मैं भारत का संविधान हूँ
सुशील शर्मा
मैं भारत का संविधान हूँ
आओ मुझको पहचानो।
मैं भारत का आत्मरूप हूँ
मुझसे भारत को जानो।
लिखित नियम कानून सँभाले
मैं अनुशासन का राही।
समता ममता को मैं पाले
देशप्रेम का अनुग्राही।
चार सौ पैसठ अनुच्छेद हैं।
बारह मेरी अनुसूचीं ।
बाइस भागों में चित्रित हूँ
अति विशाल मेरी सूची।
हैं समान सब इस भारत में
सब मिल कर मुझको मानो
मैं भारत का आत्मरूप हूँ
मुझसे भारत को जानो।
सन उन्नीस सौ उन्नचास था
और नवंबर था छब्बीस।
पारित करके महासभा ने
ताज चढ़ाया मेरे शीश।
तभी बना गणतंत्र ये भारत
जबसे मुझको अपनाया।
मैं भारत का रक्षक प्रहरी
राष्ट्रगान मैंने गाया।
मैं मन का संकल्प तुम्हारा
अपने मन मुझको ठानो।
मैं भारत का आत्मरूप हूँ
मुझसे भारत को जानो।
मेरे सिद्धांतों पर चलकर
भारत देश महान बना।
मेरी मर्यादा में रहकर
लोकतंत्र का खम्ब तना।
बचा नहीं अस्तित्व किसी का
जिसने मर्यादा तोड़ी।
मिट्टी में मिल नष्ट हुआ वो
जिसने राह मेरी छोड़ी।
मैं भारत का उद्बोधन हूँ
मर्यादा मेरी मानो।
मैं भारत का आत्मरूप हूँ
मुझसे भारत को जानो।
75 वें संविधान दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।
जय हिंद