गाय रहेगी तब तक आय रहेगी नहीं गाय नही तो हाय लगेगी – डॉ.पवन टांक,गोयल ग्रामीण संस्थान कोटा
सनेर/ जनपद सुसनेर में स्थापित विश्व के प्रथम गो अभयारण्य सालरिया गो अभयारण्य में चल रहें एक वर्षीय वेदलक्षणा गो आराधना महोत्सव के उपसंहार उत्सव में श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा ,श्री कामधेनु गो अभयारण्य , सजीवनी लाईफ एवं धरती देवी फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में चल रहे ऋषि कृषि गो आधारित जैविक कृषि सम्मेलन के द्वितीय दिवस पर श्री कृष्ण मुरारी, अखिल भारतीय बीज प्रमुख, भारतीय किसान संघ ने अपने उदबोधन में कहा कि हम सबको बीज बचाना होगा, बीज केवल खेती का ही नहीं अपितु समस्त जीवो का भी बीज बचाना होगा। उन्नत नस्ल के नंदी ग्राम स्तर पर पालन होना, आज की आवश्यकता है। किसान स्वदेशी बीज तैयार करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करे, आत्मनिर्भर एवं स्वावलम्बी खेती की ओर बढ़ना है।
सम्मेलन को गोयल ग्रामीण संस्थान के मुख्य प्रबंधक डॉ.पवन टांक ने बताया कि सृष्टि की रचना बीज से ही प्रारंभ हुई थी और किसानी की बात भी बीज से ही शुरु होती है। हमारे भंडार गृह आज खाली होने की कगार पर है,, और हम बाजार पर निर्भर हो गए अब हर चीज बाजार से ले रहे हैं,, दवाइयां ज्यादा डालकर आज हम अपनी फसल को हरा भरा ज्यादा करने के चक्कर में रासायनिक दवाइयों के साथ कीट नाशक दवाइयां डालकर हम अपना जीवन और अन्य जीवों का जीवन खतरे में हो गया है।
जिसके चलते कुछ हमारे कीटाणु मित्र थे अब वो भी खत्म हो रहे हैं। इस धरती से हम निकालते बहुत है और देते कम है । इस सृष्टि की एक मुट्ठी में बैक्टीरिया बहुत होते हैं लेकिन जब जब यूरिया और कीट नाशक दवाइयों का उपयोग कर हमारे जमीन के जीव जंतुओं को जीवाणुओ को मारने में लगे हैं और इन सबको बचाने के लिए हमें देशी गाय पालना है तब हम किसानो को केवल अपने खेत में गाय माता का गोबर डालनी है । 75 किलो ग्राम ताजा गोबर पानी के साथ खेत में डालनी होगा। इससे आपकी फसल में कोई भी नुकसान नहीं होगा,अपितु आपको फायदा अधिक होगा। देशी गाय का ताजा गोबर देने से आपकी फसल की रंगत बदल जाएगी।एक लीटर देशी गाय के गोबर पानी में घोल कर पिलाया जाए तो उससे पेड़ पौधे भी हरे भरे हो जाते हैं।
गाय के गोबर में उपलब्ध जो बैक्टीरिया बहुत अधिक होते हैं। इसलिए हमें अपने घरों में गाय पालनी है और खेती के लिए गाय के गोबर का उपयोग कीजिए।
खाद के विषय पर उन्होंने बोला संस्कृत के खाद्य शब्द बना है खाद इसलिए हमें देशी खाद्द का प्रयोग करना चाहिए तो कम्पोस्ट इस प्रकार बनाए दो हाथ छोड़ा गड्ढा करो,चार हाथ लंबा और घुटने की बराबर की गहराई करके लकड़ी से गड्ढे करके अंदर आप गोबर 30 kg 2 kg गुड, 30 छाछ 150 लीटर पानी में मिला कर हरि घास के कचरे अथवा कपड़ा से ढक दो समझो आपकी नंबर वन देशी खाद बना गई।
धरती मां को ठीक करने के लिए हरा डेन्चा लगाइए और पर्याप्त कम्पोस्ट डालनी है।
जमीन आपको देशी गाय का डेढ़ लीटर गोमूत्र के साथ 2 चुना की ट्यूब में 13.5 लीटर पानी बनाकर एक टंकी का घोल बना लो। खेती हमें देशी गाय के गोवर से खेती करने का काम
हमें स्थाई मन बनाकर करना है तभी आप सफल होंगे।
उन्होंने कहा कि जब तक हमारे पास गाय रहेगी तब तक आय रहेगी नहीं रहेगी तो हाय तो लगेगी ही।
सम्मेलन में धरती देवी फाउंडेशन के संरक्षक गोबर गोपाल दास जी महाराज ने बताया कि हमारी धरती को अगर कोई बचा सकता है तो वह है गोमाता का गोबर और इस अभ्यारण्य की बंजर भूमि में गोमाता के गोबर ने नए प्राण दिए है और वह भूमि उपजाऊ हो गई है ।
गो अभयारण्य के प्रबंधक शिवराज शर्मा ने सभी अतिथियों का धन्यवाद प्रकट किया और संचालन धेनु देवी फाउंडेशन के संयोजक अजीत शर्मा ने किया ।
चित्र : धरती देवी फाउंडेशन को को संबोधित करते कृषि कृषि विशेषज्ञ एवं प्रशिक्षण लेते प्रशिक्षणार्थी ।