लेखनी अविरल चले माँ,ज्ञान दो वरदान दो माँ, सत्य शुद्ध विचार हों माँ
माँ शारदा सत्य का संधान दो माँ (सुशील शर्मा) ज्ञान दो वरदान दो माँ। सत्य का संधान दो। बिंदु से भी छुद्रतम मैं कृपा का अवदान दो। अवगुणों को मैं समेटे माँ पतित पातक हूँ मैं। मोह माया से घिरा हूँ, निपट पशु जातक हूँ मैं। अज्ञानता मन में बसाये......