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April 29, 2024
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सामाजिक

गांधीग्राम, मुक्तिधाम नही चबूतरे में पन्नी ढांककर किया अंतिम संस्कार।

ओम समद गांधीग्राम

मुक्तिधाम नही चबूतरे में पन्नी ढांककर किया अंतिम संस्कार

गांधीग्राम, बुढ़ागर…ग्राम पंचायत गांधीग्राम की अंतर्गत आने वाले रामपुर टोला गांव जिसकी आबादी लगभग 1000 है हाईवे के किनारे स्थित इस ग्राम मेंअंतिम संस्कार जैसे रिवाज को पूरा करने में शोकाकुल पक्ष एवम ग्रामीणों को कठिनाई के दौर से गुजरना पड़ रहा है।

उधर विकास का दम भरने वाली सरकार व उसके नुमाइंदे आज तक इन स्थानों पर टीन शेड की समस्या का हल नहीं निकाल पाए हैं। इसी कड़ी में ताजा उदाहरण के तौर पर ग्राम पंचायत गांधीग्राम के अंतर्गत आने वाली रामपुर टोला में एक ऐसा भी श्मशान घाट है जहां वर्षा के दौरान किसी मृतक का अंतिम संस्कार करने के लिए लोगाें को पन्नी,त्रिपाल आदि तानकर खड़े होना पड़ता है, तब जाकर ही कहीं अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जा सकती है।

महत्वपूर्ण पहलू तो यह है कि इस समस्या की ओर अब तक किसी का ध्यान क्यों नहीं गया। यह सवाल यहां हर किसी के मन में है। जब हर ग्राम पंचायत के अन्य श्मशान घाटों के सौंदर्यीकरण का कार्य राज्य सरकार द्वारा करवाया जा रहा है। तो यहां अनदेखी क्यों? यह एक ऐसा मुद्दा है जिसे लेकर गांवों एवं कस्बों में शमशान भूमियों व शमशान घाटों की जमीनों के हालात बद से बदत्तर हैं। कहीं अतिक्रमणकारियों का जबरदस्त कब्जा है, तो कहीं पर शवों को जलाने के लिए टीन शेडों तक का नितांत अभाव है। या फिर श्मशान घाट तक आने जाने के लिए पूर्व निर्धारित रास्तों पर नियम विरुद्ध कब्जे है, जिन्हें हटाना मारपीट व लड़ाई झगडे को सीधा सीधा न्यौता देना है।

। समस्या से पीड़ित कुछ लोगों द्वारा इस मामले को लेकर स्थानीय ग्राम पंचायत प्रशासन का ध्यानाकर्षित भी कराया गया है। ताकि आगे चलकर कोई समस्या ना हो।

श्मशान घाट में बैठने की व्यवस्था तो दूर खड़े रहने के लिए धूप और बारिश के मौसम के चलते टीन शेड तक की सुविधा तक नहीं है, जिसके कारण शवों को जलाने के लिए ग्रामीणों को यहां खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बरसात के मौसम में यह समस्या और अधिक दुखदाई जान पड़ती है।

कल गांधीग्राम ग्राम पंचायत के अंतर्गत आने वाले रामपुर टोला में मृतक देव को खुले आसमान के नीचे अंतिम संस्कार कराना पड़ा।अर्थी को बारिश से बचाने के लिए त्रिपाल का सहारा भी लोगों को लेना पड़ा. गांधीग्राम ग्राम पंचायत के रामपुर टोला में कल वंश गोपाल पिता लक्ष्मी प्रसाद केवट उम्र 60 वर्ष की मौत हो गई थी, बीती रात से हो रही बारिश के चलते दाह-संस्कार का संकट सामने खड़ा हो गया. परिजनों ने त्रिपाल मंगवाकर अंतिम क्रिया की तैयारी की. अंतिम संस्कार में पहुंचे लोगों ने पन्नी के सहारे चिता की लकड़ियों को गीली होने से बचाया साथ ही चलती बारिश के कारण खुद ही उसी पन्नी की छत के नीचे खड़े रहे।को अंतिम संस्कार हेतु श्मशान घाट ले जाना था लेकिन उस दिन सुबह से रिमझिम बरसात हो रही थी ग्रामीण बरसात कम होने का भी इंतजार करते रहे। बरसात रूकने या कम बरसने पर शव को ग्रामीणों की सहायता से श्मशान घाट भी ले जाया गया। लेकिन जैसे ही शव का अंतिम संस्कार करने के लिए अग्नि दी गई उसके कुछ देर बाद ही बरसात का दौर फिर से शुरू हो गया। बारीश शुरू होने से ग्रामीणों को शव जलाने के बड़ी मशक्कत करनी पड़ी। बरसात से बचने के लिए परिजनों और अंतिम संस्कार में शामिल लोगों को पन्नी,त्रिपाल का सहारा लेना पड़ा, श्मशान घाट में उपस्थित ग्रामीणों को बरसात के पानी से भीगने से बचने के लिए इधर-उधर पेड़ों तक की शरण लेनी पड़ी। जो की शासन प्रशासन ग्राम पंचायत के लिए बड़े शर्म की बात कही जा सकती है। क्योंकि यहां जीवन की अंतिम यात्रा के आखिरी पड़ाव पर भी मानव देह को सुविधाओं के अभाव से गुजरना पड़ा है। जो स्थानीय ग्राम पंचायत प्रशासन व प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा करते हैं । रामपुर से करोड़ अरबो रुपए कमाने वाली पंचायत के द्वारा ऐसा दोहरा रवैया अपनाने से ग्रामीणों में बहुत रोष है,

इन्होंने की मुक्तिधाम बनाने की मांग! सोनू केवट सूरज केवट द्वारका केवट सतीश चौरसिया राजकुमार पाल संतोष चक्रवर्ती दिलीप चौधरी पंडित ज्वाला प्रसाद दुबे नारायण सिंह ठाकुर आदि ने रामपुर में शीघ्र मुक्ति धाम बनाने की मांग की है!

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