गाँधी मरा नहीं करते हैं
जीवन के अँधियारे पथ पर
सब कष्टों को सहते जाते।
दुर्गम कंटक पथ पथरीले
पीड़ा में हरदम मुस्काते।
तमस भरी रातों में चलकर
खुशियों के जो दीप जलाते।
कष्ट स्वयं सहकर जीवन में
मजलूमों को जो सहलाते।
तूफानों को रख अंतस में
गाँधी डरा नहीं करते हैं।
गाँधी मरा नहीं करते हैं।
सदा वत्सले भारत माता
हरदम शोणित में है बहती
सत्य समन्वय मन मानवता
कण-कण की मिट्टी यह कहती।
सब धर्मों का आदर करना
निडर शुद्ध तुम जीवन जीना।
शत्रु दमन सीमा पर करना
लड़ना तुम ताल ठोक सीना।
गाँधी के अनुयायी मन में
संशय धरा नहीं करते हैं।
गाँधी मरा नहीं करते हैं
नहीं तिरंगा झुकने देंगे
विजयी विश्व बनाएँगे।
चलें सभी कर्तव्यों के पथ
समरसता हम लाएँगें।
भारत के हम सभी पुत्र हैं
कर्म विचार बने गाँधी।
रोके से भी नहीं रुकेंगे
चाहे जितनी हों आँधी।
मन संकल्पों के उपवन में
विजयी पुष्प झरा करते हैं।
गाँधी मरा नहीं करते हैं
सुशील शर्मा