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April 27, 2024
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परीक्षा के भूत से कैसे निपटें विद्यार्थी,किन बातों का रखें विशेष ध्यान, सुशील शर्मा(प्राचार्य) की कलम से

परीक्षा के भूत से कैसे निपटें विद्यार्थी

विद्यार्थियों के मन में परीक्षा की चिंता हमेशा रहती है पर जनवरी माह शुरू होते ही वे और गंभीर हो जाते हैं। इस पूरे मामले में सबसे बड़ी दिक्कत का सामना कक्षा 10वीं और 12वीं के विद्यार्थी करते दिखाई पड़ते है।कई परीक्षार्थियों को परीक्षा के बारे में सोचकर ही बैचैनी महसूस होने लगती है ।जब परीक्षाये सिर पर हो तो दबाव बनना स्वाभाविक हैं परन्तु नियमित अध्ययन के दौरान विद्यार्थी इस दबाव को कम कर सकता हैं अब सवाल यह उठता है कि यदि विद्यार्थी इस भाग दौड़ भरी जिन्दगी में किसी कारण वश वर्ष भर पढ़ाई नहीं कर पाया हैं तो उस पर यह दबाव और हावी हो जाता हैं परन्तु इसका मतलब यह नही कि वह हिम्मत हार जाये । परीक्षा समीप आते ही दिमाग में उथल-पुथल मच जाती है , कि क्या मैं सभी प्रश्नों के उत्तर दे पाऊंगा ? क्या सभी उत्तर सही होंगे ? जो सिलेबस छोड़ दिया कहीं उसी में से प्रश्न आ गये तो ? थोडा और पढ़ लेता तो ठीक रहता ! परीक्षा के लिए थोड़ा और समय मिल गया होता तो अच्छा रहता ! इस तरह के न जाने कितने प्रश्न लगभग सभी विद्यार्थियों को परेशान करते है । थोडा – बहुत मानसिक दवाब बेहतर प्रदर्शन के लिए अच्छा रहता है मगर ज्यादा दवाब नुकसानदायक हो सकता है। निम्न बातों पर ध्यान देकर आप परीक्षा के डर को दूर कर सकते हैं।

1 समय का सदुपयोग :-समय के सदुपयोग का स्मार्ट तरीका है कि आप अपनी कक्षा के समय का पूरा उपयोग करें। जब शिक्षक कक्षा में पढ़ाते हैं तो कई छात्र आपस में बातें करने में या इधर उधर करने में क्या पढ़ाया जा रहा है उस पर ध्यान नहीं देते। यह भी समय का दुरुपयोग है। जब शिक्षक कक्षा में पढ़ा रहे हैं तो उसे ध्यान से समझिए और जो समझ में ना आये उसे तुरंत पूछिए। कई छात्र कुछ समझ में ना आने पर संकोचवश उसे शिक्षकों से पूछते नहीं हैं।

2. पाठ्यक्रम में अंकों के अनुसार पढ़ाई:-आजकल बोर्ड परीक्षा से पूर्व प्रत्येक बोर्ड विद्यार्थियों की सुविधा के लिए ब्लूप्रिंट जारी करता आ रहा है। इस पर भी सावधानी जरूरी जान पड़ती है कि बाजार में उपलब्ध प्रश्न बैंकों पर दिए गए ब्लूप्रिंट को एक बार बोर्ड की वेबसाईट खोलकर मिलान अवश्य कर ले और अंतिम रूप से बोर्ड की वेबसाईट के ब्लूप्रिंट को ही स्वीकार करें। ऐसा करने से अध्याय की महत्ता और उस पर लगाया जाने वाला अध्ययन का समय उचित रूप से बांटा जा सकता है।

