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May 19, 2024
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सुखी होने के लिए अंदर से भगवान का होना जरूरी — स्वामी इंद्रदेव सरस्वती महाराज  विशाल भंडारे से साथ कथा का समापन 7 मई को 

सुखी होने के लिए अंदर से भगवान का होना जरूरी — स्वामी इंद्रदेव सरस्वती महाराज 

विशाल भंडारे से साथ कथा का समापन 7 मई को 

गाडरवारा। नगर में शनि मंदिर के पास एनटीपीसी आडिटोरियम के सामने 7 दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा में माहौल धर्ममय होता जा रहा है । कथा में प्रतिदिन आनंद, हर्ष और उल्लास देखने को मिल रहा है । बीते सोमवार को कथा के छठवें दिन आरती के बाद कथावाचक महामंडलेश्वर स्वामी इंद्रदेव सरस्वती महाराज ने भगवान कृष्ण द्वारा की गई बाल लीलाओं के बारे में बताते हुए कहा कि भगवान कृष्ण बचपन मे माखन चोरी कर साथियों संग माखन खाते थे। उनके द्वारा बजाई बाँसुरी से गोपियाँ मंत्रमुग्ध हो जाती थी । बाँसुरी की धुन पर गायें भी उनके पास आ जाती थीं। उन्होंने कथा में आगे बताया कि जिस प्रकार खरबूजा खरबूजा को देखकर रंग बदलता है ऐसा हम क्यों नही सोचते कि हम किसी अच्छे संत के विचारों को आत्मसात कर अच्छा बनें। हमें किसी को देने के लिए मित्र बनाना चाहिए न कि किसी से कुछ लेने के लिए मित्र बनाना चाहिए। उन्होंने कथा में कहा कि व्यक्ति को सुखी होने के लिए उसे अंदर से भगवान का होना चाहिए। जिस कार्य से परमात्मा को आनंद आये वह कार्य भक्त को करना चाहिए। कथा में उन्होंने कहा कि हमें हमेशा मधुर वाणी बोलना चाहिए जो दूसरों को सुनने में अच्छी लगे क्योंकि वाणी ही जोड़ने एवं तोड़ने का कार्य करती है। कथा में उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि मानव शरीर को शराब, तम्बाकू एवं मांस से दूर रहना चाहिए क्योंकि शरीर की दुर्गति इन्ही दुर्गुणों से होती है। उन्होंने गौ माता का महत्त्व बताते हुए कहा कि गाय में देवता बसते हैं इसीलिए गाय की सदैव पूजा करना चाहिए और दुर्व्यवहार नही करना चाहिए। उन्होने सत्संग के विषय मे बताते हुए कहा कि जो आदमी भाव से परे है उसे सत्संग से कोई लेना नही है। सत्संग से अच्छे संस्कार सीखने को मिलते हैं। यदि हम अच्छी संगत करेंगे तो अच्छी बातें सीखने को मिलेंगी एवं यदि हम बुरी संगत करेंगे तो हमारे अंदर दुर्गुण आएंगे। कथा में उन्होंने कहा कि गाडरवारा से जबलपुर आदि क्षेत्र धार्मिक है यदि भागवत कथाओं से क्षेत्र में अच्छे संस्कार आएंगे तो ये क्षेत्र के लिए हितकर होगा। विदित हो कि कथा के छठे दिन गोवर्धन कथा वाले प्रसंग ने सभी को भाव विभोर कर दिया। देर शाम प्रसाद वितरण एवं आरती के साथ छठवें दिन की कथा का समापन किया गया। आज 7 मई को भंडारे के आयोजंन के साथ संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का समापन होगा। भंडारा कार्यक्रम में सभी क्षेत्रीय श्रद्धालुओं से उपस्थिति की अपील आयोजन समिति ने की है। छठवे दिन की कथा में भी बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी श्रद्धालुओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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