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July 8, 2025
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शारीरिक और भौतिक विकास के साथ वैचारिक विकास भी अनिवार्य,स्वामी गोपालानंद सरस्वती

शारीरिक और भौतिक विकास के साथ वैचारिक विकास भी अनिवार्य,स्वामी गोपालानंद सरस्वती

सुसनेर/11 जून, श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा द्वारा संचालित विश्व के प्रथम गो अभयारण्य में श्री कामधेनु गुरुकुलम एवं सूर्या फाउंडेशन के सयुक्त तत्वाधान में चल रहें 10 दिवसीय व्यक्तित्व विकास शिविर के पंचम दिवस पर श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के राष्ट्रीय संयोजक पूज्य स्वामी गोपालानंद जी सरस्वती जी महाराज ने भारतीय संस्कृति की महत्ता बताते हुए कहा कि संस्कृति केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, यह हमारे बोलने, चलने, पहनने और खाने तक फैली है। हमें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, यह भी संस्कृति का ही हिस्सा है।”

महाराज जी ने विदेशी भोजन को हमारी जलवायु और शरीर के प्रतिकूल बताते हुए सात्विक भोजन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा —

 

> “भगवद्गीता में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को युद्धभूमि में भी आहार के विषय में उपदेश दिया। आहार से ही मन और आचरण का निर्माण होता है।”

जब तक हम अपने भोजन को सुधार नहींेंगे, तब तक हमारे विचार और व्यवहार शुद्ध नहीं होंगे।”

उन्होंने बताया कि आज रासायनिक उर्वरकों ने गाय माता के गोबर और जैविक खेती को पीछे छोड़ दिया है। भारत की प्राचीन संस्कृति देव संस्कृति है, जबकि पाश्चात्य संस्कृति में आसुरी प्रवृत्तियां हावी हैं। उन्होंने उदाहरणों से यह सिद्ध किया कि—

 

> “हमारे देश में जब दुनिया पट्टी बांधनी नहीं जानती थी, तब सुश्रुत ने शल्य चिकित्सा की थी। हमारे ऋषियों ने परमाणु और अणु की सिद्धांत पहले ही बता दिए थे।”

 

“आज यदि कोई युवा मोबाइल चला सकता है, तो वही उंगलियां गीता, वेद, उपनिषद जैसे ग्रंथों को भी पढ़ सकती हैं। आधुनिकता आवश्यक है, लेकिन अपनी संस्कृति को छोड़ना विनाश का मार्ग है।”

गौरवशाली भारत का सपना तभी साकार होगा जब युवा श्रमशील, सात्विक और संस्कृति से जुड़े होंगे।

 

उन्होंने इंदौर की एक हालिया घटना का उदाहरण देते हुए कहा कि—

 

“जब भोजन दूषित होता है, तब मन दूषित होता है और परिवार टूटते हैं।”

 

 

दूसरे सत्र में श्री गौतम नायक जी का प्रेरक व्याख्यान

 

दोपहर के सत्र में श्री गौतम नायक जी ने ‘लोक व्यवहार’ विषय पर प्रेरणादायी व्याख्यान दिया। उन्होंने सहज, सरल और प्रभावशाली भाषा में बताया कि—

 

> “वाणी, व्यवहार और आचरण ही किसी भी व्यक्ति की असली पहचान होते हैं।”

 

उन्होंने शिविरार्थियों को व्यवहारिक ज्ञान, शालीनता और सामाजिक मर्यादा का पालन करने की प्रेरणा दी।

व्यक्तित्व विकास शिविर के साथ-साथ अब शिविरार्थी विविध गतिविधियों में निपुणता प्राप्त करते जा रहे हैं। आज शिविर में कराटे और मलखंभ का विशेष प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें प्रतिभागियों ने पूरे जोश के साथ भाग दिया ।

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