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April 23, 2024
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बुरहानपुर,सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह

किसान कल्याण एवं कृषि विकास विभाग उपसंचालक ने जानकारी देते हुए बताया कि सोयाबीन फसल में कुछ मात्रा में पौधे पीले दिखाई दे रहे है, यह मुख्यतः सोयाबीन फसल में स्टेम बोरर या तना छेदक मक्खी के कारण हो रहा है। सफ़ेद मक्खी पत्तियों के निचले भाग पर अंडे देती है, अंडे से लार्वी (इल्ली) निकलकर तने एवं शाखा के बीच में छेद बनाकर अन्दर प्रवेश करती है साथी ही तने को खोखला कर देती है, जिससे पत्तियाँ पीली दिखाई देती है, तने को चिरकर देखने पर अन्दर से हल्का लाल रंग दिखाई देता है तथा चीरने पर अंडा एवं लार्वी दिखाई देती है।

सोयाबीन की पत्ती खाने वाली इल्लियां, सफेद मक्खी का प्रकोप यदि फसल पर है, तो कीटनाशक जैसे- बीटासायफ्लूथ्रीन $ इमिडाक्लोप्रीड 350 एम.एल. प्रति हेक्टर या थायमिथाक्सम $ लेम्बडा सायहेलोथ्रीन 125 एम.एल. प्रति हेक्टर या प्रोफेनोफास 40 ई.सी.$ सायपर मैथीन 4. ई.सी. 1000 एम.एल. प्रति हेक्टर किसी एक कीटनाषक का 500-600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। इस उपाय से तना मक्खी का भी रोकथाम किया जाता है।
    येलो मौजाइक बीमारी को फैलाने वाली सफेद मक्खी के प्रबंधन हेतु खेत में येलो स्ट्रीकी ट्रेप का उपयोग करें। जिससे सफेद मक्खी के वयस्क नर नष्ट हो जाते है। साथ ही यलो मौजाइक से ग्रसित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दे। सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु-थायोमिथाक्सम 25 डब्ल्यू.जी. 100 ग्राम प्रति 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। सोयाबीन की फसल को 40-45 दिन तक खरपतवार (चारे) मुक्त रखना अत्यंत आवश्यक है इस हेतु समय-समय पर डोरा, कुल्पा एवं हाथ से निदाई-गुडाई करे। खरपतवार नाशक एवं कीटनाशक में अलग-अलग छिड़काव में होने वाले खर्चाे को कम करने के लिए अनुसंधान परीक्षण के आधार पर निम्न कीटनाशक एवं खरपतवारनाशक को मिलाकर छिड़काव किया जा सकता है जैसे-क्लोरइंट्रामिलिप्रोल 18.5 एससी (150उस प्रति हेक्टर) या इंडोक्साकर्ब 15.8 इ.सी (333उस प्रति हेक्टर) या क्यूनालफास 25 इ.सी (1500उस प्रति हेक्टर) के साथ अनुशंषित खरपतवारनाशक एम्जेशापयर 10 एस.एल. (1 लीटर प्रति हेक्टर) या किजालोफास इथाईल 5. ई.सी. (1 लीटर प्रति हेक्टर) का उपयोग करे। सोयाबीन की फसल में तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्ली की रोकथाम हेतु उपलब्ध किट विशेष फिरोमेनट्रैप एवं वायरस आधारित एन.पी.व्ही. (250 एलई प्रति हेक्टर) उपयोग करे। पक्षियों को बैठने के लिए “ज्” आकर की खुटिया लगाये जिस पर पक्षी बैठ सके।

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