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May 14, 2024
ADITI NEWS
सामाजिक

एक दीप जले उनके मन में जो मजबूरी के मारे है

एक दीप जले( पं.सुशील शर्मा)

 

एक दीप जले उनके मन में,

जो मज़बूरी के मारे हैं।

एक दीप जले उनके मन में,

जो व्यथित व्यतीत बेचारे हैं।

 

एक दीप जले उनके मन में,

जो लाचारी में जीते है।

एक दीप जले उनके मन में,

जो अपने ओठों को सीते हैं।

 

एक दीप जले उनके मन में,

जहाँ ऊँच नीच की खाई है।

एक दीप जले उनके मन में,

जहाँ दानवता की दुहाई है।

 

एक दीप जले उनके मन में,

जो अँधियारे के मारे हैं।

एक दीप जले उनके मन में,

जो निपट गरीब बेचारे हैं।

 

एक दीप जले उनके मन में,

जहाँ भूख संग बेकारी है।

एक दीप जले उनके मन में,

जहाँ दुःख के संग बीमारी है।

 

एक दीप जले उस कोने में,

जहाँ अबला सिसकी लेती है।

एक दीप जले उस कोने में,

जहाँ संघर्षो की खेती है।

 

एक दीप जले उस कोने में,

जहाँ बालक भूख से रोता है।

एक दीप जले उस कोने में,

जहाँ बचपन प्लेटें धोता है।

 

एक दीप जले उस आँगन में,

जहाँ मन पर तम का डेरा है।

एक दीप जले उस आँगन में,

जहाँ गहन अशांति अँधेरा है।

 

एक दीप जले उस आँगन में,

जहाँ क्रोध कपट कुचालें हों।

एक दीप जले उस आँगन में,

जहाँ कूटनीतिक भूचालें हों।

 

एक दीप जले उस आँगन में,

जहाँ अहंकार सिर चढ़ बोले।

एक दीप जले उस आँगन में,

जहाँ अज्ञान अशिक्षा संग डोले।

 

एक दीप जले उस मिट्टी पर

जहाँ बलिदानों की हवा चले।

एक दीप जले उस मिट्टी पर,

जिस पर शहीद की चिता जले।

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