पयुर्षण पर्व का आठवां दिन अनेक मनोरथ सम्पन्न
गाडरवारा । सच्चे मन से कषाय और मिथ्यात्व का त्याग करना उत्तम त्याग धर्म है। आत्म शुद्धि के उद्देश्य से क्रोध, मान, माया और लोभ आदि विकारी भावों को छोडऩा तथा स्व और पर के उपकार की दृष्टि से अर्थात परोपकार अपने उपभोग के धन-धान्य आदि पदार्थों का सुपात्र को दान करना भी त्याग धर्म है।
दसलक्षण धर्म के आठवें दिन उत्तम त्याग धर्म की महत्ता इस बात कि है कि व्यवहार में आज हम सभी त्याग को दान समझने की भूल कर रहे हैं। त्याग धर्म का लक्षण है और दान पुण्य की प्रकृति है। आचार्यों द्वारा आहार, औषध, अभय औऱ ज्ञान को दान के प्रकार बताया है। आहार दान मुनि, आर्यिका, क्षुल्लक, क्षुल्लिका जी सहित उन सभी पात्रों के लिये उचित बताया है जो स्वयं भोजन नहीं बना सकते। मुनि आदि व्रती त्यागियों के रोगग्रस्त हो जाने पर निर्दोष औषधि देना, चिकित्सा की व्यवस्था एवं सेवा सुश्रुषा करना औषध दान होता है। इसी तरह अभय दान प्राणी को जीवन दान देने और ज्ञान दान शिक्षा या पठन पाठन में योगदान को कहा है। जो जीव अपनी प्रिय वस्तु से राग या ममत्व भाव छोड़कर उसे किसी अन्य की जरूरत या सेवा के लिए समर्पित कर देता है, उसे श्रेष्ठ दान कहा गया है।
आज के दिन प्रथम अभिषेक का सौभाग्य अनूप कुमार कमलेश, अलोक परिवार को द्वितीय अभिषेक कलश का सौभाग्य श्री सुरेश जैन अमित जैन परिवार को ,प्रथम शांतिधारा का सौभाग्य श्री सतेन्द्र जैन,हीरा ट्रान्सपोर्ट परिवार को एवं.द्वितीय शांतिधारा का सौभाग्य श्री राजेन्द्र कुमार, रिशि कुमार थालावाले को प्राप्त हुआ। मंगल आरती और श्रीजी पूजन के उपरांत श्री मनोज कुमार, नम्रता वसा के सौजन्य से आयोजित भगवान नेमीनाथ विधान का सभी श्रावको ने पुण्य लाभ लिया । दस दिवसीय धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन में प्रति दिन महिला पुरूष और बच्चों की उपस्थिति उत्साह पूर्वक बनी हुई है ।