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December 8, 2024
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फिल्म निर्माताओं को जुनूनी होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी होना चाहिए: 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) की मास्टरक्लास में ब्रिटिश फिल्म निर्माता स्टीफन वूली

फिल्म निर्माताओं को जुनूनी होने के साथ-साथ व्यावहारिक भी होना चाहिए: 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) की मास्टरक्लास में ब्रिटिश फिल्म निर्माता स्टीफन वूली

फिल्म निर्माता मुख्य रूप से सहयोगी होते हैं: स्टीफन वूली

निर्माता की भूमिका प्रभुत्व जमाने की बजाय सुगमता लाना है: स्टीफन वूली

प्रसिद्ध अंग्रेजी फिल्म निर्माता और अभिनेता स्टीफन वूली ने आज गोवा में 55वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में “फिल्म निर्माता कौन है? – फिल्म निर्माण के पांच महत्वपूर्ण चरण” विषय पर एक ज्ञानवर्धक मास्टरक्लास को संबोधित किया।

इस सत्र में महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माताओं, छात्रों और सिने प्रेमियों ने भाग लिया, जिसमें फिल्म निर्माता की बहुमुखी भूमिका के बारे में गहन जानकारी दी गई, तथा फिल्म की निर्माण प्रक्रिया को पांच आवश्यक चरणों जैसे विकास, पूर्व-निर्माण, निर्माण, पश्च-निर्माण, तथा विपणन एवं रिलीज आदि में विभाजित किया गया।

 

स्टीफन ने मास्टरक्लास की शुरुआत में इस बात पर जोर दिया कि निर्माता की यात्रा किसी अवधारणा या कहानी के प्रति गहरे जुनून से शुरू होती है। उन्होंने समझाया, “निर्माता को सबसे पहले प्रोजेक्ट के प्रति दृढ़ता और जुनून महसूस करना चाहिए,” उन्होंने जोर देकर कहा कि निर्माताओं को खुद से पूछना चाहिए, “क्या यह ऐसा कुछ है जो मेरा जीवन होगा?” उनके विचार में, जबकि जुनून और प्रतिबद्धता महत्वपूर्ण हैं लेकिन एक निर्माता को व्यावहारिक होने के साथ-साथ दृष्टिकोण और व्यावहारिक बाधाओं के बीच संतुलन बनाना चाहिए।

फिल्म के पूर्व-निर्माण चरण की अपनी चर्चा में, स्टीफन ने सहयोग के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि “निर्माता मुख्य रूप से सहयोगी होते हैं,” उन्होंने एक परियोजना को सफल बनाने के लिए वित्तपोषकों, रचनात्मक पेशेवरों और अन्य प्रमुख हितधारकों के साथ मिलकर काम करने के महत्व को रेखांकित किया।

 

स्टीफन ने बताया कि फिल्म निर्माण के चरण में सावधानीपूर्वक योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही निर्माता और निर्देशक के बीच संतुलन बनाए रखना भी जरूरी होता है। उन्होंने कहा, “निर्माता को हर समय अपने अहंकार को नियंत्रण में रखते हुए निर्देशक को रचनात्मक स्थान प्रदान करना चाहिए।” यह सहयोगात्मक दृष्टिकोण फिल्म निर्माण की प्रक्रिया में लगे सभी लोगो तक फैला हुआ है, जिसमें निर्माता की भूमिका प्रभुत्व जमाने की बजाय सुगमता लाने की है।

स्टीफन ने पोस्ट प्रोडक्शन के उत्साह और महत्व के बारे में विस्तार से बताया कि इस चरण में दर्शकों तक पहुंचने से पहले फिल्म को एक अंतिम रूप दिया जाता है। उन्होंने छोटे पैमाने पर टेस्ट स्क्रीनिंग के महत्व पर प्रकाश डाला, जिनमें दर्शकों की प्रतिक्रिया के बारे में मूल्यवान जानकारी हासिल होती हैं और एडिटिंग से और बेहतर काम का अवसर मिलता हैं। उन्होंने कहा कि “दर्शक ही वास्तव में किसी भी फिल्म का भाग्य निर्धारित करते हैं, और यदि दर्शकों को आपकी फिल्म पसंद आती है, तो आपका काम सफल हो गया है।

 

स्टीफन ने कहा कि फिल्म निर्माण के अंतिम चरणों, मार्केटिंग और रिलीज़, के लिए रणनीतिक योजना आवश्यक होती है। स्टीफन ने फिल्म की सफल रिलीज़ के लिए विज्ञापनदाताओं, वितरकों और अन्य भागीदारों को शामिल करते हुए अच्छी मार्केटिंग रणनीति की आवश्यकता पर बल दिया।

 

प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता स्टीफन वूली ने अपनी अंतर्दृष्टि के माध्यम से न केवल फिल्म निर्माण की जटिलताओं पर प्रकाश डाला, बल्कि अगली पीढ़ी के फिल्म निर्माताओं का अमूल्य मार्गदर्शन भी किया साथ ही निर्माण की कला में जुनून, व्यावहारिकता और सहयोग के महत्व पर बल दिया।

वक्ता के बारे में

स्टीफन वूली अंग्रेजी फिल्म निर्माता और अभिनेता हैं, अपने साढ़े तीन दशकों से भी अधिक के फिल्मी करियर के दौरान उन्हें फरवरी 2019 में ब्रिटिश सिनेमा में उल्लेखनीय योगदान के लिए बाफ्टा पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। एक निर्माता के रूप में उनके द्वारा बनाई गई द क्राइंग गेम (1992) के लिए ऑस्कर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था साथ ही उन्होंने मोना लिसा (1986) सहित लिटिल वॉयस (1998), माइकल कोलिन्स (1996), द एंड ऑफ द अफेयर (1999), इंटरव्यू विद द वैम्पायर (1994), और कैरोल (2016) सहित कई फिल्मों का निर्माण किया, जिन्हें मल्टी अकेडमी पुरस्कारो के लिए नामांकित किया गया। स्टीफन वूली अपनी साथी एलिजाबेथ कार्लसन के साथ नंबर 9 फिल्म्स के नाम से फिल्म निर्माण कंपनी भी चलाते हैं।

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