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July 8, 2025
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सालरिया बावड़ी शनि मंदिर पर शनि जयंती हर्षोल्लास से मनाई

सालरिया बावड़ी शनि मंदिर पर शनि जयंती हर्षोल्लास से मनाई

सुसनेर।जनपद सुसनेर की ग्राम पंचायत सालरिया बावड़ी में बने भव्य शनि मंदिर में ज्येष्ठ अमावस्या की पूर्व संध्या पर 31 वर्षीय गो पर्यावरण एवं अध्यात्म चेतना पदयात्रा के प्रणेता एवं श्रीगोधाम महातीर्थ पथमेड़ा के राष्ट्रीय संयोजक ग्वाल सन्त स्वामी गोपालानंद सरस्वती महाराज ने बताया कि शनि जिन्हें कर्मफलदाता माना जाता है। दंडाधिकारी कहा जाता है, न्यायप्रिय माना जाता है। जो अपनी दृष्टि से राजा को भी रंक बना सकते हैं। हिंदू धर्म में शनि देवता भी हैं और नवग्रहों में प्रमुख ग्रह भी जिन्हें ज्योतिषशास्त्र में बहुत अधिक महत्व मिला है। शनिदेव को सूर्य का पुत्र माना जाता है और गोमाता और शनि में गुरु भाई बहिन का रिश्ता होता है क्योंकि गोमाता के गुरु सूर्य है और शनि सूर्य के पुत्र है इसलिए गोमाता की सेवा से शनि प्रसन्न होते है और गोसेवा करने वाले को शनि की कुदृष्टि नहीं पड़ती है ।
स्वामीजी ने कहां कि सेवा एवं सुमिरन यह दोनों साथ हो जाएं तो मानव जीवन धन्य हो जाता है और गोमाता की हाथ से सेवा एवं मुख से हरिनाम लिया जाए तो उसका कई गुणा फल मिलता है और यह कार्य ईश्वरीय कृपा से ही सम्भव है अर्थात जिसके मन में किसी प्रकार की कामना न हो और वह निष्काम भाव से सेवा एवं सुमिरन करें तो भगवान उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करते है बस इसके लिए फकीरी ज़रूरी हैं क्योंकि जहां फकीरी आ गई वहां फक्र को कोई जगह नहीं होती है ।
शनि जयंती की पूर्व संध्या सोमवती अमावस्या के पुण्य पर्व पर शिवलाल पिता नरवर सिंह मैनपुर वालों की ओर से श्रीशनि देव नवग्रह मंदिर सालरिया बावड़ी पर महाप्रसादी का आयोजन रखा गया जिसमें क्षैत्र के हजारों भक्तों ने महाप्रसादी ग्रहण की और दूसरे दिन 27 मई अमावस्या की संध्या पर सभी क्षेत्र वासियों की और से सुसनेर की सुंदरकांड मंडली द्वारा संगीतमय सुन्दर काण्ड पाठ का आयोजन एवं भोजन प्रसादी का आयोजन रखा गया ।
गौरतलब है कि सुसनेर जनपद की साल रिया बावड़ी में श्री कामधेनु गो अभयारण्य शनि देव गो सेवा युवक मंडली के सफल नेतृत्व में विगत अक्षय तृतीया के पुण्य पर्व भगवान शनि देव अपने सम्पूर्ण नवग्रह परिवार के साथ भव्य मंदिर पर विराजमान हुए थे और हर शनिवार को यहां शनि मंदिर दर्शन के लिए सैकड़ों दर्शनार्थी पधारते है और बावड़ी क्षेत्र में मेला जैसा माहौल बना रहता है।

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