नाबालिग पुत्री के साथ दुष्कर्म करने वाले पिता को आजीवन कारावास
नरसिंहपुर । न्यायालय द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश डॉ श्रीमती अंजली पारे के न्यायालय द्वारा नाबालिग पुत्री के साथ दुष्कर्म करने वाले पिता को दोषसिद्ध पाते हुए धारा- 5(n)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में आजीवन कारावास (शेष प्राकृत जीवनकाल के लिए) एवं 5000/- जुर्माना तथा धारा 5(l)/6 व धारा 5(m)/6 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 में क्रमश: 20-20 वर्ष का सश्रम कारावास व -5000/- – 5000/- का जुर्माना तथा भादवि की धारा 506 (भाग-दो) में 03 वर्ष सश्रम कारावास एवं 1000/- जुर्माना से दंडित किया गया।
जिला अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी ने बताया कि पीडित बालिका ने आरक्षी केंद्र गाडरवारा में 6.6.2024 को शिकायत की थी कि करीब दो माह पूर्व अप्रैल में रात्रि करीब 9 बजे पीडित बालिका और उसका भाई खाना खाकर सो गए थे । आरोपी ने उसका मुंह बंद करके जबरदस्ती उसके साथ में बलात्कार किया था। बालिका ने यह भी बताया की आरोपी ने इसके पूर्व कई बार पीडित बालिका के साथ में जबरदस्ती गलत काम किया था। पीडित बालिका की मां का देहांत हो चुका है वह तथा उसका छोटा भाई अपने पिता के साथ रहती है तथा उसकी सौतेली बहिनों की शादी हो चुकी है। पिता द्वारा गलत काम करने के संबंध में पीडित बालिका ने अपनी सौतेली बडी बहन और अन्य लोगो को बताने का कहने पर आरोपी उसके साथ मारपीट करता था और जान से मारने और घर से भगाने की धमकी देता था। दिनांक 5.6.2024 को भी रात्रि करीब 9 बजे पीडित बालिका के पिता ने उसके साथ जबरदस्ती गलत काम (बलात्कार) किया है जिस संबंध में उसने अपनी सौतेली बडी बहन को बताया था उनके साथ रिपोर्ट लेख कराने गई।
रिपोर्ट के आधार पर आरोपी के विरूद्ध आरक्षी केन्द्र गाडरवारा में अपराध क्रमांक 589/2024 पर संहिता की धारा, 376, 376एबी, 376(2)(एन), 376(2)(च), 323, 506 एवं लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(m), 5(l), 5(n), 6 कायम कर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेखबद्ध की जाकर प्रकरण विवेचना में लिया गया। अनुसंधान के आगामी प्रक्रम पर पीडित बालिका एवं अन्य साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किये गये, आरोपी को गिरफ्तार किया गया तथा अन्य आवश्यक अन्वेषण एवं कार्यवाही उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
अभियोजन की ओर से प्रस्तुत किए गए साक्षी जिसमें अभियोक्त्री व उसकी सौतेली बडी बहिन की साक्ष्य महत्वपूर्ण एवं विश्वसनीय मानते हुये एवं चिकित्सक द्वारा न्यायालय में दिये गये साक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए तथा चिकित्सीय साक्षी द्वारा दिये गये साक्ष्य के समर्थन में आई हुई डी.एन.ए. रिपोर्ट को निश्चियात्मक साक्ष्य मानते हुये आरोपी को दोषसिद्ध पाते हुये न्यायालय द्वारा आरोपी को उक्त सजा सें दंडित किया। प्रभारी उपसंचालक अभियोजन/जिला लोक अभियोजन अधिकारी नरसिंहपुर के मार्गदर्शन में विशेष लोक अभियोजक श्रीमती संगीता दुबे द्वारा उक्त प्रकरण में पैरवी की गई।