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February 18, 2025
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दोहा बन गए दीप,सरस्वती वंदना  बसंत पंचमी एवं मां सरस्वती प्राकट्य दिवस की आत्मीय शुभकामनाएं

दोहा बन गए दीप,सरस्वती वंदना 

बसंत पंचमी एवं मां सरस्वती प्राकट्य दिवस की आत्मीय शुभकामनाएं

सुशील शर्मा  

मातु शारदा आप हैं ,विद्या बुद्धि विवेक।

माँ चरणों की धूलि से ,मिलती सिद्धि अनेक।

झंकृत वीणा आपकी ,बरसे विद्या ज्ञान।

सत्कर्मों की रीति से ,हम सबका सम्मान।

जीवन का उद्देश्य तुम ,मन की शक्ति अपार।

विमल आचरण दो हमें ,मन को दो आधार।

घोर तिमिर अंतर बसा ,ज्ञान किरण की आस।

ज्ञान दीप ज्योतिर करो ,अंतर करो सुवास।

नित्य सृजन होवे नवल ,शब्द भाव गंभीर।

मन की अभिव्यक्ति लिखूं ,सबके मन की पीर।

कलम सृजन सार्थक सदा ,शब्द सृजित सन्देश।

माँ दो ऐसी लेखनी ,गुंजित हो परिवेश।

ज्ञान सुधा की आस है ,दे दो माँ वरदान।

भाव विमल निर्मल सकल ,परिमल स्वर उत्थान।

उर में माँ आकर बसो,स्वप्न करो साकार।

माँ तेरे अनुसार हों, छंदों के आकार।

बसंत पंचमी एवं मां सरस्वती प्राकट्य दिवस की आत्मीय शुभकामनाएं।

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