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October 14, 2024
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“अपने लिए जिये तो क्या जिये तू जी ये दिल जमाने के लिए” गीत को चरितार्थ कर रहे शिक्षक विनोद दुबे

“अपने लिए जिये तो क्या जिये तू जी ये दिल जमाने के लिए”

यह गीत शासकीय उ. मा. विद्यालय मिढ़वानी(देवरी) में पदस्थ शिक्षक श्री विनोद जी दुबे पर शब्दशः परिलक्षित होता है, व्यक्ति यदि अच्छे भाव से मन में ठान लें तो उसे पूरा करने में प्रकृति के साथ साथ आसपास के लोग भी सहयोगी बन जाते हैं, श्री विनोद दुबे प्रसिद्धी एवं प्रचार से दूर विगत दस वर्षों से निरन्तर पौधारोपण कर रहे हैं (विद्यालय समय के बाद) रोपित पौधों में से अनेक पौधे वृक्षों का रूप ले चुके हैं पहले विद्यालय परिसर फिर गांव के मार्ग, तालाब,मैदान और अब आपपास के गांव जहां के बच्चें मिढ़वानी पढने आते हैं उन गांवों में पौधारोपण, उनकी इस मुहिम में सहयोगी हैं गांव के गणमान्य नागरिक, विद्यालय के शिक्षक, स्कूल से पढकर जा चुके विद्यार्थी एवं वर्तमान में अध्यनरत विद्यार्थी, वृक्ष एवं टीगार्ड शिक्षक श्री विनोद दुबे स्वयं अपने व्यय पर लाकर देते हैं इन्होने समिति भी बनायी हैं समिति तय करती है कहां पौधा रोपित होना कौन इसकी रखवाली एवं पानी आदि की व्यवस्था करेगा।

ग़ामवासियों, शिक्षक एवं विद्यार्थियों ने गांव व आसपास अनेक पौधे लगा दिये हैं इस वर्ष 2024 का लक्ष्य 1000 पौधों को लगाने का है अभी तक लगभग 700 पौधों का रोपण हो चुका है एक ओर विशेषता इस समिति की है यदि कोई पौधा मर जाता है तो उसके स्थान पर नया पौधा लगाया जाता है, बालिकाओं की “आदिशक्ति समिति” एवं बालकों की आजाद युवा शक्ति समिति” इन समितियों में विद्यार्थियों के साथ ग़ाम के गणमान्य नागरिक, पूर्व छात्र व वर्तमान विद्यार्थी है जो निरंतर इस पुनीत कार्य में लगें हैं।

यह जानकारी शिक्षक साथी श्री परमस्नेही जी साहू द्वारा बतलायी गयी उन्होंने बताया कि दुबे जी अनेक बार उन विद्यार्थियों की शुल्क भी जमा कर देते जो शुल्क देने में असमर्थ रहते हैं वहीं इस वृहद पौधारोपण के लिए पौधे नर्सरी से लाना और टीगार्ड प्रदान करना ,शिक्षक साथी ने बतलाया कि इस वर्ष दुबे जी लगभग एक लाख रूपये टीगार्ड एवं पौधे खरीदने में व्यय कर चुके, मैनें दुबे जी से इस संबंध में जानकारी लेनी चाही तो सरलता में कहने लगे आदरणीय सब हो जाता है बस भाव भर अच्छे हों, मेरे मन में विचार आया कि कुछ लोग शासकीय धन को स्वयं के लिए उपयोग करने नित नवीन उपाय खोजते हैं वहीं दूसरी ओर ऐसे भी शिक्षक हैं जो स्वयं का धन स्कूल एवं गांव के पर्यावरण को बचाने के लिए लगा रहे हैं धन्य हैं ऐसे शिक्षक नमन हैं उन्हें।

