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March 29, 2024
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वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर उभरा मध्यप्रदेश

वर्ष 2022 में वैश्विक स्तर पर उभरा मध्यप्रदेश

नरसिंहपुर।मध्यप्रदेश के लिये वर्ष 2022 कई अर्थों में ऐतिहासिक रहा। जन-मानस के स्मृति पटल पर कई घटनाएँ वर्षों तक अंकित रहेंगी। कोविड की चुनौतियों को परास्त करते हुए वर्ष 2022 की शुरूआत से ही मध्यप्रदेश ने नया इतिहास लिखना शुरू कर दिया था। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश की नींव मजबूत करने की शुरुआत हुई। मध्यप्रदेश के समकालीन सामाजिक-आर्थिक और पर्यावरणीय इतिहास में ऐसी अभूतपूर्व घटनाएँ 2022 में हुई, जो वैश्विक स्तर पर भी छाई रही।

चीतों की पुनर्स्थापना

पालपुर कूनो राष्ट्रीय उदयान में चीतों की पुनर्स्थापना का सपना सच हुआ। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपने जन्म-दिन पर पालपुर कूनो में नामीबिया से लाए चीतों को छोड़ा। यह विश्व के वन्य-जीव इतिहास की अनूठी और अभूतपूर्व घटना थी। इससे मध्यप्रदेश को वैश्विक मानचित्र पर गौरवशाली स्थान मिला। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस अवसर पर कहा कि भारत में चीतों की वापसी से अब जैव विविधता की टूटी कड़ी पुन: जुड़ गई है। भारत की प्रकृति प्रेमी चेतना भी पूरी शक्ति से जाग्रत हो गई है। आज भारत की धरती पर चीता लौट आया है। आजादी के अमृत महोत्सव में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। उन्होंने यह भी सीख दी कि प्रकृति और पर्यावरण के सरंक्षण में ही भविष्य सुरक्षित है।

इंदौर के मॉडल ने विश्व का ध्यान आकर्षित किया

इंदौर में पर्यावरणीय इतिहास का नया अध्याय शुरू हुआ। शहरों को कूड़े के पहाड़ों से मुक्त करने के इंदौर मॉडल ने पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया। अन्य शहरों के लिए प्रेरणा बनेगा। इंदौर के देवगुराड़िया क्षेत्र में कभी कूड़े के पहाड़ थे, अब 100 एकड़ की डंप साइट ग्रीन जोन में परिवर्तित हो गई है। इंदौर में गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट बनने से वेस्ट-टू-वेल्थ तथा सर्कुलर इकोनामी की परिकल्पना साकार हुई। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने वर्चुअल माध्यम से इंदौर में गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण किया।

प्रधानमंत्री ने ग्लासगो जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में वर्ष 2070 तक कार्बन उत्सर्ज को नेट जीरो करने का लक्ष्य दोहराया। इसमें मध्यप्रदेश मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में अपना योगदान दे रहा है। लक्ष्य बड़ा है लेकिन शुरूआत उत्साहजनक और ऊर्जा से भरपूर है।

श्री महाकाल लोक की धूम

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा उज्जैन में ‘श्री महाकाल लोक’ का लोकार्पण भारत के आध्यात्मिक इतिहास की अभूतपूर्व घटना है। प्रधानमंत्री के अनुसार भारत के सांस्कृतिक वैभव की पुनर्स्थापना का लाभ न केवल भारत को अपितु पूरे विश्व एवं समूची मानवता को मिलेगा। प्रधानमंत्री ने अपने आध्यात्मिक ओजपूर्ण उदबोधन में कहा कि ‘श्री महाकाल महालोक’ दिव्य है। यहाँ सब कुछ अलौकिक, अविस्मरणीय एवं अविश्वसनीय है। महाकाल की आराधना अन्त से अनन्त की यात्रा है, आनन्द की यात्रा है, इससे काल की रेखाएँ भी मिट जाती हैं। महाकाल लोक आने वाली कई पीढ़ियों को अलौकिक दिव्यता और सांस्कृतिक ऊर्जा की चेतना प्रदान करेगा। उन्होंने इस अद्भुत कार्य के लिये मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान और मन्दिर समिति का अभिनन्दन किया।

परिवर्तनकारी निर्णय

जनजातीय समुदाय के हित में पेसा कानून लागू करना सरकार का अभूतपूर्व निर्णय है। पेसा एक्ट जनजातीय समाज को सफलता के शिखर पर ले जायेगा। जनजातीय बहुल विकासखंडों में पेसा एक्ट लागू होने से जनजातीय समुदाय को जल, जंगल और जमीन का हक मिलेगा। पेसा एक्ट के माध्यम से जनजातीय वर्ग की जिंदगी बदलने का काम शुरू हो चुका है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इसे महा अभियान का स्वरूप दिया है। हर गाँव में समितियाँ बनेगी। इन समितियों में एक तिहाई सदस्य महिलाएँ होंगी। ग्राम सभाओं को अपने गाँव की जल, जंगल और जमीन के उपयोग का पूरा अधिकार होगा। छल-कपट से छीनी गई जमीन पर जनजातीय समाज को दोबारा अधिकार दिलवायेगा। गाँव की रेत, गिट्टी, पत्थर पर पहला हक जनजातीय सहकारी समितियों का होगा।

