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May 16, 2025
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मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा नरसिंहपुर में “सिलसिला” के तहत पं प्रेमनारायण त्रिपाठी एवं सैयद क़ासिम अली को समर्पित स्मरण एवं रचना पाठ आयोजित”

मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा नरसिंहपुर में “सिलसिला” के तहत पं प्रेमनारायण त्रिपाठी एवं सैयद क़ासिम अली को समर्पित स्मरण एवं रचना पाठ आयोजित”

गाडरवारा। मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के तत्त्वावधान में ज़िला अदब गोशा नरसिंहपुर के द्वारा सिलसिला के तहत पं श्री प्रेमनारायण त्रिपाठी एवं सैयद क़ासिम अली को समर्पित स्मरण एवं रचना पाठ का आयोजन गत दिवस ऑडिटोरियम शा. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाडरवारा में ज़िला समन्वयक अनीस शाह के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम मे अनीस शाह अनीस के तीसरे ग़ज़ल संग्रह ज़िक्र तुम्हारा ‘ का विमोचन हुआ और ज़िले के शायरो द्वारा काव्य एवं गजलों का पाठ हुआ। इस अवसर पर उर्दू अकादमी की निदेशक डॉ. नुसरत मेहदी ने कार्यक्रम की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “श्री प्रेमनारायण त्रिपाठी और सैयद क़ासिम अली को समर्पित ज़िला नरसिंहपुर की संगोष्ठी “सिलसिला” के माध्यम से इस ज़िले की साहित्यिक पृष्ठभूमि से लोग अवगत हो रहे हैं। पूर्व में उर्दू जगत में इस प्रकार के कार्यक्रम नहीं होते थे। इस दृष्टि से उर्दू अकादमी का यह कार्यक्रम सार्थक और उद्देश्य पूर्ण है। इसी के तहत भाषा और साहित्य के उन्नयन और विकास के लिए त्रिपाठी जी और सैयद क़ासिम अली के योगदान को भी हम स्मरण कर रहे हैं जो हमारा दायित्व है।” नरसिंहपुर ज़िले के समन्वयक अनीस शाह ने बताया कि सिलसिला के तहत कार्यक्रम मे स्मरण एवं रचना पाठ का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कुशलेंद्र श्रीवास्तव ने की। साथ ही मुख्य अतिथि के रूप में शिवाकांत मिश्रा नगरपालिका अध्यक्ष एवं विशिष्ट अतिथियों के रूप में जबलपुर के वरिष्ठ शायर मुख़्तार नादिर, मिनेंद्र डागा, प्रो. जवाहर शुक्ल, श्री कीरत सिंह पटैल, नगेन्द्र त्रिपाठी, एवं सूफ़ी गायक मनीष शुक्ला आदि मंच पर उपस्थित रहे।इस सत्र के प्रारंभ में नरसिंहपुर के साहित्यकारों शेख ज़फ़र ख़ान एवं वेणीशंकर पटेल ने नरसिंहपुर के प्रसिद्ध शिक्षाविद एवं समाजसेवी पं श्री प्रेमनारायण जी त्रिपाठी और महान स्वतंत्रता सेनानी एवं साहित्यकार सैयद क़ासिम अली के जीवनी के विषय मे बताते हुए पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर शेख ज़फ़र ख़ान ने महान स्वतंत्रता सेनानी एवं साहित्यकार सैयद क़ासिम अली के बारे में बताते हुए कहा कि सैयद क़ासिम अली शाह में लेखन प्रतिभा बचपन से ही थी एवं साहस भी उनमें बहुत था। उन्होंने हिन्दी, उर्दू और संस्कृत में महारत हासिल की। लेखन की ओर अग्रसर हुए । शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति करते करते अपनी योग्यता से अंग्रेज़ शासन में डिप्टी इंस्पेक्टर आफ़ स्कूल के पद पर पहुँचे। परंतु कुछ समय बाद आन्दोलनों में सक्रिय हो गये और गांधीजी से प्रभावित हो कर सन 1930 में नौकरी से त्यागपत्र पत्र दे दिया । अपना सम्पूर्ण जीवन गांधीवाद में लगा दिया। आन्दोलनों में भाग लिया और कई बार जेल भी गये। वेणीशंकर पटेल ने प्रख्यात शिक्षाविद एवं समाजसेवी पं. श्री प्रेमनारायण त्रिपाठी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के हवाले से चर्चा हुए कहा कि राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त एक आदर्श शिक्षक पं. प्रेमनारायण जी त्रिपाठी का जन्म 9 जनवरी 1944 को गाडरवारा तहसील के बम्हौरी (कला) में हुआ था। 27 जनवरी 1967 को जनपद माध्यमिक शाला डोभी से अपने शिक्षकीय जीवन का प्रारंभ करने वाले श्री त्रिपाठी जी विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे। संस्कृत एवं हिन्दी भाषा के प्रखर विद्वान श्री त्रिपाठी जी ने हिन्दी साहित्य सम्मेलन एवं राष्ट्र भाषा प्रचार समिति वर्धा के लिये आजीवन कार्य किया। आदर्शों एवं संस्कारों की उन्होंने शिक्षा ही नहीं दी बल्कि अपने जीवन में आत्मसात भी किया। 27 वर्ष की लम्बी अवधि डोभी के विद्यालय में सेवा देने के बाद 16 अक्टूबर 1994 को आपकी पदोन्नति आदर्श उ.मा.वि., गाडरवारा में उच्च श्रेणी शिक्षक के रूप में हो गई। अपनी मिलन सारिता एवं रचनात्मक कार्य शैली से श्री त्रिपाठी जी ने शिक्षा, साहित्य, कला एवं संस्कृति के क्षेत्रों में अपनी सहभागिता देकर एक आदर्श शिक्षक की भूमिका का निर्वहन किया। उनकी इन्हीं उपलब्धियों के लिये उन्हें वर्ष 1998 में तात्कालीन राष्ट्रपति महामहिम के. आर. नारायनन ने भारत सरकार के सर्वोच्च शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया। कार्यक्रम के अंतिम चरण मे मुख़्तार नादिर नेअब तो ग़ैरों से नहीं अपनों से बचना है हमें

