रिपोर्टर सना खान
खुलरी (इमझिरी)में लगा भव्य मढ़ई के रूप में मेला
खुलरी।आज भाई दूज का त्यौहार परम्परागत ढंग से खुलरी इमझिरी में मनाया गया मढ़ई मेले का आयोजन हुआ ।मान्यता के अनुसार लोग मोर पंख से बनी ढालों को परेठ खिरका मौहल्ला में बनाई गई खेरापती माता की मढिया पर लेकर पहुंचे ढाल लेकर चल रहे ग्वालों सहित लोग परम्परागत राही गाते और नाचते हुए चल रहे थे।
मढ़ई मेला यानि खुशियों का मेला चटख रंगों में सजे-धजे बच्चे किशोर व युवक- युवतियों का सामुहिक झुंड और छोटे बच्चों की हंसती खिलखिलाती, मुस्कान किलकारियों से गुंजती आवाजों का मेला जहाँ उल्लास है उमंग है लाल- पीला हरा चटख रंग है। नौटंकी जादू, रंग बिरंगी चूडिय़ाँ, सिन्दूर टिकली, फीता व बुन्दा की सजी-धजी दुकानें, गुब्बारे, खेल-खिलौने व फिरकनियां हैं, उस पर गुड़ की देशी जलेबी,और मिठाई और अन्य पकवानों की दुकानें समझों यहीं भरा है खुशियों का मेला, जहां बचपन गुम जाता है।चाहे कोई छोटा हो या बड़ा सबके अपने मन की चीजी आसानी से मिल जाती हो,!यही तो है इमझीरी की मढ़ई.।
यह है भारतीय संस्कृति का सांस्कृतिक,और अनेकता में एकता का अनूठा संगम जहाँ सामाजिक विविधता भरी जीवनशैली का एक रूप। हमारे देश का लोकरंग मौलिक संस्कृति का संतरंगा ग्राम्य स्वरूप प्रचलित व विख्यात है इन मेलों के मूल में कोई न कोई अन्र्तकथा है संवेदना है, व आदि लोक परंपरा है यही कारण हैं कि इनका धार्मिक सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक स्वरूप कभी मिटता नहीं ना ही कभी भुलाया जा सकेगा हमारी नरसिंहपुर जिले की भारतीय संस्कृति में मेले मढ़ई (मेले) का अपना एक अलग ही स्थान है,! इसे सांस्कृतिक सामाजिक विविधता के साथ उल्लास के प्रसंग से जुड़ा महत्त्वपूर्ण स्थान है। भारतीय मेले के या तो धार्मिक कारण हैं या आर्थिक सुखहाली का पूर्वानुमान। कुछ भी हो पर ग्रामीण मड़ई मेला का रूप सतरंगी होता है। मेलों का मौसम वर्षा ऋतु के पश्चात फसल आगमन से प्रारंभ होता है।और दीवाली पर्व से जिले के अनेकों स्थानों पर आयोजित किया जाता है, जिसमे जिले की प्रशिद्ध मढ़ई नजदीकी ग्राम मोहद में मनाई और लगाई जाती है! जिसमे ग्राम के सभी बरिष्टजन अपने बड़े होने का बड्डप्पन दिल खोलकर गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों को अपनी तरफ से आर्थिक सहयोग करते हैं, जिससे कोई का बच्चा मिठाई खाने, खरीदने से मेहरूम न हो पाए-बहरहाल आज खुलरी/इमझिरी में भी कुछ ऐसा ही नजारे को देखने मिला। इस अवसर पर दोनो ग्रामों के सम्मानीय जन उपस्थित रहे।
जिनमे कार्यक्रम के संरक्षक -चौ. शिवसौरभ सिंह भैया जी,चौ. डॉ. देवेंद्र प्रताप सिंह, (जिला उपाध्यक्ष ) चौ. कुँवर भूपेंद्र प्रताप सिंह, चौ. गजेंद्र प्रताप सिंह ,दीवान बहादुर सिंह खुलरी, ठाकुरपाल सिंह, तेज सिंह रछेड़िया, राधेश्याम मासाब, कमलेश पटैल,योगेंद्र सिंह(पूर्ब सरपंच), उमा शंकर पटैल, हिम्मत सिंह पलिया, चंद्रकांत भटेले, चैन सिंह, अनुराज सिंह ,R.P.शुक्ला रामसिंह राजपूत, राघवेंद्र पटेल अटरिया वाले,संजू शुक्ला, रमेश पुरी, शिवशंकर साहू,मोहन मेहरा साथ ही ग्वाल दौलत सिंह, प्रदीप ग्वाल, और जाटव समाज के अनेकों युबा और बुजुर्गों की उपस्थित देखी गई!