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April 25, 2024
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धर्म

पुण्य सलिला माँ नर्मदे(रेवार्चन ) (14 ,12 मात्राएँ ,सम चरण तुकांत )डॉ सुशील शर्मा

पुण्य सलिला माँ नर्मदे(रेवार्चन )

(14 ,12 मात्राएँ ,सम चरण तुकांत )डॉ सुशील शर्मा

माँ नर्मदे पुण्य सलिला ,

आत्म रूप विधान हो।

नादमय ओंकारमय ,

स्वस्तिमय संधान हो।

 

शिव स्वेद से उत्पन्न तुम ,

पुण्य धन्या शिव सुता।

अमरकंटक गोमुखी तुम ,

धन्य धारा मृदुलता।

 

सतपुड़ा की मेखला में ,

बहे जीवन दायनी।

हे रूद्रांगी सम्भूता ,

योगिनी मन गामिनी।

 

फेनिल अमृतमयी धारा ,

सर्व शोक विनाशनी।

पुष्परेखा तमस हरणी ,

मातु मोक्ष प्रकाशनी।

 

हे नर्मदा हे त्रिकूटा ,

रेवा विपापा मोक्षणी।

आशुतोषी माँ नर्मदा ,

कल्प सुपोषित तीक्ष्णी।

 

नीलांबरा रत्नाकरी ,

मनप्रभा द्रुत गामिनी

सर्वा पाप विनिर्मुक्ता,

नीलमणि द्युति दामिनी।

 

धन्यधारा माँ नर्मदे ,

जगत का कल्याण हो।

नीर ले अविराम बहती ,

सिंधु तक निर्याण हो।

 

चरण में तेरा पड़ा मैं ,

माँ न मुझे विसारिये।

चरण रज तन मन लगा लूँ ,

माँ रेवा उबारिये।

 

*माँ नर्मदा के पावन प्रकटोत्सव “नर्मदा जंयती” की हार्दिक शुभकामनाएं।*

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