साइटिका का आयुर्वेद से सफल चमत्कारी इलाज
हरसिंगार का उपयोग
शोध में बताया गया है कि हरसिंगार का व्यापक रूप से ब्रोंकाइटिस, गठिया, अस्थमा, खांसी, मतली, कटिस्नायुशूल, गठिया, कब्ज आदि के उपचार में उपयोग किया जाता है। पत्तियों से लेकर जड़ों तक, हरसिंगार का पूरा पौधा विभिन्न उपचार गुणों के लिए बहुत उपयोगी है। यह आयुर्वेद में एक अद्भुत पौधा है और इसे कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है।
हरसिंगार, जिसे आमतौर पर रात में खिलने वाली चमेली या पारिजात के नाम से भी जाना जाता है, एक फूल वाला पेड़ है, जो अपने सुगंधित फूलों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। फूल में सफेद रंग की पंखुड़ियां और एक नारंगी तना होता है और ये फूल हर सुबह पेड़ से गिरते हैं। तो, अगली बार जब आप अपने आस-पड़ोस में सफेद और नारंगी फूलों से भरी हुई जमीन देखें, तो जान लें कि यह हरसिंगार है।
रिसर्चगेट पर प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, “हरसिंगार के पौधे कुछ फाइटोकेमिकल घटकों की उपस्थिति के कारण एंटी-एलर्जी, जीवाणुरोधी, एंटीवायरल, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-डायबिटिक जैसे कई औषधीय गुणों के लिए खास हैं। इसलिए यह पौधा विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं में बहुत उपयोगी है।”
शोध में यह भी कहा गया है कि हरसिंगार का व्यापक रूप से ब्रोंकाइटिस, गठिया, अस्थमा, खांसी, मतली, कटिस्नायुशूल, गठिया, कब्ज आदि के उपचार में उपयोग किया जाता है। पत्तियों से लेकर जड़ों तक, हरसिंगार का पूरा पौधा विभिन्न उपचार गुणों के लिए बहुत उपयोगी है। यह आयुर्वेद में एक अद्भुत पौधा है और इसे कई स्वास्थ्य लाभों के लिए जाना जाता है।
हरसिंगार पौधे के विभिन्न भागों के औषधीय उपयोग और लाभ
पत्तियों का उपयोग
हरसिंगार के पौधे की पत्तियों का उपयोग एक अलग तरह के बुखार, खांसी, गठिया, कृमि संक्रमण आदि के इलाज के लिए किया जाता है। पत्तियों का रस कड़वा होता है और टॉनिक के रूप में काम करता है।
इसका काढ़ा गठिया, कब्ज, कृमि संक्रमण के लिए उत्तम होता है। पत्तियों के काढ़े में एस्पिरिन जैसे महत्वपूर्ण गुण होते हैं जो बुखार को प्रबंधित करने में सहायक होते हैं। यह मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया बुखार सहित विभिन्न प्रकार के मिचली के बुखार को ठीक करता है।
फूलों का उपयोग
हरसिंगार के फूल गैस्ट्रिक और सांस की शिकायत के लिए अद्भुत काम करते हैं। ये हेयर टॉनिक के रूप में काम करते हैं और बालों को मजबूत बनाने और बालों को झड़ने से रोकने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
तना, बीज और छाल का उपयोग
हरसिंगार के तने का चूर्ण जोड़ों के दर्द और मलेरिया में बहुत उपयोगी होता है। पौधे के बीज बालों के झड़ने और गंजेपन में सहायता करते हैं। हरसिंगार के बीजों का प्रयोग बवासीर के इलाज में भी किया जाता है। इसकी छाल को पान के साथ खाने से खांसी ठीक हो जाती है जबकि बीज मुख्य रूप से त्वचा और बालों के लिए अच्छे होते हैं।
अगर हम आयुर्वेद समाधान देखें, तो हमारी अधिकांश स्वास्थ्य समस्याओं का उत्तर एक पेड़ के रूप में है, इसलिए हरसिंगार को आजमाएं और अपने दर्द को दूर करें!
साईटिका रोग के लक्षण-: एक पैर मे पंजे से लेकर कमर तक दर्द होना गृध्रसी या रिंगण बाय कहलाता है। प्रायः पैर के पंजे से लेकर कूल्हे तक दर्द होता है जो लगातार होता रहता है। मुख्य लक्षण यह है कि दर्द केवल एक पैर मे होता है। दर्द इतना अधिक होता है कि रोगी सो भी नहीं पाता।
रोग का इलाज हारसिंगार-: पारिजात के 10-15 कोमल पत्ते को कटे फटे न हों तोड़ लाएँ। पत्ते को धो कर मिक्सी मे या कैसे ही थोड़ा सा कूट ले या पीस ले। बहुत अधिक बारीक पीसने कि जरूरत नहीं है। लगभग 200-300 ग्राम पानी (2 कप) मे धीमी आंच पर उबालें। तेज आग पर मत पकाए इसे चाय की तरह पकाए। और चाय कि तरह छान कर गरम गरम पानी (काढ़ा) पी ले।
दिन में दो बार पिए एवं ठंडा पानी व खटाई का परहेज करें
प्रतिदिन 2 बार पिए यदि आप ऑफिस जाते हैं तो दोगुना पानी उबाले। थर्मस मे भरकर ले जाएँ। इस हरसिंगार के पत्तों के काढ़े से 15 मिनट पहले और बाद तक ठंडा पानी न पीए दही लस्सी और आचार न खाएं।।