22.9 C
Bhopal
September 9, 2024
ADITI NEWS
देशसामाजिक

कार्पोरेट कंपनियों भारत छोड़ो आव्हान को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा धरना प्रदर्शन

 

कार्पोरेट कंपनियों भारत छोड़ो आव्हान को लेकर अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा धरना प्रदर्शन

9 अगस्त को संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी कार्पोरेट कंपनियों भारत छोड़ो आंदोलन के तहत अखिल भारतीय किसान सभा नरसिंहपुर द्वारा भगतसिंह चोक सालीचौका में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन कर नारेबाजी करते हुए नुक्कड़ सभा की गई ।

मध्य प्रदेश किसान सभा के संयुक्त सचिव कामरेड जगदीश पटेल ने सम्बोधित करते हुए कहा कि मोदी सरकार 3काले कृषि कानून लेकर आई थीं जिसके परीणाम स्वरूप देश भर के 500से अधिक किसान संगठनों ने एकजुट होकर दिल्ली की बार्डर को घेरते हुए 13महीने से अधिक आंदोलन चला जिसमें 700से अधिक किसानों की शहादत हुई, आखिर सरकार के प्रधानमन्त्री मोदी जी को 19नवंबर 2022को माफी मांगते हुए बिल वापसी की बात कही एवं सरकार के द्वारा एमएसपी गारंटी कानून, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश अनुसर एमएसपी, किसानों के कर्जे माफी पर चर्चा कर समाधान करने आंदोलन के दौरान बनाए गए मुकदमों को वापिस लेने सहित अन्य मुद्दों पर लिखित आश्वासन दीया इसके उपरांत मोरचा ने आंदोलन स्थगित किया था। लेकीन वायदा खिलाफी मोदी सरकार आज तक एक कदम आगे नही बढ़ी, किसानों के साथ धोखा किया है।

बाबजूद किसानों की समस्या सुलझाने के सरकार कार्पोरेट कंपनियों को संरक्षण देने लगातार किसान मजदूर एवं मेंहतक्ष वर्ग के खिलाफ़ जनविरोधी बिल लाती जा रही है।

सरकार भूमि अधिग्रहण बिल लेकर आई है जिसमें अब कार्पोरेट जहां भी किसी भी मद की वेशकीमती जमीन चाहेगा सरकार उसे किसान मजदूर या गांव नदी पहाड़ बिना भूस्वामियों की सहमति से छीनकर उनके सुपुर्द कर देगी, जो सरकार के अनुसर मुआवजा है संबंधित ले ले न भी ले तो सरकार उसे खजाने में जमा करेगी लेकीन जमीन छोड़ना ही पड़ेगा। इसके पर्व अधिग्रहण के पूर्व उस क्षेत्र की 70प्रतिशत जनता द्वारा पारित प्रस्ताव के बाद ही अधिग्रहित कर सकते थे, और भी कार्पोरेट के हित इस बिल में समाहित है।

दूसरा सरकार ने 34श्रम संहिताओं को सुव्यवस्थित करने के नाम पर 2019को एक श्रम संहिता एवं सितम्बर 2020में 3श्रम संहिता विधेयक पास किए जिसमें वेतन संहिता अधिनियम 2019, औद्योगिक सम्बन्ध संहिता 2020, व्यवसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति संहिता विधेयक 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2020पारित किए गए। जिसमें सभी उद्योगों के श्रमिको की हड़ताल पर जाने के अधिकार पर शर्ते, आकस्मिक हड़ताल गैर कानूनी होगी, यूनियन हड़ताल पर जाने से 60दिन पर्व नोटिस देंगी, किसी विषय पर श्रम न्यायालय में प्रकरण चलता है उसकी समाप्ति के 60दिन बाद तक हड़ताल पर नहीं जा सकते उल्लंघन करने पर 3साल की सजा और 1लाख जुर्माना का प्रावधान रखा गया है। 300से कम मजदूरों वाले उद्योगों पर यह नियम लागू नहीं होगा जो की कुल युद्धोगो के 80प्रतिशत हैं, वे मजदूर मालिक जब चाहे तब निकाल बाहर कर सकते हैं। ऐसी कंपनियां बढ़ेंगी जो सरकार की स्वीकृति के बिना कर्मचारियों को निकल देंगी।

तीन नए आपराधिक कानून,

इसी तरह बिजली संशोधन बिल 2022जो चोरी छिपे बिना लिस्टिंग के 8अगस्त को हितधारको से बिना चर्चा किए अचानक संसद में रखकर पारित कर कार्पोरेट के हित में निर्णय ले रहे हैं।

मोदी सरकार लगातार रेल, हवाई, बिजली, टेलीफोन,bank, बीमा, जल जंगल जमीन, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार को चन्द कारपोरेट कांपनियो के हवाले कर देश की आम आवाम की बदतर हालत करते हुए देश को बर्बाद करने पर तुली हुई है।

संयुक्त किसान मोर्चा के घटक किसान संगठ्न अखिल भारतीय किसान सभा पूरे देश में कार्पोरेट कंपनियों को भारत छोड़ने का एलान के साथ मोदी सरकार को कारपोरेट परस्त नीतियां वापिस करने की चेतावनी देती है।

नुक्कड़ सभा को तहसील महासचिव करन सिंह अहिरवार, उपाध्यक्ष देवेन्द्र वर्मा, सहसाचिव नरेन्द्र वर्मा, रामसिंग वर्मा ने सम्बोधित करते हुए मूंग खरीदी, मंडियों में चोरी से लेकर, नकली खाद बीज, बिजली नियमानुसार किसानों को 10घण्टे पूरी न मिलने संबंधित स्थानीय मुद्दों को उठाते हुए शासन के जिम्मेवार लोगों को चेताया कि जो शासन द्वारा निर्धारीत मानदंड हैं उनके अनुरूप लोगो को सुविधाएं उपलब्ध कराएं अन्यथा उनका भी विरोध करने बाध्य होना पड़ेगा। सभा में किसान सभा के एड एल एन वर्मा, तुलसीराम श्रीवास, उदुराज वर्मा, नन्हेलाल वर्मा, कमलेश पटेल, रामनरायण पटेल, भैरो प्रसाद विश्वकर्मा, दीपक वर्मा, विश्राम वर्मा सहित सैंकड़ों किसान मौजूद रहे।

Aditi News

Related posts