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April 27, 2024
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राज्यपाल को खून से लिखे पत्र पर भी 17 महीनों बाद कोई एक्शन नही,लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने 87 वें धरने में कहा ये कैसा लोकतंत्र

रिपोर्टर,अनिल जैन -सिहोरा

राज्यपाल को खून से लिखे पत्र पर भी 17 महीनों बाद कोई एक्शन नही,लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने 87 वें धरने में कहा ये कैसा लोकतंत्र

सिहोरा- म प्र सरकार द्वारा महामहिम राज्यपाल के हस्ताक्षर से 11 जुलाई 2003 को सिहोरा जिला का राजपत्र जारी किया गया था।महामहिम राज्यपाल के नाम से एवं आदेशानुसार अपर सचिव के हस्ताक्षर से जारी राजपत्र के क्रियान्वयन हेतु समिति ने अपने खून से महामहिम राज्यपाल को 2 जनवरी 2022 में पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग की थी परंतु लोकतंत्र का यह दुखद पहलू है कि राज्यपाल को लिखे पत्र पर भी आज तक किसी भी प्रकार का कोई निर्णय नहीं लिया गया। लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने इसे लोकतंत्र का एक दुखद पक्ष बताया है।

क्या है पूरा मामला– विदित हो कि लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने सिहोरा को जिला बनाने की अपने आंदोलन के क्रम में 2 जनवरी 2022 को अपने खून से प्रदेश के महामहिम राज्यपाल को पत्र लिखकर 11 जुलाई 2003 को जारी मध्य प्रदेश सरकार के राजपत्र के क्रियान्वयन की मांग की थी। उक्त तिथि को सिहोरा को जिला बनाने का राजपत्र प्रदेश के महामहिम राज्यपाल के नाम से एवं आदेशानुसार तत्कालीन अपर सचिव एन एस भटनागर के हस्ताक्षर से जारी हुआ था। आंदोलनकारियों का तर्क था कि जो राजपत्र महामहिम के आदेश से जारी हुआ है उसका पालन प्रदेश सरकार ने आज तक क्यों नहीं किया यह बात राज्यपाल महोदय को प्रदेश सरकार से पत्र जारी कर पूछना चाहिए।

कार्यवाही की सूचना नही– समिति के अमित बक्शी ने कहा कि मांग कैसी भी हो,हमे आशा थी कि महामहिम को लिखे पत्र पर कोई कार्यवाही जरूर होगी।पर 17 महीने गुजर जाने के बाद भी पत्र प्राप्ति या पत्र को अग्रेषित करने तक की कार्यवाही न होना लोकतंत्र का मजाक है।लगता है इस सरकार में आम नागरिक के खून तक की कोई कीमत नही है।

जिला बनने तक जारी रहेगा आंदोलन– लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने सरकार और जिम्मेदार संवैधानिक कार्यालयों की ऐसी कार्यप्रणाली को गलत बताते हुए अपना संकल्प दोहराया कि जब तक सिहोरा को उसका हक नही मिल जाता आंदोलन जारी रहेगा।

रविवार को हुए धरने में समिति के मानस तिवारी,अनिल जैन,नागेन्द्र कुररिया,रामजी शुक्ला,विकास दुबे,सुशील जैन, गौरी राजें,पन्नालाल,नत्थू पटेल,रामलाल साहू,अजय विश्वकर्मा,सुखदेव कौरव,नंदकुमार परौहा,मोहन सोंधिया,जुगल किशोर सहित अनेक सिहोरावासी मौजूद रहे।

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