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April 20, 2024
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मैं दिनकर का वंशज हूँ

मैं दिनकर का वंशज हूँ (गीत)सुशील शर्मा

मैं कवि दिनकर का वंशज हूँ,

इतिहास बनाने आया हूँ।

रुधिर खौल कर ज्वाला हो,

वो गीत सुनाने आया हूँ।

 

1

सप्त सिंधु जिसके पग धोता

हिमगिरि मुकुट सुशोभित है।

पुण्य भूमि यह भारत माता

जनगण विमल विमोहित है।

गंगा जमुन त्रिवेणी संगम

भारत शुचिता मंदिर है।

जीवन का संगीत मधुरमय

उपवन सकल मनोहर है।

 

पुण्यभूमि की रचना अनुपम

तुम्हें दिखाने आया हूँ।

2

मनोहारणी रूप अलौकिक

मेरी भारत माता का।

सूर्य वीथिका परिमल शुभ्रक

पावन भव्य सुजाता का।

भव भाषा के सुमन हैं खिलते

अनगित उपवन महकें हैं।

श्रद्धा से वंदन करते सब

इसके आँचल चहके हैं।

 

श्रद्धानत इसके चरणों में

नमन कराने आया हूँ।

 

3

जिसकी आभा से आलोकित

सकल विश्व गुणगान करे।

रही सनातन इसकी धारा

ईश्वर भी सम्मान करे।

सकल गगन नक्षत्र प्रमोदित

भूमण्डल इसका पावन।

भारत की गुणता के कारण ही

ये सबका है मनभावन।

 

आदि अंत है अमित अगोचर

मनन कराने आया हूँ।

 

4

नैतिकता दर्शन चिंतन का

आध्यात्मिक यह केंद्र है।

शुचिता सेवा मानवता का

भारत सदा सुरेंद्र है।

सामाजिक समरसता वैभव

लोक लुभावन धरती है।

छल -छल कल -कल बहतीं नदियां

प्रकृति सुहावन झरती है।

 

भारत की यह अनुपम झाँकी

तुम्हें दिखाने आया हूँ।

 

5

मानव मूल्यों का उद्भव है

इसी राष्ट्र के मंडल पर।

ब्रह्म तत्व के दर्शन भी हों

भारत के भू -मंडल पर।

करुणा ममता दया क्षमा की

भारत धरणी नेष्ठ सखे।

सब धर्मों की रक्षा करना

सब धर्मों से श्रेष्ठ सखे।

 

सर्वभूत हित ही उत्तम है

तुम्हें बताने आया हूँ।

 

6

संघर्षों के तीव्र समर में

सदा विजय के भागी हैं

जीवन के अनुमोदित स्वर में

सदा प्रेम अनुरागी हैं

बलिदानों की परम्पराएँ

मिली विरासत में हमको

वीर भूमि की अनुश्रुत गाथा

चलो सुनाएँ हम तुमको।

 

कर्मभूमि इस भारत का मैं

मर्म सुनाने आया हूँ।

 

7

वेद उपनिषद शुचिता जागे

धर्म ध्वजा आल्हाद जगे।

राम कृष्ण की धरती जागे

मन का वो प्रहलाद जगे।

छत्रसाल बुंदेला जागे

जगे मराठों का अभिमान।

पृथ्वी की वो आँखें जागें

जिनमें था जीवन सम्मान।

 

पुण्यभूमि की गौरव गाथा

आज सुनाने आया हूँ।

 

8

नहीं प्रेम के गीत सुनाता

बलिदानों की बात लिखूँ।

 

विरह -मिलन के गीत लिखो तुम

मैं शत्रु की घात लिखूँ।

संगीनों के साये में जो

प्राण निछावर करते हैं।

सघन क्रांति का बीज लिए जो

नहीं किसी से डरते हैं।

 

अमर शहीदों की गाथा का

गान सुनाने आया हूँ।

 

9

लोकतंत्र के प्रहरी सोते

संसद के गलियारों में।

लुटें बेटियाँ रस्ते-रस्ते

गली-गली चौबारों में।

अदल – बदल कर मुखड़े अपने

सत्ता का उपभोग करें।

भ्रष्टाचारी रिश्वत खा कर

ईमानों का योग करें।

 

राजनीति की इस चौसर का

राज बताने आया हूँ।

 

10

उठो मध्य भारत के लालो

स्वयं शक्ति को पहचानो।

यू पी वाले अब तुम जागो

मन कुछ करने की ठानो।

उठो बिहारी पटना वालो

सच्चाई से मत भागो।

सुन लो अब सब ओ बंगाली

खुद को मेहनत में पागो।

 

उदयाचल सूरज उगना है

नींद भगाने आया हूँ।

11

राजस्थानी वीरो जागो

कसम तुम्हें रजपूतों की।

कर्नाटक गोवा की धरती

टीपू शिवा सपूतों की।

जगो उड़ीसा की बालाओ

अपना परचम लहराओ।

तमिलनाडु केरल का गौरव

फिर से वापिस ले आओ।

 

युग युग से भारत का गौरव

आज बताने आया हूँ।

 

12

महाराष्ट्र का गौरव जागे

केरल का उत्साह जगे।

पूर्वोत्तर की जनता जागो

आंध्रा का विश्वास जगे।

दिल्ली का अनुशासन जागे

पंजाबी अस्तित्व जगे।

जम्मू का वो जीवट जागे

लद्दाखी व्यक्तित्व जगे।

 

सतत सत्य के अनुशीलन का

मान बताने आया हूँ।

 

13

दलित आदिवासी उठ जागो

जगे ब्राह्मणों का महा तेज।

छत्रिय वैश्य महाबल जागे

कर दो दुश्मन को निस्तेज।

मजदूरों का स्वेद जगे अब

अधिकारों का भाग मिले।

जहाँ जहाँ हैं अत्याचारी

उन्हें न्याय की आग मिले।

 

भारत वैभव की परिभाषा

तुम्हें सिखाने आया हूँ।

 

14

गर्ज-गर्ज कर तुम हुंकारों

कर्तव्यों की अनुशंसा हो।

बाँहों में वारिधि को बाँधों

खुली क्रांति की मंशा हो।

उठो उठो भारत के पुत्रो

जीवन का यशगान करो।

भारत की पावन भूमि से

दुष्टों का अवसान करो।

 

हे भारत के युवा जगो अब

तुम्हें जगाने आया हूँ।

15

अगणित हैं अवदान तुम्हारे

ऋण मस्तक पर धारे हैं।

पुण्य मनोरथ दर्शन तेरे

सत सौभाग्य हमारे हैं।

तन मन धन सब तुमको अर्पण

हम तो पुत्र तुम्हारे हैं।

वरद कृपा हो मुझ पर माता

तेरे सदा सहारे हैं।

 

तेरी पूजा अर्चन करके

सुमन चढ़ाने आया हूँ।

रुधिर खौल कर ज्वाला हो,

वो गीत सुनाने आया हूँ।

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