3. परीक्षाओं के दौरान टाइम मैनेजमेंट:-जिन्दगी में हर चीज और काम के लिए एक निर्धारित समय होता है. पढाई-लिखाई के लिए भी एक समय होता है. जब हम स्कूल या कालेज में पढ़ते है वो समय कुछ अलग ही होता है. स्टूडेंट लाइफ के समय का एक अलग ही महत्व और आकर्षण होता है. ये वह समय होता है जब इंसान के सामने सिर्फ एक ही चीज महत्वपूर्ण होती है और वो है अपनी पढाई-लिखाई. एक बार ये लाइफ बीत जाये तो दोबारा वैसे का वैसा समय दोबारा नहीं आता, इसीलिए कहते हैं कि विद्यार्थी जीवन जिंदगी का स्वर्णिम समय होता है. इसे व्यर्थ के कार्यों में नहीं गंवाना चाहिए।

4 बढ़ाएँ दिमाग की ताकत:-बच्चे सकारात्मक ऊर्जा, विस्मित भाव और उत्सुकता से सोचते हैं। अपने आपको दिवास्वप्न देखने दीजिए। इससे मस्तिष्क तीक्ष्ण होगा और दिमाग की ताकत भी बढ़ेगी। अपने आपको केवल एक ही व्यक्ति न बनने दें। एक ही व्यक्ति में बहुत सारे व्यक्तित्व पैदा कीजिए। आप जितने अधिक से अधिक हो सकते हैं, उतने तरीकों से सोचिए।कोई गलती न कर बैठें, इस विचार पर लगाम दीजिए। इस दुनिया में कोई परफेक्ट नहीं होता, कभी हो भी नहीं सकेगा।

5 सकारात्मक सोच :-किसी बात के प्रति आपका क्या रवैया है, इससे उस बात को याद रखने का सीधा संबंध है। यदि आप किसी बात को याद रखते समय उसके प्रति सकारात्मक रवैया रखेंगे तो वह बात या पाठ आपको पहली बार में ही याद हो जाएगा।किसी भी नई बात को समझना आपके पहले से अर्जित ज्ञान पर निर्भर है, क्योंकि तब आप नई बात को उसकी कसौटी पर रखकर जोड़ते हुए याद रख लेंगे। आप जितना मूलभूत ज्ञान बढ़ाते जाएँगे, उतना नए ज्ञान को समझना आसान होता जाएगा।

6 परीक्षा का डर मन से निकालिए:-परीक्षा का नाम सुनते ही आपकी हालत खराब हो जाती है और आप टेंशन में आ जाते हैं, आते हुए उत्तर भी भूल जाते हैं या फिर उन उत्तरों को लिखने के लिए समय ही नहीं बचता इससे आपकी सारी मेहनत बर्बाद हो जाती है।इसका कारण विषय की पर्याप्त तैयारी का ना होना है इसका उपाय लगातार आगे बढ़ते रहना ही है। और यदि यह डर आपको सत्ता रहा है तो इसका उपाय है की आप इस डर से लड़िए और इसे जीत लीजिए।

डर के विषय में चाणक्य ने कहा है“भय को पास न आने दो और जैसे ही वो पास आए उसपर आक्रमण कर उसे समाप्त कर दो।”

सुबह की सैर के साथ-साथ थोड़ा-बहुत व्यायाम व खेलकूद भी जरूरी है। इससे शरीर को नई चुस्ती-फुर्ती मिलती है,जो कि शारीरिक व मानसिक विकास के लिए बहुत जरूरी है।

मनोरंजन हमारे जीवन का जरूरी हिस्सा है। परीक्षा के दिनों में मनोरंजन का समय घटा दें, लेकिन खुद को मनोरंजन की दुनिया से पूरी तरह अलग न करें। थोड़ा समय निकालकर हल्का-फुल्का संगीत, हल्की-फुल्की कॉमेडी फिल्म या धारावाहिक अवश्य देखें।

अगर आप इन सूत्रों को अपने आचरण में लायेंगे तो निश्चित परीक्षा के डर का भूत आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

सुशील शर्मा,प्राचार्य,शासकीय हाई स्कूल सहावन

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