गौण वन संपदा जैसे अचार की गुठली, महुए का फूल, महुए की गुल्ली, हर्रा, बहेड़ा, बाँस, आंवला,तेन्दूपत्ता आदि को बेचने, बीनने और इनके मूल्य निर्धारण का अधिकार भी अब ग्राम सभा के पास होगा। साथ ही ग्राम सभा,अमृत सरोवर और तालाबों का प्रबंधन भी करेगी। तालाबों में सिंघाड़ा उगाने, मछली पालन और मत्स्याखेट की सहमति भी ग्राम सभा देगी।

एक साल में एक लाख पदों पर भर्ती

वर्ष 2022 में प्रदेश में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये मिशन के रूप में कार्य करते हुए आगामी 1 वर्ष में 1 लाख पदों पर भर्ती का बड़ा निर्णय लिया गया। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ विक्रेता योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, पीएम स्वनिधि योजना, राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना और संत रविदास स्व-रोजगार योजना में विगत एक वर्ष में 31 लाख 19 हजार से अधिक स्व-रोजगार के अवसर सृजित किये गये।

मध्यप्रदेश की तारीफ

छतरपुर में गर्भवती महिलाओं का पंजीयन बढ़ाने के प्रयास को प्रधानमंत्री श्री मोदी ने छतरपुर जिले की बड़ी उपलब्धि और दूसरे जिलों के लिए सीखने योग्य प्रयास बताया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने “मन की बात” कार्यक्रम में कुपोषण को दूर करने के लिए दतिया ज़िले में चलाए गए “मेरा बच्चा अभियान” की सफलता पर अभियान की प्रशंसा की। “मेरा बच्चा अभियान” से न सिर्फ़ आँगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी बल्कि कुपोषण भी कम हुआ है।

भारत सरकार की जल जीवन मिशन योजना में वित्त वर्ष 2021-22 में केन्द्रांश- राज्यांश की राशि के व्यय में मध्यप्रदेश 2,790 करोड़ की राशि का उपयोग कर प्रथम स्थान पर है। हर घर जल उपलब्ध करवाने में मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर है।

आर्थिक क्षेत्र में भी प्रदेश की उल्लेखनीय सफलता वर्ष 2022 में रेखांकित हुई है। हाल ही में मध्यप्रदेश के प्रवास पर आई केन्द्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन ने भी इसके लिये प्रदेश की सराहना की। वित्तीय और लोक परिसम्पत्ति प्रबंधन (पीएएम) के क्षेत्र में प्रदेश आगे रहा है। आर्थिक वृद्धि दर 19.74 प्रतिशत रही, जो देश में सर्वाधिक है। प्रदेश हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है। वित्तीय प्रबंधन में राज्य ने अनेक नवाचार कर अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किये। आत्म-निर्भर भारत में मध्यप्रदेश अपना बेहतर योगदान दे रहा है।

स्वस्थ मध्यप्रदेश की दिशा में लगातार प्रयासरत मध्यप्रदेश

नरसिंहपुर।मध्यप्रदेश सरकार स्वस्थ मध्यप्रदेश की दिशा में प्रदेश के सभी नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ देने के लिए लगातार प्रयासरत है। वर्तमान में 52 जिला चिकित्सालय, 119 सिविल अस्पताल, 356 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, 1266 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं 10 हजार 287 उप स्वास्थ्य केन्द्र से प्रदेश के नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ केन्द्र एवं प्रदेश शासन की स्वास्थ्य से जुड़ी विभिन्न जन-कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी दिया जा रहा है।

प्रदेश में स्वास्थ्य संस्थाओं को सुदृढ़ करने के लिए पिछले 3 वर्षों में 861 संस्थाओं का उन्नयन और विकास किया गया है। इनमें 278 स्वास्थ्य केन्द्र, 426 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 74 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र 71, सिविल अस्पताल और 12 जिला अस्पताल शामिल है। इसी अवधि में में 646 संस्थाओं के भवनों का निर्माण कार्य किया गया। इनमें 2 जिला चिकित्सालय, 12 सिविल अस्पताल, 18 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 27 प्राथमिक स्वास्थ्य और 587 उप स्वास्थ्य केंद्र शामिल है।

प्रदेश में कोविड से पहले आईसीयू बेड मात्र 277 थे, जिन्हें बढ़ाकर 2085 किया गया है। सभी 52 जिला चिकित्सालय में एलएमओ टैंक और अस्पतालों में 209 पी एस ए प्लांट स्थापित किए गए हैं। जिला चिकित्सालयों के 60 प्रतिशत बिस्तरों पर ऑक्सीजन सप्लाई की उपलब्धता और सभी जिला चिकित्सालय में पाईआईसीयू वार्ड बनाकर इन वार्डो में 730 बिस्तर की व्यवस्था की गई है।

सभी जिला चिकित्सालय और 35 सिविल अस्पतालों में वेटलीज रेंटल रिएजेंट मॉडल के माध्यम से नि:शुल्क 132 जाँचे करने के लिए उच्च डायग्नोस्टिक लैब की सेवाएँ शुरू की गई है। सभी 51 जिला चिकित्सालय और 8 सिविल अस्पताल में डायलिसिस इकाई के संचालन के अलावा 49 जिला चिकित्सालय और 4 सिविल अस्पताल में पीपीपी मोड पर सी.टी. स्केन की सुविधा शुरू की गई है।

हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, लक्ष्य से अधिक उपलब्धि पर पुरस्कृत

भारत सरकार द्वारा प्रदेश के लिये 10 हजार 535 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर क्रियाशील करने के लक्ष्य के विरूद्ध 11 हजार 360 स्वास्थ्य केंद्र को हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर के रूप में क्रियाशील किया गया है, जो लक्ष्य के विरूद्ध 107 प्रतिशत उपलब्धि है।

हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों के लिए 9800 से अधिक कमेटी हेल्थ ऑफिसर की पदस्थापना की जा चुकी है। सभी सेंटर की टीम को प्रशिक्षण दिया गया है उन्हें मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य परिवार कल्याण गैर संचारी रोग टीवी ओरल हेल्थ ईट राइट जैसे विषयों पर प्रशिक्षित किया गया है। सभी सेंटर को भारत सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार डिजाइन और विकसित किया गया है।

इन सेंटर के माध्यम से गर्भावस्था और नवजात शिशु स्वास्थ्य, नवजात और शिशु स्वास्थ्य, बचपन और किशोर स्वास्थ्य, परिवार नियोजन एवं देखभाल सेवाएँ, संचारी रोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रम, सामान्य रोगों की देखभाल, गैर संचारी रोगों की जाँच, रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन, नेत्र, ईएनटी देखभाल सेवाएँ, मुख स्वास्थ्य, वृद्धजन स्वास्थ्य देखभाल, आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ, मानसिक स्वास्थ्य की जाँच और बुनियादी प्रबंधन किया जा रहा है। प्रदेश में कुल 8946 स्पोक और 5183 हब के माध्यम से टेली कंसल्टेशन सेवाएँ भी दी जा रही हैं।

अस्पतालों में मिलने वाली दवाओं में बढ़ोत्तरी

पहले जिला अस्पताल में मिलने वाली 295 तरह की दवा की संख्या बढ़ाकर 530 की गई है। सिविल अस्पताल में दवाओं की संख्या 270 से बढ़ाकर 448, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 253 से बढ़ाकर 273, शहरी एवं ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक स्तर पर 204 से बढ़ाकर 299 तथा उप स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर उपलब्ध आवश्यक दवाओं की संख्या 97 से बढ़ाकर 126 की गई है।

जिला अस्पतालों में कैंसर का उपचार

कैंसर कीमोथेरपी सुविधाओं का सुदृढ़ीकरण किया गया है। वर्तमान में 51 जिला चिकित्सालयों में प्रति चिकित्सालय 4 बेड कैंसर कीमोथेरेपी के लिए आरक्षित हैं और प्रति सिविल अस्पताल 02 बेड आरक्षित किए जा रहे हैं। कैंसर कीमोथेरपी करने के लिए चिकित्सा अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया है। कैंसर उपचार की आवश्यक कुल 43 प्रकार की औषधियों का प्रावधान किया गया है।

अस्पतालों में डायलिसिस सुविधा

वर्तमान में प्रदेश में 194 डायलिसिस मशीन उपलब्ध हैं तथा 102 नई मशीन क्रय की जा रही हैं। रोगियों को डायलिसिस के लिए प्रतीक्षा न करना पड़े, इसके लिए चरणबद्ध ढंग से सुविधा को विकसित किया जायेगा।

जिला चिकित्सालयों में फिजियोथेरेपी

सभी जिला चिकित्सालयों में फिजियोथेरेपी यूनिट स्थापित कर महिला एवं पुरुष फिजियोथेरेपिस्ट पदस्थ किए गए हैं। इससे वृद्धजन को काफी फायदा मिला है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों के समय की बचत के लिए क्यू मैनेजमेंट सिस्टम शुरू किया जाएगा। साथ ही मरीज और उनके परिजन की सहायता के लिए सहायता केन्द्र की स्थापना भी की जा रही है।

उन्नत उपकरण एवं पैथालॉजी

प्रदेश में सीटी स्केन, सोनोग्राफी, डिजिटल एवं कंप्यूटराइज्ड एक्स रे मशीनों जैसे अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण उपलब्ध है। जिला चिकित्सालयों में हीमेटोलॉजी, बायोकेमिस्ट्री, हॉर्मोनल, कैंसर मार्कर आदि उन्नत पैथालाजी जाँचों की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा चुकी है। हब एंड स्पोक मॉडल से सी. बी.सी., किड्नी फंक्शन टेस्ट, लिवर फंक्शन टेस्ट, मधुमेह जाँच, सीरम कोलेस्ट्रोल जैसी अत्याधुनिक जाँचों की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। सरकारी अस्पतालों में एबीजी मशीन, ईटीओ स्टायजर, एनेस्थेसी वर्क स्टेशन, हाइड्रोलिक ओ टी टेबल, ओपीडी किट (स्टेथोस्कोप, डिजिटल थर्मामीटर, पर्क्यूशन हैमर, एपइंडी टॉर्च, मेजरिंग टेप, ओटोस्काप, ट्यूनिंग फोर्क) एवं बीएमआई मशीन जैसे अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराये गये हैं।

आयुष्मान योजना में देश में प्रथम

आयुष्मान योजना में देश में उत्कृष्ट कार्य करने वाले राज्यों में मध्यप्रदेश अग्रणी राज्यों में शामिल है। प्रदेश में सर्वाधिक लगभग 3 करोड़ 50 लाख आयुष्मान कार्ड बनाए गए है। जो कि लक्ष्य के विरुद्ध 71 प्रतिशत उपलब्धि है। कार्ड बनाने में मध्यप्रदेश का देश में पहला स्थान है। प्रदेश में कुल 1 करोड़ 8 लाख पात्र परिवार है और 4 करोड़ 70 लाख पात्र हितग्राहियों के आयुष्‍मान कार्ड बनाये जाना है। अब तक 3200 करोड़ से 21 लाख 10 हजार व्यक्तियों को आयुष्मान योजना में उपचार का लाभ दिया गया है।

