पं.सुशील शर्मा द्वारा शरदपूर्णिमा व जन्मदिन पर रचित रचना
हे शरद के चंद्र
ये शरद के चन्द्र
तुम इतने शुभ्र शीतल
प्यार में पगे से।
कुछ सोए कुछ
अधनीदें जगे से।
स्वप्नीले आसमान में
तुम इतने निर्मल
हे शरद के चंद्र
तुम इतने शुभ्र शीतल।
नील लोहित शाम
का है इशारा।
उड़ती गोधूलि बेला
अद्भुत नजारा।
नील मणि सदृश्य
आकाश में तरल।
हे शरद के चंद्र
तुम इतने धवल।
प्रिय प्रेम पाश में बंधी
अनवरत विकल।
ये चांदनी क्यों बिछी
हीरक सी तरल।
ये नवयौवना सी सरिता
क्यों भागे उछल उछल।
हे शरद के चंद्र
दिखते तुम नवल।
गाडरवारा के गौरव एवं प्रसिद्ध साहित्यकार पं.श्री सुशील शर्मा जी के जन्म दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ,,,