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July 8, 2025
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बड़े बाबा के बड़े दरबार में आचार्य श्री समयसागर जी महाराज के कर कमलों से प्रथम बार 12 ऐलक दीक्षाएं संपन्न हुई

बड़े बाबा के बड़े दरबार में आचार्य श्री समयसागर जी महाराज के कर कमलों से प्रथम बार 12 ऐलक दीक्षाएं संपन्न हुई

कुंडलपुर दमोह (जय कुमार जलज)।युग श्रेष्ठ संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य परंपराचार्य विद्या शिरोमणि परम पूज्य आचार्य श्री समय सागर जी महाराज के कर कमलो से प्रथम बार सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर में बड़े बाबा के बड़े दरबार में बड़े बाबा मंदिर परिसर में एक भव्य समारोह में 12 ऐलक दीक्षाएं प्रदान की गई। इस अवसर पर मुनि श्री चंद्रसागर जी महाराज द्वारा पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के कुछ संस्मरण सुनाते हुए कार्यक्रम की शुरुआत हुई । चित्र अनावरण अमिताभ जी, अशोक चांवल ,चंद्र कुमार सराफ अध्यक्ष कुंडलपुर क्षेत्र कमेटी, वीरेश सेठ ,संतोष सिंघई, इंजी. आरके जैन महामंत्री आदि ने किया ।दीप का दीपन कंवरलाल अशोक पाटनी आरके मार्बल परिवार द्वारा किया गया। आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन अभय बनगांव परिवार द्वारा किया गया ।शास्त्र अर्पण भामाशाह पाटनी परिवार ने किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए निर्यापक श्रमण मुनि श्री संभव सागर जी महाराज ने कहा आज वह दिन सबके समक्ष उपस्थित हुआ है आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य आचार्य श्री समयसागर जी महाराज के द्वारा बड़े बाबा जी जो छोटे बाबा के आराध्य हैं जिनके पादमूल में यह दीक्षा कार्यक्रम संपन्न हो रहा है ।आचार्य श्री ने भी बड़े बाबा के पादमूल में क्षुल्लक,ऐलक , आर्यिका दीक्षाएं दी थी उसी का अनुसरण करते हुए नववर्ष पर आचार्य श्री समयसागर जी आज दीक्षा प्रदान कर रहे हैं। सभी प्रतीक्षारत हैं कौन सा दृश्य उपस्थित हो रहा है, कौन सी दीक्षा होने जा रही है। अब क्षुल्लक जी नए स्वरूप में आएंगे आप देखेंगे।इस अवसर पर परम पूज्य आचार्य श्री समय सागर जी महाराज ने दीक्षा की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कहा सन 2022 में बड़े बाबा के पंचकल्याणक गजरथ महामहोत्सव के पावन अवसर पर गुरुदेव ने क्षुल्लक दीक्षाएं प्रदान की थी। उनकी भावना काफी दिन से थी उनकी भावना को ध्यान रखते आचार्य श्री के आदेश संकेत का पालन करते हुए पवित्र पावन क्षेत्र कुंडलपुर में वह दृश्य आपके सामने आ रहा है। मेरी दीक्षा भी इसी क्रम से गुरुदेव ने प्रदान की थी ।समय-समय पर योग्यता सामर्थ अनुसार मार्ग प्रदान किया जाता है। अभी 11 प्रतिमाएं यथावत है उनके पास जो गुरुदेव ने प्रदान की थी। क्षुल्लक के उपरांत ऐलक पद आता है ।अभी तक दुपट्टा का उपयोग करते थे अब करपात्री बनेंगे अब आज से ऐलक पद पर रहेंगे। थोड़ा और समय उन्हें साधना के लिए दिया जा रहा है ।अब दुपट्टा उतार कर कायोत्सर्ग कर दुपट्टे का प्रयोग नहीं करेंगे। मृदु वस्त्र के माध्यम से परिमार्जन करते थे ।अब उनके हाथ में पिच्छिका संयोपकरण प्रदान किया जाएगा। अभी तक कटोरा लेकर आहार लेते थे अब कर पात्र में आहार लेंगे। अब ऐलक बनने के बाद नियम पूर्वक केशलोंच करेंगे ।जो नाम गुरुदेव ने प्रदान किए थे वही नाम उनके रहेंगे ।12 ऐलक महाराज को आचार्य श्री समयसागर जी महाराज के करकमलों से संयम उपकरण पिच्छिका प्रदान की गई ।अब संयम उपकरण पिच्छिका से ही सभी परिमार्जन करेंगे ।जिन क्षुल्लक महाराज को ऐलक दीक्षा प्रदान की गई उनके नाम क्रमशः ऐलक श्री औचित्यसागर जी ,ऐलक श्री गहनसागर जी, ऐलक श्री कैवल्यसागर जी, ऐलक श्री सुदृढ़सागर जी ,ऐलक श्री समुचित सागर जी, ऐलक श्री उचितसागर जी, ऐलक श्री अथाहसागर जी, ऐलक श्री उत्साहसागर जी ,ऐलक श्री अमाप सागर जी, ऐलक श्री उद्यमसागर जी, ऐलक श्री गरिष्ठसागर जी, ऐलक श्री गौरवसागर जी महाराज । पूज्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री अभयसागर जी महाराज ससंघ सहित आचार्य संघ मंच पर विराजमान था। वाणीभूषण ब्रह्मचारी विनयभैया, ब्रह्मचारी संजीवभैया बड़ीसंख्या में भैयाजी एवं दीदीजी की उपस्थिति थी।इस अवसर पर भारी संख्या में श्रद्धालु भक्तों ने देश के कोने-कोने से उपस्थित होकर दीक्षा कार्यक्रम के साक्षी बनने का सौभाग्य प्राप्त किया।

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