मरीजों से वर्चुअली संवाद का नवाचार

सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं के संचालन और योजनाओं के क्रियान्वयन की वास्तविक स्थिति के आकलन और नागरिकों को दी जा रही सेवाओं एवं सुविधाओं की जमीनी सच्चाई/ फीडबेक प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने प्रत्येक सोमवार को प्रदेश के किन्हीं दो जिला अस्पतालों में भर्ती मरीजों से वीडियो कॉल से सीधा (वर्चुअली) संवाद कर उनसे फीडबेक लेने का नवाचार शुरू किया है। मरीजों से स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी एक आम नागरिक की तरह पूरी आत्मीयता से मरीजों से बात कर स्वयं एक चिकित्सक होने के नाते उनके स्वास्थ्य और उन्हें मिल रहे उपचार की जानकारी लेते है। इस नवाचार से जहाँ एक तरफ नागरिकों को शासन की संवेदनशीलता का आभास होता है, दूसरी तरफ अस्पतालों में कार्यरत अमला भी सतत क्रियाशील रहता है।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी अब तक प्रसूति वार्ड, पुरुष, महिला वार्ड, बच्चा वार्ड, सर्जिकल वार्ड, ए.एन.सी.यू. डूंगू वार्ड इत्यादि में भर्ती 235 मरीजों से सीधा संवाद कर उनके स्वास्थ्य एवं उन्हें दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं का फीडबेक प्राप्त किया है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. चौधरी ने अस्पतालों में भर्ती मरीजों से अस्पताल लाने के लिए समय पर एंबुलेंस की उपलब्धता, अस्पताल में आने के बाद चिकित्सक द्वारा उनका परीक्षण और आवश्कता अनुसार अस्पताल में निशुल्क जाँच, अस्पताल से दवा, भर्ती मरीजों के लिए अस्पताल से नाश्ता, भोजन, दूध एवं गर्भवती माता को स्वास्थ्यवर्धक लड्डू देने, प्रतिदिन कलर कोड वाईज चादर को बदले जाना आदि की जानकारी प्राप्त की।

संपूर्ण कायाकल्प अभियान

मंत्री डॉ. चौधरी ने संवेदनशील मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं को सुविधा संपन्न बनाए जाने के रोडमेप पर आगे बढ़ते हुए नागरिकों एवं स्वास्थ्य अधिकारियों से मिले फीडबैक के आधार पर सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं की व्यवस्थाओं को दुरूस्त किये जाने की कार्यवाही की। इस तरह प्रदेश में स्वास्थ्य संस्थाओं के सुदृढ़ीकरण के लिए संपूर्ण कायाकल्प अभियान शुरू हुआ। संपूर्ण अभियान में प्रदेश की सभी स्वास्थ्य संस्थाओं की अधोसंरचना को निर्धारित समय-सीमा में बेहतर और सुदृढ़ बनाने की कार्य-योजना बनाई गई। मुख्य रूप से स्वास्थ्य संस्थाओं की अधोसंरचना का विकास एवं भवन के रख-रखाव का कार्य समय-सीमा में संकल्पित किया गया। भविष्य की कार्य-योजना में चिकित्सा उपकरण और संस्थाओं में जाँच, परीक्षण सेवाओं एवं दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता, डायलिसिस एवं कैंसर की नई उपचार सेवाओं का विकास, ब्लड बैंक एवं ब्लड स्टोरेज का सुदृढ़ीकरण, विशेषज्ञों की कमी को दूर करने के लिए टेली मेडिसिन सेवाओं का विस्तार, रोगियों के लिए हितग्राहीमूलक सेवाओं का विकास, खाद्य सुरक्षा प्रयोगशाला की स्थापना और स्वास्थ्य सेवाओं में जन-भागीदारी को बढ़ावा देने जैसे कार्यों को मिशन के रूप में शामिल किया गया। अस्पतालों में समस्त उपकरणों एवं फर्नीचर का उचित रख-रखाव किया जा रहा है। पुराने / अनुउपयोगी फर्नीचर/उपकरण इत्यादि का नियमानुसार निपटान किया जा रहा है। अब मरीजों के लिए फर्नीचर, चादर, तकिये, गद्दे तथा उनके कवर भी नए हैं।

इस अभियान में स्वास्थ्य संस्थाओं के भवनों की सामान्य और विशेष मरम्मत के लिए 146 करोड़ रुपए दिए गए। इसी राशि से सभी प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, सिविल और जिला चिकित्सालय में आवश्यक मरम्मत कार्य, रंगाई-पुताई करायी गयी। साथ ही चिकित्सालयों में आवश्यक उपकरण, फर्नीचर, हेल्पडेस्क, क्यू मैनेजमेंट, सर्विसेज और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराने के लिए 434 करोड़ रुपए दिए गए।

टी.बी. मुक्त प्रदेश और देश बनायेंगे

प्रदेश और देश को टी.बी. मुक्त बनाने के लक्ष्य को पाने के लिये भी निरंतर कार्य किया जा रहा है। टी.बी. रोग के प्रति जन-समुदाय, स्कूल और शासकीय विभागों में जागरूकता समन्वय किया जा रहा है। एक्टिव केस फाइडिंग (एसीएफ) के माध्यम से शत प्रतिशत जनसंख्या को चिन्हित कर घर-घर जाकर जमीनी कार्यकर्ताओं, सीएचओ, आशा, एएनएम, एमपीडब्ल्यू, एनटीईपी स्टाफ द्वारा संभावित टी.बी. रोगियों की खोज कर निः शुल्क उपचार उपलब्ध कराया जा रहा है। कम्यूनिटी इंगेजमेंट के तहत पोषण संबंधी सहायता, नैदानिक सहायता और व्यावसायिक सहायता प्रदाय करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, इसके तहत कुल 284 जन प्रतिनिधियों और 2303 निक्षय मित्र डोनर ने निक्षय में अपना पंजीकरण कराया और टीबी रोगियों का समर्थन करने के लिए अपनी सहमति दी।