दुबे जी ने यह बतलाया कि पौधारोपण में बच्चों के साथ गाँव के लोगों का बहुत सहयोग रहता गीष्मकाल में वे टेंकर से पौधों को पानी देते हैं, अब यह अभियान मिढ़वानी तक सीमित न रहकर सुपारी, ज्वारा,चांदौन, बासखेडा, खैरी, दहलबाडा तक पहुंच गया है जहां के बच्चें मिढ़वानी पढने आते हैं।

वर्तमान में मिढ़वानी के प्राचार्य एवं प्रभारी बीईओ आदरणीय श्री इंदुरख्या सर हैं इनका भरपूर सहयोग पौधारोपण में इन्हें मिलता है साथ ही पूरे विद्यालय परिवार के सहयोग से इस पौधारोपण के उद्देश्य “वृक्षारोपण स्वच्छता एवं जलसंरक्षण ताकि पर्यावरण का संरक्षण हो सके” की ओर बढ रहा है।

शिक्षक श्री दुबे जी को बहुत बहुत साधुवाद हम सबके बीच रहकर वो यह पुनीत अभियान में लगे हुए है सभी शिक्षकों की ओर से स्वागत वन्दन अभिनंदन।

आदरणीय श्री इंदुरख्या सर ने पौधारोपण के अभियान के बारे मेंं बतलाया कि कोई विद्यार्थी या गांव वाले किसी भी पोधे जैसे रूद्राक्ष,कदम, आम, जामुन, बिही, नारियल आदि की मांग कर दे तो सर दूसरे तीसरे दिन उन्हें पौधे उपलब्ध करा देतें है एक ओर बात है सर पौधा देते एवं स्वयं लगाते हुए फोटो नहीं खिचाते केवल दूसरों की खीचतें हैं इन बातों के साथ स ओर भी बातें श्री दुबेजी के संबंध में बतलायी कि सन 2022 में एक गरीब छात्रा को साईकल नही मिलना थी (पात्रता न होने के कारण),किन्तु वह किसी गाँव से आती थी ,एक दिन लड़की और उसकी माता जी विद्यालय आईं एवं थोड़ा सा उदास होते हुए कहा कि बेटी को भी साईकल मिल जाती तो वो भी रोज स्कूल आ जाती,इतना सुनते ही दुबे जी ने कहा कि कल पिताजी या भैया किसी के भी साथ तुम गाडरवारा आ जाना तथा तुम्हे जो साईकल पसंद हो वह ले लेना ,दूसरे दिन सर ने बिना किसी फ़ोटो के बिना प्रचार के (केवल मुझे मालूम है)5000 रु की साईकल दिला दी इस वर्ष एक बालिका जिसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नही है 12 वीबायो में पढ़ती है किंतु बहुत होशियार है,एक दिन मैंने क्लास में बच्चों से कहा कि मोबाइल पर सभी कठिन विषयो के बहुत अच्छे टीचिंग मटेरियल उपलब्ध होते हैं आप लोगों को अब हाइटेक होना चाहिए,नई तकनीकी का उपयोग करना चाहिए बच्चे सुन रहे थे किंतु किसी ने कुछ नही कहा,किन्तु बाद में उसी बिटिया ने श्री दुबे सर से कहा कि एक-दो पीरियड के लिए आप अपना मोबाइल उसे दे दें, सर ने मोबाइल दे दिया किन्तु उससे बाद में पूछा कि क्या आवश्यकता आ गई थी जब पता चला, श्री दुबे जी ने दो तीन दिन में उस बिटिया के लिए 10 हजार का टेबलेट स्वयं खरीदकर दे दिया अब बच्ची उसका भरपूर उपयोग कर रही है तथा इस वर्ष कक्षा 12 वी में भगवान की कृपा एवं श्री दुबे जी के आशीर्वाद से बहुत अच्छा करेगी ऐसा विश्वास है,आदरणीय इंदुरख्या सर ने दुबे जी के बारे में बतलाया कि सर अद्भुत व्यक्तित्व के धनी है तभी बच्चे एवं नागरिक इनका सम्मान करतें हैं।

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