30.9 C
Bhopal
April 29, 2024
ADITI NEWS
धर्म

कुंडलपुर में साधना आराधना भक्ति का नजारा

कुंडलपुर में साधना आराधना भक्ति का नजारा

कुंडलपुर। सुप्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर मध्य प्रदेश में दश लक्षण महापर्व पर साधना, आराधना ,भक्ति का नजारा दृष्टिगोचर हो रहा है ।एक ओर जहां प्रातः काल पूज्य बड़े बाबा के विशाल मंदिर में भक्तांमर महामंडल विधान भक्ति भाव के साथ श्रावक श्रेष्ठी जनों के द्वारा किया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर पूज्य बड़े बाबा का अभिषेक, शांतिधारा, आरती ,पूजन- विधान में भी दूर-दूर से श्रद्धालु भक्त आ कर अपना जीवन धन्य कर रहे। भक्तांमर विधान कर्ता परिवार इंद्र कुमार नाभिनंदन जैन हरदुआ (पन्ना )रहे। पूज्य बड़े बाबा का प्रथम कलश ,रिद्धि मंत्र कलश, शांति धारा करने का सौभाग्य सौरव सुधीर सिंघई परिवार इंदौर, मनमोहन जैन ओमप्रकाश जैन परिवार कोटा ,विनोद जैन स्वर्गीय गुलाबचंद जैन परिवार विदिशा, हृदय जैन अरुण निर्मल कुमार जैन गुना, प्रकाश चंद कैलाश महेंद्र कमलाबाई रितु मोनिका परिवार राहतगढ़ को प्राप्त हुआ भगवान पारसनाथ की शांति धारा हेमचंद संदीप बजाज किरण निवेदिता खुरई परिवार ,प्रमोद कुमार मीना जैन शास्त्री परिवार कटनी ने की।छत्र चवंर स्थापित करने का सौभाग्य सौरभ सुधीर सिंघई इंदौर, विनोद कुमार अरुण कुमार जैन नौगांव ने प्राप्त किया। वही दोपहर में विद्या भवन में शांति महामंडल विधान का आयोजन किया गया आज के शांति विधान कर्ता परिवार ज्ञानचंद जैन कुंडलपुर रहे। गत दिवस कोमल चंद राकेश जैन परिवार कुंडलपुर की ओर से शांति विधान किया गया ।पूज्य मुनि श्री निरंजन सागर जी महाराज ने आर्जव धर्म पर प्रवचन देते हुए बताया मन वचन और काय इन तीनों की क्रिया में वक्रता नहीं होने का नाम ही आर्जव है। कुटिल भाव माया चारी परिणामों को छोड़कर शुद्ध हृदय से चारित्र का पालन आर्जव धर्म है । आर्जव का अर्थ सरलता है। मुनि श्री ने भगवान आदिनाथ के पूर्व भव का प्रसंग सुनाते हुए बताया वन में एक वानर मुनियों के आहार को देख रहा था राजा बजृजघ उनकी रानी श्रीमती आहार दे रहे थे वानर शांति से आहार देख रहा था। देखा गया है कि वानर शांति को प्राप्त नहीं होते कुंडलपुर में भी कई बार आपने वानरों का उत्पात देखा है ।वन में मुनि राज एक शिला पर उपदेश दे रहे थे वानर भी उनका उपदेश सुन रहा था। राजा बजृजघ की दृष्टि उस वानर पर पड़ी उन्होंने मुनिराज से वानर का पूर्व भव जानना चाहा। मुनिराज ने बताया यह वानर कभी नर था। श्रेष्टि की पर्याय में था इसका आचरण छल कपट पूर्ण था जिस कारण इसे वानर की पर्याय मिली है ।यह श्रेष्टि की पर्याय में मायाचार कपट पूर्ण कार्य में लगा था ।मुनिराज के आहार देखते हुए वानर ने भावना भाई यदि मैं आज नर होता तो आहार देने का सौभाग्य पाता। पूज्य मुनि श्री ने प्रवचन में आगे बताया पुराण ग्रंथों में ऐसे अनेक उदाहरण आपने पढ़े होंगे जीवन्धर कुमार ने श्वान को पंच नमस्कार मंत्र सुनाया उसने देव पर्याय को प्राप्त किया ।बैल को सेठ ने णमोकार मंत्र सुनाया, इसी तरह नाग नागिन भी पार्शनाथ के समय देव पर्याय पा सके ।आपकी जो मायाचार छल कपट की प्रवृत्ति है वह र्तियंच गति का कारण बन रही है ।जब हमारे पास सब कुछ होता तो भगवान का नाम लेने का समय नहीं ।जब विपत्ति काल आता तो भगवान की याद आती ।माया चारी की शरण लेना पड़ती। उत्तम आर्जव धर्म के धारी आचार्य परमेष्ठी हैं हम उनकी शरण लें। सायं काल पूज्य बड़े बाबा की संगीतमय महाआरती ,भक्तांमर पाठ 48दीप प्रज्वलित कर किया गया। रात्रि में भैया जी के प्रवचन का लाभ उपस्थित भक्तों ने प्राप्त किया।

Aditi News

Related posts