मुनि श्री 108 निरंजन सागर जी महाराज जी का पांचवा दीक्षा महा महोत्सव क्षेत्र कुंडलपुर में दी पहचान गुरु द्रोणाचार्य ने एकलव्य को
परम पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य मुनि श्री 108 निरंजन सागर जी महाराज का पांचवा दीक्षा समारोह सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में अगन कृष्ण षष्ठी सोमवार को अत्यंत धूमधाम के साथ मनाया गया । कार्यक्रम में मंगलाचरण का सौभाग्य कुंडलपुर निवासी श्रीमती शिखा जैन श्रीमती शैली जैन श्रीमती रचना जैन को प्राप्त हुआ चित्र अनावरण का सौभाग्य मुनि श्री के ग्रहस्थ जीवन के माता-पिता श्रीमती किरण जैन विजय कुमार जैन इंदौर को प्राप्त हुआ, दीप प्रज्वलन का सौभाग्य गुरु भक्त परिवार सहारनपुर को प्राप्त हुआ गुरुदेव को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य श्री संतोष जैन जुन्नारदेव कुंडलपुर को एवं महाराज श्री के ग्रहस्थ जीवन के माता-पिता को प्राप्त हुआ, ब्रह्मचारिणी सुनीता दीदी ने बताया मुनि श्री निरंजन सागर महाराज श्री का जन्म 9 मई 1983 को इंदौर में हुआ था पूर्व नाम मनीष जैन लोकिक शिक्षा इंदौर आई एम एस से एम. ए. एमबीए की शिक्षा पूर्ण करके 2015 में आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज से ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया एवम 28 नवंबर 2018 को श्री विद्यासागर जी महाराज के कर कमलों से दीक्षा प्राप्त हुई । तत्पश्चात मुनि श्री के जीवन पर आधारित प्रोजेक्ट के माध्यम से 20 मिनट का वीडियो चलाया गया, जिसे देखकर देश-विदेश से आए हुए भक्तों पर अत्यंत उत्साहित हो गए तत्पश्चात श्री 108 विद्यासागर जी महाराज श्री की पूजन मनोज जैन एंड पार्टी के द्वारा संपन्न हुई। *परम पूज्य मुनि* श्री ने अपने मंगलमय प्रवचन में गुरुदेव की महिमा को बताते हुए कहा आज आचार्य गुरुवर विद्यासागर जी महाराज पृथ्वी की पर्यायवाची बन चुके हैं जिस प्रकार पृथ्वी में गुरूत्वाकर्षण होता है वैसे ही आज आचार्य श्री के व्यक्तित्व में भी गुरूत्वाकर्षण है जिससे भक्त गुरूदेव की तरफ आकर्षित हो रहे है, इसके पीछे गुरुदेव का अथक परिश्रम है एवं उनके पूर्व जन्म के संचित पुण्य है एवम इस जन्म में भी उन्होंने अपनी काया को तप के माध्यम से इतना तपाया कि गुरुदेव का शरीर स्वर्ण के समान उज्जवल हो गया हैं। गुरुदेव के अंदर वह व्यक्तित्व है जिसके कारण आज गुरुदेव के दर्शनबंदना चरण छूने के लिए, गुरुदेव के साथ चलने के लिए, मार्गदर्शन पाने के लिए भक्त लालायित रहते हैं। गुरुदेव अत्यंत धीर वीर हैं और आज इतने बड़े संघ का संचालन कर रहे एवम पूरा संघ अनुशासन के साथ आज्ञा का पालन कर रहा है। गुरुदेव के विषय में उनको गुणों का वर्णन जितना वर्णन करें वह कम है। आज बाल दिवस है और आज की तिथि पर 28 नवंबर 2018 में हम और हमारे साथ 9 भाइयों की ललितपुर में गुरुदेव के कर कमलों से दीक्षा संपन्न हुई थी। हम जैसे अबोधबालक को गुरुदेव ने अपना शिष्य स्वीकारते हुए मोक्ष मार्ग पर लगा दिया है। गुरुदेव का उपकार है कि आज हम दीक्षा प्राप्त करके मोक्ष मार्ग की ओर चल रहे हैं ।गुरुदेव के उपकार को हम कभी नहीं भूल सकते हैं । बिना गुरु के कभी शिष्य का कल्याण नहीं हो सकता है। जिस प्रकार एक एकलव्य ने अपने गुरु द्रोणाचार्य के माध्यम से ही सब कुछ ज्ञान प्राप्त किया था और गुरु के प्रति समर्पित था कि गुरु की आज्ञा से अंगूठा भी समर्पित कर दिया था इसलिए आज भी जितना नाम सभी पांडवों का लेते हैं उतना ही नाम एकलव्य का भी लिया जाता है। यह सब गुरु द्रोणाचार्य का ही आशीर्वाद का फल है। क्योंकि एकलव्य के अंदर गुरुदेव के प्रति समर्पण था। वैसा ही जितना ज्यादा शिष्य का गुरू के प्रति समर्पण होता है उतनी आगे शिष्य बढ़ता जाता है।
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