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम तके प्रदेश में क्षय रोगियों की जाँच एवं आधुनिक उपचार प्रणाली द्वारा उपचार की निःशुल्क सुविधा ग्रामीण स्तर तक सभी शासकीय चिकित्सालयों में उपलब्ध कराई जा रही है। जनवरी, 2022 से जुलाई, 2022 तक प्रदेश के 1 लाख 10 हजार क्षय रोगियों की खोज कर निःशुल्क उपचार एवं निदान किया जा रहा है। मध्यप्रदेश, देश का प्रथम राज्य है, जहाँ पर डीएससी के माध्यम से शत-प्रतिशत क्षय रोगियों का स्वीकृति (अप्रूवल) एवं भुगतान किया जा रहा है। देश में इस मायने में भी देश में प्रथम है, कि यहाँ निजी क्षेत्र की सहभागिता बढ़ाने के लिए पेशेंट प्रोवाइडर सपोर्ट एजेंसी सभी जिलों में संचालित है।

जिला अस्पतालों में मानसिक बीमारियों के उपचार को बनाये मन कक्ष

मानसिक बीमारियों की रोकथाम और इलाज के लिए भी प्रदेश में विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम में जिला चिकित्सालय में मन कक्ष बनाये गये हैं। निमहांस बैंगलुरू द्वारा संचालित राष्ट्रीय मनोसामाजिक सहायता हेल्पलाइन से संबद्ध होकर प्रदेश में कार्यरत मनोरोग चिकित्सक, चिकित्सा मनोवैज्ञानिक द्वारा मानसिक तनाव एवं रोग से प्रभावित आमजन को मनोसामाजिक परामर्श देना शुरू किया गया है। टेली- मानस सेवाओं का शुभारंभ भी किया गया है। ग्वालियर मानसिक आरोग्यशाला और एमजी एम मेडिकल कॉलेज इन्दौर में टेली मानस सेल्स गठित किए गए हैं। मानसिक समस्याओं संबंधी परामर्श और विशेषज्ञों से उपचार प्राप्त करने के लिए टोल फ्री नंबर 14416 या 180-0891-4416 निःशुल्क कॉल हेतु उपलब्ध हैं।

मिलावट से मुक्ति अभियान

प्रदेश के नागरिकों को शुद्ध खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराने के लिए शुरू किए गए मिलावट से मुक्ति अभियान में अब तक 45 मिलावटखोरों के खिलाफ एनएसए की कार्यवाही की गई है। कुल 605 मिलावटखोरों पर एफ आई आर दर्ज करवाई गई। प्रदेश में 15 चलित खाद्य प्रयोगशाला हैं जिनसे प्रदेश के जिला, ब्लॉक, तहसील और ग्राम स्तर पर नागरिकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। साथ ही खाद्य पदार्थों के नमूनों की जाँच भी की जा रही है। अब तक एक लाख 8 हजार से अधिक खाद्य पदार्थों के नमूनों की जाँच की गई है।

ईट राइट प्रतियोगिता में प्रदेश के 8 शहर रहे विजेता

ईट राइट चैलेंज प्रतियोगिता में देश के 180 शहरों ने भाग लिया। प्रदेश के 8 शहर इंदौर, भोपाल, उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, सागर और सतना विजयी हुए। इंदौर शहर को पहला, भोपाल को दूसरा, उज्जैन को तीसरा, जबलपुर को पाँचवा, ग्वालियर को छठवां, रीवा को 10वाँ सागर को 14वाँ और सतना को 41वाँ स्थान प्राप्त हुआ। प्रतियोगिता का आयोजन एफएसएसएआई ने किया। प्रत्येक विजयी घोषित शहर को 5 लाख की अवार्ड राशि प्रदान की गई। इन शहरों के प्रतिनिधियों ने जुलाई 2022 में बर्मिंघम में फूड फ्यूचर कॉन्फ्रेंस में भी भागीदारी की।

पेसा एक्ट से होगा जनजातीय समुदाय का आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण

नरसिंहपुर।. राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु की गरिमामयी उपस्थिति में मध्यप्रदेश 15 नवंबर 2022 को उस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना जब मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में जनजातीय समुदाय को जल, जंगल और जमीन के अधिकार देने के लिए पेसा एक्ट लागू किया गया। मध्यप्रदेश पेसा एक्ट लागू करने वाला देश का पहला राज्य है।

प्रदेश के 20 जिलों के 89 जनजातीय बहुल विकास खंड में पेसा एक्ट लागू किया गया है। पेसा एक्ट जनजातीय भाई-बहनों की आर्थिक, सामाजिक उन्नति और उन्हें सशक्त एवं अधिकार सम्पन्न बनाने का जरिया बन रहा है। यह एक्ट समाज के सभी नागरिकों के हित में है। किसी भी गैर-जनजातीय समाज के नागरिक के खिलाफ नहीं है। ऐसे जनजातीय भाई-बहन जो विकास की दौड़ में पीछे रह गये थे, पेसा एक्ट उन्हें मजबूत बनायेगा।

