षक होना कहाँ आसान है….
(शिक्षक दिवस पर कविता )

शिक्षक सिर्फ शिक्षक नहीं होते
वो होते हैं जिन्न
वे एक साथ कई भूमिकाएँ निभाते हैं।
जब खिलखिलाते हैं
तब वे होते हैं मित्र
डाँटते हैं तो पिता जैसे
लाड़ करते हैं माँ जैसे
कक्षा में ज्ञान देते समय
वो बन जाते हैं ईश्वर
वो स्कूल पहुंचते हैं हमसे बहुत पहले
ताकि कर सकें हमें ज्ञान देने की तैयारी
फिर लौटते हैं हमसे बहुत बाद
शाम के झूलपटे में
उन्हें भी लाना होता घर का सामान
सब्जी तेल अनाज
उन्हें भी करनी होती है
परिवार की परवरिश
उनके पास बच्चे हैं,
उनकी पढ़ाई की चिंता है
उनके प्रश्नों और उनकी जरूरतों को
करना है पूरा
उन्हें करनी है देखभाल
पति की सास ससुर माता पिता की
उन्हें निपटाने हैं सामाजिक सरोकार
फिर स्कूल में में आकर
पढ़ाई के साथ
चुनाव ,मध्यान्ह भोजन
सर्वे ,प्रशिक्षण ,साफसफाई
सांस्कृतिक कार्यक्रम
फिर निकालना है
माननीयों की रैली
देना है अधिकारीयों के पत्रों के जबाब
जरा सी चूक में खाना है अधिकारीयों की डाँटें
पूरी करनी हैं जनप्रतिनिधियों की
गैर जरुरी माँगें
उन्हें पहनना हैं सीधे सरल कपड़े
तड़कभड़क से दूर
बिना शिकायत के
बिना उम्मीदों के
निरंतर चलना है कर्तव्यपथ पर।
जलते रहना है निरंतर
देना है ज्ञान का प्रकाश
जिससे आलोकित हो
भारत का भविष्य।
शिक्षक होना
कहाँ आसान है ?

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