आज फिर नज़दीक से छल होते होते रह गया रचना प्रस्तुत की। अनीस शाह ने लहू सींचा है इस मिट्टी में कुछ ऐसा शहीदों ने कि फ़स्लें सरफ़रोशी की वतन में लहलहाती हैं रचना सुनाकर आनंदित कर दिया। धर्मेन्द्र आजाद ने उसने आंखों में रखा अश्क बना कर मुझको चाहता तो वो मुझे ख़्वाब बना सकता था रचना सुनाई। गफ्फार भारती ने

ऐसे अंदाज़ से काटे हैं उसने मेरे पर

होके पिंजरे से भी आज़ाद कहां जाऊंगा रचना पेश की। ज्योति श्रीवास्तव ने अपने अरमान क़त्ल करके ही रंग ख़्वाबों में भर रही हूँ मैं पंक्तियों को सुनाया। कवि विजय नामदेव बेशर्म ने वक़्ते-रुख़सत भी कब रहा आसान चाय वो भी बना के बैठ गये कविता सुनाई। सचिन नेमा ने जान कर सौदा किया है बेवफ़ा से जख़्म देगी ये तिज़ारत सब पता है रचना सुनाई। योगेंद्र सिंह योगी ने तुम हो रौशन दिया तो ऐसा करो कुछ दिये तुम भी अब करो रौशन कविता पेश की। कार्यक्रम मे ख़लील करेलवी, शील दुबे, पोषराज मेहरा ने भी रचनाएं प्रस्तुत की।

कार्यक्रम का संचालन श्री शाह एवं प्रफुल्ल दीक्षित द्वारा किया गया। कार्यक्रम के अंत अनीस शाह ने सभी अतिथियों, रचनाकारों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।

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