पेसा एक्ट के नियमों के अनुसार अब पटवारी और वन विभाग के बीट गार्ड को गाँव की जमीन का नक्शा, खसरा, बी-1 नकल साल में एक बार गाँव में लाकर ग्राम सभा में दिखाना होगा, जिससे जमीन के रिकॉर्ड में कोई गड़बड़ी न कर सके। यदि कोई गड़बड़ी पाई जाती है, तो ग्राम सभा को रिकॉर्ड सुधारने की सिफारिश करने का अधिकार होगा। पटवारी को ग्राम सभा की बैठक में भूमि संबंधी विवरण पढ़ कर भी सुनाना होगा।

पेसा एक्ट में प्रावधान है कि शासन की योजना के किसी भी प्रोजेक्ट में किये जाने वाले सर्वे और भू-अर्जन के लिये ग्राम सभा की अनुमति जरूरी होगी। किसी भी जनजातीय नागरिक की भूमि छल-कपट और बल से अब कोई हड़प नहीं सकेगा। यदि कोई ऐसा करता है, तो ग्राम सभा को उसे वापस करवाने का अधिकार रहेगा। पेसा एक्ट बहला-फुसला कर धर्म बदलवाने और फिर जनजातीय समाज की जमीन हड़प लेने की आशंका को समाप्त करेगा। खनिज की खदान, जिसमें रेत, गिट्टी पत्थर की खदान शामिल है, के ठेके पर देना है या नहीं, इसका फैसला ग्राम सभा करेगी। खदान पर पहला अधिकार सोसायटी, फिर गाँव की बहन-बेटी और उसके बाद पुरुष का होगा।

ग्राम सभा करेगी सिंचाई तालाबों का प्रबंधन

राज्य सरकार ने गाँव-गाँव में तालाब बनवाये हैं। इन तालाबों का पूरा प्रबंधन ग्राम सभा करेगी। ग्राम सभा तय करेगी कि तालाब में मछली पाले या सिंघाड़े की खेती हो। तालाब से जो आमदनी होगी, वह ग्राम सभा को मिलेगी। सौ एकड़ कृषि क्षेत्र में सिंचाई करने वाले तालाब का प्रबंधन अब सिंचाई विभाग नहीं ग्राम सभा करेगी।

वनोपज पर होगा ग्राम सभा का अधिकार

गाँव की सीमा के जंगल में होने वाली वनोपज- महुआ, हर्रा, बहेरा आदि को इकठ्ठा करने और बेचने और भाव तय करने का अधिकार ग्राम सभा के पास होगा। तेन्दूपत्ता को तोड़ने और बेचने का अधिकार ग्राम सभा को दिया गया है। इसमें सरकार का किसी भी प्रकार का दखल नहीं रहेगा। सरकार यह काम तभी करेगी, जब ग्राम सभा चाहेगी।

ग्राम विकास का फैसला भी ग्राम सभा करेगी

ग्राम सभा ही ग्राम विकास की कार्य-योजना बनायेगी। ग्राम सभा की मंजूरी के बाद ही ग्राम पंचायत को मिलने वाली राशि खर्च की जा सकेगी। काम के लिये गाँव से बाहर जाने वाले मजदूरी को पहले ग्राम सभा में यह बताना होगा कि वह कहाँ काम करने जा रहा है, उस स्थान का पता लिखाना होगा, जिससे उस मजदूर के हितों का ध्यान ग्राम सभा रख सके। यदि कोई बाहर का व्यक्ति गाँव में आता है, तो उसे भी ग्राम सभा को बताना होगा। मजदूरों को पूरी मजदूरी मिले, इसका ध्यान भी ग्राम सभा रखेगी।

जनजातीय क्षेत्रों में केवल लायसेंसधारी साहूकार ही तय ब्याज दर पर पैसा उधार दे सकेंगे। इसकी जानकारी भी ग्राम सभा को देनी होगी। अधिक ब्याज लेने पर संबंधित साहूकार पर कार्यवाही होगी।

ग्राम सभा की मंजूरी के बिना नहीं खुलेगी नई शराब दुकान

ग्राम सभा की मंजूरी के बिना गाँव में शराब और भांग की नई दुकान नहीं खुल सकेगी। किसी शराब दुकान को हटाने की सिफारिश ग्राम सभा कर सकेगी। यदि शराब की दुकान के पास स्कूल, अस्पताल और धर्मशाला है, तो ग्राम सभा उस शराब दुकान को वहाँ से हटाने की सिफारिश सरकार को कर सकेगी। ग्राम सभा को बिना मंजूरी के खोली गई शराब की दुकानों पर कार्यवाही करवाने का अधिकार रहेगा। ग्राम सभा किसी विशेष दिन को ड्राय डे घोषित करने की सिफारिश कलेक्टर को कर सकेगी।

ग्राम सभा सुलझाएगी छोटे झगड़े

गाँव में शांति एवं विवाद निवारण समिति बनेगी और गाँव के छोटे-मोटे झगड़े थाने नहीं जायेंगे। ऐसे झगड़ों को अब ग्राम सभा में ही सुलझाया जायेगा। गाँव के किसी व्यक्ति के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज करने के पहले पुलिस को ग्राम सभा को बताना होगा।

ग्राम सभा कर सकेगी स्कूल-आँगनवाड़ी का निरीक्षण

पेसा एक्ट ने ग्राम सभा को अधिकार दिया है कि वह आँगनवाड़ी, स्कूल, आश्रम, छात्रावास का निरीक्षण करे और इनके काम ठीक से कराए। इसके साथ ही ग्राम पंचायत में विभिन्न शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन के निरीक्षण और सामजिक अंकेक्षण का अधिकार भी ग्राम सभा के पास होगा।

