जितेंद्र दुबे, शाहनगर
टिकरिया मे धनुष भंजन और भगवान का विवाह मंचासीन कार्यक्रम
शाहनगर नि .प्र । शारदेय नवरात्र पर्व के चलते सोमवार को टिकरिया स्थित बस स्टेन्ङ संन्त हरिदास जी महराज के बंगले मे आयोजित रामलीला में सीता स्वयंवर , धनुष भंग, परशुराम लक्ष्मण संवाद के चित्रण को समर्पित रहा। स्वयंवर में देश देशांतर राज्यों के राजा सीता से विवाह की इच्छा लेकर आए थे। स्वयंवर में राम-लक्ष्मण के आगमन और शिवधनुष की कथा भी विस्तार से बताई। यह भी बताया कि शिव के धनुष को उठाने वाले के साथ सीता के विवाह की शर्त रखी गई थी। इस शर्त के कारणों का भी वर्णन किया। पर कोई शिव के धनुष को उठा तक नहीं सके और भगवान श्रीराम ने अपने गुरू वशिष्ट जी की आज्ञा मिलते ही जब घनुष का भंजन किया तो सारा पंडाल श्री राम के जयकारों के गुन्जायमान हो गया और श्रद्लु भक्त भावविभोर हो गये और इस दौरान धनुष भंजन की अवाज सुनते ही भगवान परशुराम का क्रोधित होने पर श्री राम परशुराम को शांत करने पर कहते हैं नाथ शंभु धनु भंजनि हारा,हुइहै कोऊ एक दास तुम्हारा। यह कार्य वही कर सकता है जिस पर आप सहित ऋषि-मुनियों का आशीर्वाद होगा फिर भी शांत न होने पर लक्ष्मण ने कहा कि बचपन में हमने न जाने कितनी धनुही तोड़ दीं तब ऐसा क्रोध किसी ने नहीं दिखाया।
ततपश्चात सीता सहित बहिनों में उर्मिला, मांडवी व श्रुतकीर्ति जी की विदाई की लीला भी बहुत भावुक रही जहां सभी की आंखे नम हो गयी और लोग भक्तिभाव से भगवन के जयकारे लगाते रहे। श्री राम लीला के महंत ने बताया की भगवान शिव के प्रति प्रभु श्रीराम की श्रद्धा की वजह से ही वे धनुष उठा सके। श्रद्धा से भगवान को भी जीता जा सकता है। अहंकार इंसान को गर्त में ले जाता है।मंगलवार को भगवान श्री राम ,लक्ष्मण और सीता जी का का बनवास के निषादराज, केवटराज से भेंट, प्रयागराज पधारना, महर्षि वाल्मीकि भारद्वाज मुनियों के दर्शन, उपदेश , चित्रकूट में कोल भीलों से भेंट चित्रकूट में निवास जयंत की कथा का मंचासीन कार्यक्रम कराया गया ।