स्वभाव से शांत, जिनके गुणों का नहीं है अंत ,ऐसे थे महामुनि प्रशांत,मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज
कुंडलपुर । सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में विनयांजलि व्यक्त करते हुए मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज ने कहा प्रथम बाल यति भगवान वांसुपूज्य स्वामी की निर्वाण स्थली चंपापुर जी सिद्ध क्षेत्र में परम पूज्य निर्यापक श्रमण 108 श्री प्रशांत सागर जी महामुनि राज का समाधि मरण हो गया ।यह वह यात्रा है जो प्रत्येक भव्य आत्मा जीव को अपनी साधना की चरम सीमा पर ले जाती है। प्रत्येक साधक एक भावना यही भाता है कि जब भी मरण हो उसमें देव ,गुरु और शास्त्र की संन्नधि में ही हो। गोटेगांव जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश में 3 जनवरी 1961 को श्रेष्ठी श्री देवचंद जी एवं मां श्रीमती सुशीला रानी जी के घर चतुर्थ संतान के रूप में आपका जन्म हुआ ।नाम रखा गया “राजेश” यह नाम राजा+ ईश से बनता है ।और आपने इसे सार्थक किया गुरु आशीष से।आपकी संयम की यात्रा भी गोटेगांव से ही प्रारंभ हुई ।18 फरवरी सन 1989 में आपने ब्रम्हचर्य व्रत को अंगीकार किया ।आपके जीवन में सिद्ध क्षेत्र का विशेष संयोग रहा। आपकी सभी दीक्षाएं सिद्ध क्षेत्रों पर ही संपन्न हुई और अंतिम यात्रा भी सिद्ध क्षेत्र पर ही हुई। सिद्ध क्षेत्र मुक्तागिरी में आपकी क्षुल्लक दीक्षा एवं ऐलक दीक्षा तथा सिद्ध क्षेत्र नेमावर में आपकी मुनि दीक्षा आचार्य गुरुवर 108 श्री विद्यासागर जी महाराज के कर कमलों से प्रदान की गई। आपके संघ के कुशल संचालन को देखते हुए आचार्य महाराज ने सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर जी मैं आपको निर्यापक श्रमण पद पर आसीन किया ।अभी भी आप सिद्ध क्षेत्रों की यात्रा पर ही थे। ऐसा पावन संयोग भावी सिद्ध जीव के जीवन में ही आ सकता है। आपका लेखन आपके व्यक्तित्व को दर्शाता है ।आपकी प्रशांत छवि ही आपका परिचय है। आपको भूल पाना इस जीवन में किसी भी पुण्यात्मा को संभव नहीं है । आपने सामाजिक उत्थान ,पाठशाला प्रेरणा, गौ रक्षा आदि अनेकों क्षेत्रों में अभूतपूर्व कार्य किए हैं ।बाल संस्कार को लेकर आप का चिंतन शतत चलता रहता था ।आपका स्मरण हम सभी के लिए संस्मरण से कम नहीं है ।आपकी यात्रा सिद्धत्व तक पहुंचे यही हमारी प्रतिपल मंगल भावना है। आपकी चिर परिचित हंसी हमारी स्मृति पटल पर सदैव बनी रहती है। जो कि विपरीत परिस्थितियों में हमें संबल प्रदान करती है ।इस अवसर पर विन्याजलि में अनिल पुजारी ,कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी के पदाधिकारी, कुंडलपुर जैन समाज ,कर्मचारी स्टाफ ने भी अपनी विद्यांजलि प्रस्तुत की।