जनजातीय परंपराओं और संस्कृति का संरक्षण

स्थानीय जनजातीय परंपराओं और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी भी ग्राम सभाओं की होगी। वे जनजातीय परंपराओं, रूढ़ियों, उनकी सांस्कृतिक पहचान, सामुदायिक संस्थाओं और विवादों के निराकरण की रूढ़ीगत रीतियों को सुरक्षित और संरक्षित करेंगी। ग्राम सभा क्षेत्र में लगने वाले बाजार, मेलों और पशु मेलों का प्रबंधन भी करेंगी।

मध्यप्रदेश में गत 20 वर्षों से आमजन के बेहतर जीवन की वकालत

नरसिंहपुर।देश के एकमात्र हीरा उत्पादक राज्य मध्यप्रदेश को सही मायनों में तराशा नहीं गया था। गुजरात और महाराष्ट्र जैसे विकसित राज्यों की परछाई में मध्यप्रदेश खो सा गया था। शिक्षा हो, अधो-संरचना हो, स्वास्थ्य सेवा हो, व्यापार हो, खेती हो या युवा नीतियाँ हों, खराब नीति निर्माण और क्रियान्वयन के कारण मध्यप्रदेश हर क्षेत्र में पिछड़ गया था। यदि हम विगत 20 वर्ष के पहले देखें, तो मध्यप्रदेश के पास वह सब कुछ था जो आज उसके पास है, कमी थी तो सिर्फ सुशासन और एक मजबूत जनहित नीति के निर्माण तथा क्रियान्वयन के रवैये की।

पिछले चार कार्यकालों के दौरान मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा उन क्षेत्रों में सतत प्रयास किए गए हैं, जिनमें मध्यप्रदेश संघर्ष कर रहा था। लोगों के राज्य के प्रति सोचने और उसे जानने के तरीके को बदल दिया। बीमारू राज्य कहलाने वाला मध्यप्रदेश पहले एक विकासशील राज्य बना और अब पिछले एक दशक में सकल घरेलू उत्पाद में 200% की वृद्धि होने के साथ सबसे विकसित राज्यों को पीछे छोड़ते हुए देश में निवेश करने के लिए सबसे आकर्षक जगह बन गया है। राज्य सरकार ने एक मजबूत अधो-संरचना, अनुकूल नीतिगत वातावरण और औद्योगिक विकास केंद्र विकसित किए हैं, जिससे औद्योगीकरण के विकास में तेजी आई है।

वर्तमान सरकार ने न केवल राज्य में जनता की भागीदारी के माध्यम से विकास का एक मॉडल तैयार किया बल्कि उसे सफलता से लागू भी किया। अब सरकार जो भी नीति पेश करती है, वह लोगों पर केन्द्रित रहती है। हाल ही के इतिहास में, मप्र सरकार को कोविड-19 महामारी की मुश्किलों का सामना करना पड़ा था और सरकार ने उस संकट का सामना करने के लिए जो प्रबंध और पहल की, यह अपने लोगों के प्रति उसके परिपेक्ष्य का एक वसीयतनामा था। पूरी तरह ध्यान रखते हुए, अनाथ बच्चों के लिए, सरकारी कर्मचारियों के परिवारों के लिए, अपने परिवार को खोने वाले फ्रंटलाइन कर्मचारियों के लिए और सभी के सब्सिडी वाले इलाज के लिए प्रमुख और सुलक्षित योजनाएँ शुरू की गईं। इसके अलावा, लाड़ली लक्ष्मी योजना की शुरुआत और संबल के शुरुआती वर्षों में, कोविड के बाद गुलाबी अभियान की शुरुआत, राज्य में महिलाओं और बच्चों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा की गई कुछ उल्लेखनीय पहल रही हैं। लगभग डेढ़ दशक पहले स्थापित, लाड़ली लक्ष्मी योजना ने राज्य में लाखों लड़कियों के उज्जवल भविष्य की नींव रखी है, उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार किया है और उनको परिवर्तन के लिए प्रेरित करना जारी रखा है।

शिक्षा और रोजगार मध्यप्रदेश सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहे हैं, इसलिए सरकार की प्रगतिशील कार्रवाई स्वास्थ्य सेवा तक ही सीमित नहीं थी। पिछले दो दशकों में, सरकार ने राज्य में साक्षरता दर में सुधार के लिए कई पहल की हैं जो 20 साल पहले की 64 प्रतिशत की तुलना में अब लगभग 85 प्रतिशत पर है। छात्रों को अच्छे कार्यों के लिए प्रेरित करना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी और मुख्यमंत्री जन-कल्याण योजना से इतिहास रच दिया। यह योजनाएँ छात्रों को वित्तीय बोझ से मुक्त कर अपनी पसंद की शिक्षा की दिशा में अगला कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए रची गई। सरकार द्वारा पिछड़े वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के विद्यार्थियों छात्रों के लिए विशेष नीतियाँ भी बनायी गईं, जिससे प्रत्येक बच्चे को शिक्षा का अधिकार मिलता है और उसे सीखने और सार्थक जीवन बनाने का समान अवसर मिलता है।

