दूरस्थ दुर्गम वनांचल ग्रामो में मनायी होली
बच्चों के खिले चेहरे ही जीवन के सच्चे रंग- बसेड़िया
गाडरवारा । नगर के वरिष्ठ समाजसेवी मुकेश बसेड़िया ने प्रतिवर्ष अनुसार रंगोत्सव का पर्व होली दुर्गम दुरस्थ पहाड़ो पर बने वनांचल ग्रामो में आदिवासी बच्चो एवं भाईयो के साथ मनाया । इस अवसर पर उंन्होने बच्चों को रंग के पैकिट ,पिचकारी, मुखोटे , गुब्बारे , होली की टोपियां प्रदान करते हुए बच्चो के साथ रंग गुलाल डालकर होली भी खेली । रंगोत्सव के शुभारंभ पर उन्होंने आदिवासी भाईयों को वस्त्र एवं रुमाल प्रदान कर उन्हें गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं प्रदान की एवं ग्रामवासियों के साथ सामूहिक देशी गायन फाग का आनन्द लिया। श्री बसेडिया ने इस दौरान माताओं ,बहनों को भी श्रृंगार सामग्री एवं गुलाल भेंट किया। श्री बसेड़िया ने बताया कि रंग,पिचकारी एवं गुब्बारे आदि पाकर बच्चो की हंसी की किलकारियां गूंज उठी। इस दौरान बच्चो की शिक्षा के प्रोत्साहन हेतु पठन लेखन सामग्री, स्कूल ड्रेस,बॉटल आदि के साथ वस्त्र , टॉफी ,बिस्कुट भी प्रदान किये गए । उन्होंने बताया कि उपरोक्त रंगोत्सव का मुख्य उद्देश्य बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक करते हुए शिक्षित बनाना तथा आदिवासी भाईयों को अपमी सनातन संस्कृत एवं परंपराओ से जोड़े रखना है। उपरोक्त सेवा कार्य मे गौ सेवक ओमप्रकाश कीर ,आरती कहार ,कीर्ती विश्वकर्मा का सराहनीय योगदान रहा। उल्लेखनीय है कि मुकेश बसेड़िया अनेक बर्षो से प्रायः अपने सभी तीज त्यौहार दुर्गम पहाड़ियों पर वसे वनांचल ग्रामो में जाकर आदिवासी भाईयों के साथ ही मनाते है और बच्चों को सतत शिक्षण सामग्री प्रदान कर स्कूल जाने के लिए प्रेरित करने के अलावा निराश्रित असहाय बेसहारा वृद्धजनो की पुत्रवत सेवा करते है।