युवाओं के बीच सीखने और विकास को प्रोत्साहित करने के लिए, विशेष रूप से कक्षा 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थियों के लिए, सरकार ने प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना (पीवीपीवाई) की शुरुआत की। इस योजना के तहत, 12वीं कक्षा में अच्छे अंकों के साथ स्नातक स्तर की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी अपने भविष्य में निवेश करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार से वित्तीय अनुदान प्राप्त करने के पात्र होंगे। अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए अपनी पसंद का लैपटॉप खरीदना हो, चाहे वह तकनीक हो या उसकी पसंद का कोई भी क्षेत्र। इस योजना से योजना के वर्ष 2018 में प्रारंभ होने के बाद से लाखों विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं।

हाल ही में, सरकार ने राज्य में सीएम राइज स्कूलों की नींव भी रखी है जो गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए आधुनिक तकनीक, स्मार्ट क्लास, अच्छे शिक्षण स्टाफ, एक प्रयोगशाला, एक पुस्तकालय और खेल के मैदानों से लैस हैं। ये सरकारी स्कूल विद्यार्थियों को उच्च स्तरीय और तुलनात्मक शिक्षा देकर मध्यप्रदेश के लोगों की जेब पर निजी स्कूलों की बढ़ती लागत का मुकाबला करेंगे।

राज्य सरकार आने वाली पीढ़ियों के लिए अधो-संरचना विकसित करने के साथ, नए स्नातकों के लिए रोजगार सृजित करने और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्म-निर्भर भारत के आहवान के तहत राज्य में स्टार्ट-अप संस्कृति को स्थापित और संवर्द्धित करने में समान रूप से सक्रिय हैं। आईटी पार्क बनाने से लेकर टीसीएस और इन्फोसिस जैसी कंपनियों को राज्य में अपने केम्‍पस स्थापित करने के लिए आमंत्रित करने तक, मध्यप्रदेश सरकार ने युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसके अतिरिक्त, कई योजनाओं और सब्सिडी की शुरुआत की गई, ताकि युवाओं को अपना स्टार्टअप स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इससे वह न केवल अपने लिए, बल्कि दूसरों को रोजगार का अवसर देगा। पिछले एक दशक में, मप्र सरकार ने राज्य में स्टार्टअप्स के लिए नीतियाँ बनाने की डोर अपने हाथों में ली थी। मध्यप्रदेश सरकार की नीतियाँ जैसे मप्र स्टार्टअप नीति एवं क्रियान्वयन योजना 2022, म.प्र. इन्क्यूबेशन एवं स्टार्टअप नीति 2019, म.प्र. इन्क्यूबेशन एवं स्टार्टअप नीति 2016, स्टार्टअप की फंडिंग,एमपी आईटी, आईटीईएस, और ईएसडीएम निवेश प्रोत्साहन नीति 2016, ने राज्य में स्टार्टअप्स को पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, साल दर साल, फंड की स्थापना की है। राज्य सरकार बेकवर्ड और फॉरवर्ड लिंकेज के माध्यम से स्टार्टअप्स को समर्थन दे रही है। सरकार से प्राप्त वित्तीय सहायता से पैदा हुए अनुकूल वातावरण के कारण प्रदेश में 1,500 से अधिक स्टार्टअप पंजीकृत है।

मध्यप्रदेश की आबादी का प्रमुख हिस्सा अभी भी कृषि प्रधान है जबकि राज्य में विकास होने से रोजगार संस्कृति को प्रोत्साहन मिला है। अनुमानित 50 प्रतिशत आबादी अभी तक कृषि पर निर्भर है। गत 10 वर्ष में सरकार ने कई बार कृषि कर्मण पुरस्कार प्राप्त करने के साथ-साथ 18 प्रतिशत से अधिक की कृषि वृद्धि दर दर्ज की है, जो हरियाणा और पंजाब से कहीं अधिक है। इसके अलावा, सरकार कई कृषि उत्पादों को मिडल ईस्ट, यूऐई और पश्चिमी देशों में निर्यात करने में सक्षम होने के साथ सफल रही है।

मध्यप्रदेश सरकार वास्तव में ‘ऑफ द पीपल, बाय द पीपल एण्ड फॉर द पीपल’ के पथ पर चलती है। यह युवाओं को राज्य को एक सुशासित राज्य बनाने के सामान्य लक्ष्य को साझा करने के लिए प्रोत्साहित करने के सरकार के कामों से प्रमाणित होता है। योजनाओं और नीतियों को डिजाइन करना आसान हो सकता है लेकिन उन पर कार्यान्वयन की प्रक्रिया में हर किसी को अपनी सहभागिता देनी चाहिए। पिछले दशकों में, राज्य सरकार ने आम जनता की योजनाओं को सुलभ बनाकर और सीएम हेल्पलाइन, समाधान ऑनलाइन और अन्य आईटी-आधारित अभ्यास के माध्यम से सर्वोत्तम सेवाएँ प्रदान करके लोगों को सफलतापूर्वक अपने से जोड़ा है।

अभी भी मध्यप्रदेश रूपी हीरा पूरी तरह नहीं तराशा नहीं गया फिर भी श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाले शासन ने दुनिया भर के लाखों पर्यटकों को आकर्षित करने वाले राज्य को आकार देना शुरू कर दिया है। आज बेहतर सड़कें बन रही हैं, मध्यप्रदेश के शहर वैश्विक सूची में सबसे स्वच्छ शहरों में शुमार हो रहे हैं और बिजली उत्पादन 5 हजार मेगावाट से बढ़कर 21 हजार मेगावाट हो गया है, ताकि राज्य में किसी के भी सपने की बत्ती गुल न हो जाए।

 

Aditi News

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